कोविशिल्ड के सच ने विज्ञान के वरदान को अभिशाप में बदला:शैलेन्द्र कुमार बिराणी युवा वैज्ञानिक

Pahado Ki Goonj

साइंटिफिक-एनालिसिस

कोविशिल्ड के सच ने विज्ञान के वरदान को अभिशाप में बदला:डॉ शैलेन्द्र कुमार बिराणी युवा वैज्ञानिक

ब्रिटेन स्थित वैक्सीन बनाने वाली फार्मास्युटिकल कम्पनी एस्ट्राजेनेका द्वारा वहाँ की अदालत में स्वीकार करना कि कोविड वैक्सीन से रक्त्त के थक्के जमने की दुर्लभ स्थिति पैदा हो सकती हैं। इस साईड इफेक्ट को थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नाम से जाना जाता हैं। टीटीएस एक दुर्लभ स्थिति हैं जिसमें शरीर में अलग-अलग जगहों पर खून के थक्के बन जाते हैं और रक्त में प्लेटलेटस की संख्या कम हो जाती हैं | प्लेटलेटस छोटे आकार की कोशिका होती हैं जो खून को जमने नहीं देती हैं |

भारत में भी इसी वैक्सीन के फार्मूले को कोविशील्ड के नाम से लोगों को लगाया गया था | भारत में भी कहीं महीनों से लगातार चलते, गाते, बोलते, बात करते, नाचते, ड्राविंग करते लोगों को हार्ट अटैक आकर तुरन्त मरने की खबरें आ रही हैं। इस खबर ने अधिकांश लोगों की सोच को गलत दिशा मे बदल दिया व कोविशिल्ड का टीका लेने वाले सभी लोगों के दिल-दिमाग में डर को बैठा दिया | यह डर ही विज्ञान के सबसे बडे़ वरदानों में से एक वरदान वायरस से लडने वाले टीके को अभिशाप में बदल रहा हैं |

आपके साइंटिफिक-एनालिसिस ने लाकडाऊन को खोलने के तरीके पर कोई रणनीती न होने की बात कहीं और राष्ट्रपति को खुला पत्र लिखते हुए सार्वजनिक रूप से बताया की जिस तरिके से आगे बढा जा रहा हैं उससे वैक्सीन की प्रासंगिकता ही खत्म हो जायेगी | हमने सात दिन का पाइलेट प्रोजेक्ट फिर एक माह में खतरनाक वायरसों की चेन खत्म करने का प्रस्ताव भी दिया जबकि वायरसों को पैदा होने से कई हद तक रोकने वाले हमारे आविष्कार की फाईल पर अन्तिम फैसला उन्हीं ने वर्षों से रोक रखा हैं।

दूसरों के पीछे दौडकर कभी भी प्रथम नहीं आ सकते और एक तरीके के सफल हो जाने पर उसे दुबारा इस्तेमाल करके व्यवस्था में बदलाव नहीं ला सकते | पहले ही भारत में कई लोगों ने सरकारी दबाव, चर्चित चेहरों के अनुरोध पर भी टीके नहीं लगवाये | अब जिन लोगो ने सरकार व बड़े-बड़े नामी गिरामी लोगों के आश्वासन पर टीके लगवाये उनमे से अधिकांश अब डर और घबरा रहे हैं | सबसे पहले तो वैक्सीन बनने में समय लगता हैं फिर ऐसे सच का सामना आने से हम खतरनाक वायरसों की लडाई में बहुत पिछड़ गये हैं |

कोरोना वायरस म्यूटेशन के माध्यम से अब तक कई रूपों में बदल चुका हैं | अब जैसे ही कोई एक खतरनाक और तीव्र गति से संक्रमित करने वाला रूप सामने आयेगा तब हमारे पास उससे लड़ने का व्यापक, विश्वसनीय व दिल और मानसिक सन्तुष्टि वाला एक भी हथियार लडने के लिए नहीं होगा | इससे वह इंसानी सभ्यता और समाज को डेथ-जोन की दिशा में धकेल देगा | भविष्य में कौनसे खतरनाक वायरस आयेंगे वो हम पहले ही लिखित में दे चुके हैं जो अन्त में मानव प्रजाति को शून्य में बदल देंगे |सरकार काली हल्दी  बढ़ा कर किसान आय दुगुनी करने एवं जंगली जानवर से  बचाव के लिए इच्छा शक्ति बढ़ाने के लिए कार्य कीजियेगा।

 

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ओषधि गुणों से भरपूर काली हल्दी ३४, घऱ घऱ लगाइये घऱ में  अपने सुख़सम्पति के लिए सकरात्मक ऊर्जा पाइये।

देश  की उन्नति,  जनता को  बचाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,संघ  प्रमुख जी, माननीय  प्रधान मंत्री  जी   माननीय राष्ट्र पति  जी के  कार्यालय से  डॉ शैलेन्द्र कुमार बिराणी युवा वैज्ञानिक  का उक्त  प्रस्ताव को मंजूरी  दिलाने की  आवश्यकता ।ताकि अपना देश  दुनिया में सबसे  पहले  नम्बर  पर  स्थापित किया जा सके।

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