पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान आईटीबीपी औली को अतिक्रमण से बचाया जाय

Pahado Ki Goonj

फोटो- पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान आईटीबीपी औली।
फाइल फोटो-संस्थान की नींव रखने के बाद पर्वतारोहण इक्यूपमेंट का अवलोकन करते तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। औली ने न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्कीयर्स दिए बल्कि ख्याति प्राप्त पर्वतारोहियों की सौगात भी देश को दी है। औली को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने मे आईटीबीपी का अहम योगदान रहा है। आईटीबीपी के 24 एवरेस्ट विजेताओं ने औली की धरती मे ही पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया है। औली के अंतर्राष्ट्रीय महत्व को समझते हुए आईटीबीपी ने भी औली में स्थापित पर्वतारोहण एंव स्कीइंग संस्थान की जिम्मेदारी अब आईजी स्तर के अधिकारी को सौंपी है।

आज विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान बनाने वाले हिमक्रीडा केन्द्र औली को इस स्तर तक पंहुचाने मे आईटीबीपी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।आईटीबीपी ने औली की वादियों को पर्वतारोहण एंव स्कीइंग के प्रशिक्षण के लिए मुफीद माना और आईटीबीपी के प्रस्ताव पर भारत सरकार ने यहाॅ पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान की स्थापना की स्वीकृति दी और 28मार्च 1976 को देश के तत्कालीन उपराष्ट्रपति बी0डी0जत्ती ने औली पहंुचकर आईटीबीपी के पर्वतारोहण एंव स्कीइंग संस्थान की नींव रखी। तब से यह संस्थान निंरतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। आईटीबीपी के स्कीइंग प्रशिक्षण से प्रभावित होकर ही तब उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने औली मे ही स्कीइंग प्रशिक्षण शिविर की योजना पर कार्य किया और दस वर्ष बाद वर्ष 1986मे उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने भी गढवाल मंडल विकास निगम के माध्यम से स्कीइंग प्रशिक्षण केन्द शुरू किया।आईटीबीपी ने औली मे पर्वतारोहण एंव स्कीइगं संस्थान स्थापना की एक दूरदर्शी परिकल्पना को संजोया था जो आज वास्तव मे साकार हो गया है। आईटीबीपी के इस संस्थान मे न केवल आईटीबीपी के हिमबीरों को ब्लकि देश की अन्य पैरा मिलिट्री फोर्स, सेना, वायुसेना व नौ सेना के जाॅबाजों को भी संस्थान के ख्याति प्राप्त पर्वताराही व स्कीयर्स द्वारा पर्वताराहेण एव स्कीइंग का प्रशिक्षण दिया जाता है।

आईटीबीपी के इस संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले आईटीबीपी के 24जाॅबाजों ने विश्व की सबसे ऊॅची चोटी ’’एवरेस्ट’’को फतह करने मे कामयाबी हासिल की है। इनमे से कई जाॅबाजों ने तो दो-दो बार भी एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराया है। आईटीबीपी के इन 24एवरेस्ट विजेताओं मे 7 विजेताओं को पदमश्री एवार्ड तथा 14विजेताओं को पर्वतारेाहण के क्षेत्र का प्रतिष्ठित एवार्ड’’तेजजिंग नोर्व एवार्ड से नवाजा गया हैं। यही नही इस ंसस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कई स्कीयर्स ने राष्ट्रीय,अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान हासिल तो किया ही है आॅलपिंक मे भी शानदार उपस्थिति दर्ज की है। वर्तमान मे औलेपिंयन नानक चंद्र ठाकुर संस्थान के मुख्य स्कीइंग कोच है।

जिस प्रकार विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली अपनी नई गतिविधियों से विश्व पर्यटन मानचित्र पर तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है तो आईटीबीपी भी अपने संस्थान को बेहतर व आधुनिक बनाने के लिए जुटी हैं। स्थापना वर्ष 1976से संस्थान के प्रधानाचार्य पद पर कमाडेंण्ट स्तर के अधिकारियो की तैनाती शुरू हुई,  जो वर्ष 2000 तक अनवरत जारी रही और वर्ष 2001 से इस पद पर अपर उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की तैनाती हुई और वर्ष 2008 से उप महानिरीक्ष स्तर के अधिकारियों की तैनाती शुरू हुई। अब आईटीबीपी ने इस महत्वपूर्ण संस्थान की जिम्मेदारी आईजी स्तर के अधिकारी को सौंपी है। ओली को अच्छा बनाने सुधारने  के साथ साथ इसको अतिक्रमणकारियों से बचाने की आवश्यकता है।

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