बद्रीनाथ धाम से जीतमणि पैन्यूली की जीरो ग्राउंड से रिपोर्ट का संज्ञान लिया जाय

Pahado Ki Goonj

यात्रियों को मास्क लगाने की दी जाए हिदायत

देहरादून। श्री बद्रीनाथ धाम में यात्रियों को सुविधा के नाम पर एक प्रकार की यातना दी जारही है ।सरकार को रजिस्ट्रेशन का ढकोसला के बजाय यात्रियों को मास्क लगाकर यात्रा करने की हिदायत देनी चाहिए। बदरीनाथ में यहाँ पर2 ाउ से भी अधिक लम्बी लाइनयात्रियों की लगी है।
पहले मंदिर समिति के सेवक पानी के लिए यात्रियों को पूछ पूछ कर पानी पिलाने का काम करते थे।आज यह व्यबस्था कहीं नहीं दिखाई दे रही है।2 ाउ पीछे यात्रियों के लिए भीड़ को देखते हुए वहाँ पर सुंदर सौचालय बना हुआ था ।उस पर सुविधा के नाम पर ताले लटके हुए हैं।और स्थानीय लोगों के खेतों में जो राजमा की फसल बोई गई वह बर्बाद कर गन्दगी खेतों में फैली हुई है।सरकार यात्रा के नाम पर जनवरी से अधिकारियों की बैठक कर जनता के उपर लाखों रुपये दैनिक भते का बोझ बढ़ाने का काम करते आरहे हैं। जल संस्थान के नलों में पानी नहीं है। नगर पंचायत बद्रीनाथ गन्दगी बढ़ाने का काम कर बीमारी को न्योता दे रही है। स्वास्थ्य विभाग के अस्थायी सौचालय यात्रियों की सुविधा के लिए लम्बी लाईन के बीच 500 मीटर पर होने चाहिए।
मंदिर समिति की खराब व्यबस्था यह है कि भगवान का भोग 12.15अपराह्न दिया जाता है। परन्तु खाने दाल चावल, खिचड़ी पर हजारों रुपये रोज खर्चा कर रहें हैं।अधपका चावल भोग भगवान को लगा कर यात्रियों को दिया जाता है। परन्तु 1रुपये की पत्तल यात्रियों को भोग लेने के लिए नही दीजाति है।
जबकि 42 रुपये का अटका भोग की राशिद काटी जाती है।कितनी बिडम्बना है कि बयालीस रुपये में1,2 रुपये का डब्बा प्रसाद पाने के लिए नहीं दिया जाता है । इस व्यबस्था को सुधारने के नाम पर समिति के सदस्यों को लाखों रुपए दैनिक भत्ताप्रतिवर्ष दिया जाता है। पहले यात्रियों की सुविधा हेतु टोकन व्यबस्था की गई वह भी लाखों रुपए कम्प्यूटर एवं कार्यालय बनाने में मंदिर समिति के धन की बर्बादी हुईं हैं। वह बन्द पड़े हैं जो लोग लाखों रुपए खर्चा करके आये हैं उन्हें आधा मिनट भगवान के दर्शन करने नहीं दिया जाता है। उधर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उनके सचिव ,धर्मस्वमंत्री विभाग के अधिकारियों ने सुविधा देने के लिए जनवरी में भी हेलीकॉप्टर से महंगी यात्रा की है। जो आज यात्रियों के लिए असुविधा का सबब बना हुआ है। यात्रा उत्तराखंड एंव पड़ने वाले स्थानों के लिए रोजगार की लाइफ लाइन है।
इसके लिए हम मंदिर एक्ट बनाने से लेकर अबतक सुधार नहीं कर सकें हैं।यह सोचने के लिए यात्रियों कोहमारी सरकार के लिए मजबूर करता है।

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