अघोषित आपातकाल में अब पत्रकार बंधु बन गए बंधक

Pahado Ki Goonj

 मुरादाबाद,पत्रकारिता का जोश तो सर चढ़कर बोल रहा है’ लेकिन अब अपनी सुरक्षा अपने हाथ रखनी ही पड़ेगी” क्योंकि सरकारी तंत्र तो अब कलम छीनने के विचार में है । क्योंकि शब्दों पर विराम तो लग ही गया है ,और कही कलम और कैमरा भी खिंच गया ‘तो फिर व्हाट्सएप के पत्रकार बन के रह जाएंगे ।

गुरु ने कहा था कि सच्ची पत्रकारिता करिए” लेकिन गुरु ने यह नहीं बताया कि अब खुले तौर पर खुले आसमान के नीचे पत्रकारिता नही करनी है ।

क्योंकि कहीं आप किसी कमरे में गए तो कोई सरकारी तंत्र का आदमी आपको उस कमरे में बंधक बना सकता है ।

मुरादाबाद में सीएम योगी के दौरे पर जिस तरीके से 12 से ज्यादा पत्रकारों को आईसीयू रूम पर बंधक बना लिया । लाचार पत्रकार अपनी आप बीती भी क्या बोलें जब उनकी संस्था ने ही उस ख़बर को औपचारिकता के तौर पर लेकर सीएम की ख़बर को मेन पृष्ठ पर जगह दे दी ” जो मीडिया से दूरी बना रहे थे ।

फिलहाल यह मामला पहला नहीं है उससे पहले भी प्रशासन ने पत्रकारों को बंधक बनाया था 2012 के समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी तब देवरिया दौरे पर अखिलेश यादव पहुंचे थे जहां पर पत्रकारों को स्कूल के क्लासरूम में बंद कर दिया गया था जब पत्रकारों ने आवाज लगाई उस वक्त सीएम अखिलेश यादव मौजूद थे ” तो उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा तो मीडिया रूपी कुछ पत्रकार अंदर बंद थे फिलहाल उनकी रिहाई अखिलेश यादव ने खुद की थी।      *प्रतीक पाठक*

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