किडनी रैकेट का खेल, पुलिस ने दो को किया गिरफ्तार

Pahado Ki Goonj

देहरादून।  आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की किडनी निकालकर उन्हें खाड़ी देश के अमीर शेखों को बेचने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के गिरोह का उत्तराखंड पुलिस ने सोमवार को भंडाफोड़ कर दिया। यह अवैध कारोबार उत्तरांचल डेंटल कॉलेज लालतप्पड़ डोईवाला के परिसर में स्थित गंगोत्री चैरिटेबल हास्पिटल में चल रहा था। यहां तीन महीनों के दरम्यान ही 25 से ज्यादा लोगों की किडनी ट्रांसप्लांट करने की बात सामने आई है। मुंबई निवासी के गिरोह के सदस्य को गिरफ्तार कर लिया गया है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि अस्पताल को सीज कर दिया है।

किडनी ट्रांसप्लांट कराने आए चार ओमान नागरिकों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली समेत देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को भी अलर्ट कर दिया गया है। बताया गया कि, विदेशी पर्यटक बनकर यहां किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आते थे। गिरोह उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों के गरीब लोगों को झांसे में लेकर यह गोरखधंधा चलाते थे। इस सिलसिले में पुलिस ने अस्पताल के डॉक्टरों, स्टाफ समेत 15 लोगों के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।

किडनी बेचने के अवैध कारोबार की भनक लगने के बाद से हरिद्वार पुलिस गिरोह की सुरागरशी में लगी थी। सोमवार सुबह सप्तऋषि पुलिस चौकी पर चेकिंग के दौरान पकड़ी गई इनोवा गाड़ी में किडनी बेचकर लौट रहे लोग पकड़ में आ गए। गाड़ी में सवार दो पुरुष व दो महिलाओं में से एक-एक के पेट पर पट्टी बंधी हुई थी, जिन्होंने बताया कि उन्होंने तीन-तीन लाख रुपये अपनी किडनी बेची है। इसके बाद तो हड़कंप मच गया। हरिद्वार पुलिस ने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद एसएसपी देहरादून निवेदिता कुकरेती भी टीम के साथ गंगोत्री चैरिटेबल हास्पिटल पहुंची।

अस्पताल में मिले कर्मचारियों व किडनी बेचने वालों से पूछताछ में पता चला कि अस्पताल में अधिकांश खाड़ी देशों से अमीर शेख यहां किडनी ट्रांसप्लांट कराने आते थे। जिनके लिए किडनी का इंतजाम गिरोह कोलकाता, गुजरात व अन्य राज्यों से गरीबों को लाकर करता था। किडनी के बदले गरीबों को मोटी रकम देने का लालच दिया जाता था। जांच में यह भी पता चला कि बीते 28 अगस्त को ओमान के चार नागरिक दून आए थे, जो रविवार यहां से रवाना हो गए हैं। मगर अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उन्होंने यहां किडनी ट्रांसप्लांट कराई है या नहीं।

इसकी पुष्टि के लिए ओमान नागरिकों की तलाश शुरू कर दी गई है। ओमान जाने वाली उड़ानों पर नजर रखने के इमीग्रेशन डिपार्टमेंट को विदेशी नागरिकों का ब्योरा भेज दिया गया है। गिरोह के एक सदस्य जावेद खान पुत्र सरवर खान निवासी ग्रीन पार्क सोसायटी एसजी स्कूल एसबी रोड सांताक्रूज मुंबई को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की जा रही है। जावेद मुख्य बिचौलिये की भूमिका निभाता था।

मुंबई से आते थे सर्जन

अब तक की जांच में सामने आया है कि गिरोह अब तक 25 लोगों की किडनियां निकालकर उन्हें बेच चुका है। किडनी निकालने के लिए मुंबई से सप्ताह में एक बार सर्जन गंगोत्री हास्पिटल आते थे। इस डॉक्टर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने मुंबई पुलिस से संपर्क साधा है। पुलिस के मुताबिक दून के भी कुछ डॉक्टरों की मिलीभगत सामने आई है, जिनकी इस गोरखधंधे में भूमिका की जांच शुरू कर दी गई है।

डीजीपी (उत्तराखंड) अनिल कुमार रतूड़ी का कहना है कि मामला अत्यंत गंभीर है। गिरोह के नेटवर्क की तह तक जाने के लिए एसपी ग्रामीण देहरादून की अगुआई में विशेष जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया गया है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

किडनी के अवैध कारोबार की विस्तृत जांच कराएगी सरकार

देहरादून: डोईवाला के गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में किडनी रैकेट का भांडाफोड़ होने के बाद अब प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है। सरकार ने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा पुलिस और स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों को पूरे प्रदेश में इस प्रकार के गिरोह के सक्रिय होने की आशंका के मद्देनजर शासन को रिपोर्ट देने को कहा है।

गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में किडनी के अवैध कारोबार का मामला समाने आने के बाद सरकार को भी झटका लगा है। दरअसल, इंसानी अंगों के अवैध कारोबार को लेकर लंबे समय बाद कोई मामला प्रकाश में आया है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि यह बेहद गंभीर प्रकरण है।

इस मामले की विस्तृत जांच कराई जाएगी। इसमें किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा चाहे किसी के तार कहीं से भी जुड़े हों। उन्होंने कहा कि यह भी देखा जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर ऐसे गिरोह को कोई संरक्षण तो नहीं दे रहा था। पुलिस और स्वास्थ्य महकमे को पूरे राज्य में इस तरह के मामलों में नजर रखने को कहा गया है।

उन्हें कहा गया है कि प्रत्येक जिले में इस बात पर नजर रखी जाए कि कहीं वहां भी तो इस तरह के गिरोह सक्रिय नहीं है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि फिलहाल प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। जरूरी होने पर सरकार किसी भी तरह की जांच भी कराने को तैयार रहेगी।

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