यमनोत्री यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की दिक्कतें दूर की जाय -जीतमणि पैन्यूली 

Pahado Ki Goonj

चार धाम यात्रा यमनोत्री धाम से प्रारम्भ होती है इसके जायजा लेने का अबसर मुझे43 वर्ष बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को मिला ठीक 43पूर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को यमुनोत्री जाने की इच्छा हुई रास्ते की स्थिति से रुक गए उत्तरकाशी से। माँ गंगा की कृपा से गंगोत्री पहुँच गये । तब से काफी समय जाने का प्रयास किया 8मार्च वर्ष 2013 को श्री केदार सिंह रावत पू 0विधायक से उप्पा0पवन उनीयाल जी का न0 लिया उनसे इलाहाबाद कुम्भ में यमुना जी का प्रचार ,प्रसाद यात्रियों को देने का आग्रह किया ।इसके लिये वह असमर्थ रहे। उन्होंने कहा की पहाड़ों की गूंज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र के माध्यम से वहां जानकारी एवं विकास के लिये लिखे।हमने कहा प्रयास करेंगे ।हमने उन्हें राय दी कि किसी बड़े सन्त से खरशाली में आयोजन कराइयेगा तो सबका कल्याण होगा।उसके बाद माँ यमुनोत्री की डोली के दर्शन अंतराष्ट्रीय संत गोपाल मणि जी महाराज के द्वारा गौ कथा ज्ञान यज्ञ देहरादून मेंवर्ष 2015 में हुये माँ से प्रथम यमनोत्री आने की प्रार्थना की गत वर्ष अंतराष्ट्रीय सन्त प्रातः वंदनीय पूज्य मुरारी बापू जी ने राम कथा का आयोजन खरशाली माँ यमुना के शीत कालीन पूजा स्थल पर कर माँ को राम कथा सुना कर सबको धन्य कर गये । 

मा0कीआज्ञा से यमनोत्री घोड़े की पीठ पर सफर तय किया।यमनोत्री पहुंच कर के मौसम को देखते हुए मंदिर समिति के पंडा गढ़वाल के तीर्थ पुरोहित श्री खिला नंद उनियाल जी ने माँ यमुना के आश्रीबाद के लिये हम 3 लगों से पूजा कराई ।यमुना जी का आशीर्वादस्वरूप प्रसाद दिलाया ।उनकी बही पर अपनी सनद अंकित की।मंदिर समिति के उपाध्यक्ष, सचिव,सदस्य मंडल ने तह दिल से मेरे सह यात्री भाई चंद्रमोहन कुड़ियाल समाजसेवी मनोज हाउस 14 बीघा ढाल वाला टिहरी गढ़वाल एवं सेवा नि0प्रोफेसर डॉ इंद्रमणि सेमवाल कानपुर विश्व विद्यालय का गर्म जोशी से स्वागत किया ।उनके आत्मीयता के व्यवहार से हमे बहुत सकुन्न मिला ।हमने उनसभी को धन्यवाद दिया ।रास्ते मे जाते हुए भाई चन्द्र मोहन कुड़ियाल जी तवियत स्वास लेने दिकत होने लगी मंदिर के पास जाकर ठीक होगई। वापसी में स्वास की दिकत होने लगी पूछने पर वहां( ऑक्सीजन का साधन न होने) की जानकारी मिली।टिहरी बांध प्रभावित काला पानी एरिया प्रतापनगर कंडियाल गावँ उपली रमोली टिहरी गढ़वाल के खच्चरो के मालिक सज्जन मिले ।उन्होंने ढाबे वालों से गर्म पानी मांगा गर्म पानी पीने के बाद वापिस अपने घोड़े के मालिक प्रदीप के पास आये ।वापसी में माँ यमुना को दण्ड बत प्रणाम कर वापिस आने लगे ।इन सभी निवासियों में इनके मानवीय गुणों को देखकर मा यमुना ने यहाँ वास किया है ।वहाँ उनके आदर सत्कार से हमारी थकान मिट गई ।2.45 पर आसमान हमे वापस जाने का संकेत मिले।(पू0उपाध्यक्ष पवन उनियाल जी भागवतकथा ज्ञान में रहने के चलते के कथा में आने के लिये आग्रह किया परन्तु भाई जी तबियत को देखते हुए उनसे छमा याचना की)6
यात्रा मार्ग में जो कमियां दिखाई दी
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हम घोड़े पर बैठकर जाने वाले यात्रियों के घुटने, कन्धा एवं सर पहाड़ पर टकर लग जाती है। पहाड़ की ओर सड़क की अतिरक्त कॉटन करने की अत्यंत आवश्यक है ।

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