गुड न्यूज-शरीर में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए गोबर की भस्म बहुत उपयोगी है

Pahado Ki Goonj

हिन्दू सनातन संस्कृति में वर्षो से चली आ रही एक परम्परा के अनुसार जब हम किसी देवस्थान या मन्दिर में जाते है तो वहां हमे प्रसाद के साथ साथ *भभूती* मिलती है या जहां प्रसाद का भोग लगता है ।

[28/04, 10:12 am] 5855587: https://youtube.com/shorts/gqS2yOHAKQQ?feature=share
[28/04, 10:20 am] 5855587: https://youtu.be/Yy3arK8EiiI
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उस स्थान से हम पुड़िया में डालकर वो लाते है।
घरो मे हम अक्सर वार त्योहार जलते हुए कण्डो पर घी डालकर भगवान के प्रसाद चढ़ाते है।
महाकाल मंदिर में भस्मारती के बाद प्रसाद के साथ बहुत सारे लोग वो भस्म घर लेकर आते है।
यह हर मंदिर में मिलती है।
जब कोई हवन होता है ।

तब भी हम वहां से *भभूती* लाते है।
कई सिद्ध महात्मा अपनी झोली में से यह निकालकर हमे देकर बोलते है चुटकी भर पानी मे मिलाकर पानी मे पी लेना खूब फायदा होगा।
यह भभूती हम चुटकी भर मुँह में भी रख लेते है, साथ माथे पर भी ललाट पर लगा लेते है, बच्चों की नाभी और पेट पर लगाते हुए देखा है हमने।
ऐसे एक नही कई सारे उदाहरण हो सकते है *भभूती* के बारे में।

क्या इन सब के पीछे हमारी धार्मिक आस्था ही है या इन सब के पीछे कोई ऐसा कोई ठोस वैज्ञानिक कारण भी छुपा हुआ है इन कण्डो से बनी राख भभूती के बारे में जिसकी जानकारी हमे है या नही है।
तो आइए आज बात करते है वैज्ञानिक कारण की, कण्डो के ऊपर घी डालकर जो राख *(भभूती)* बनती है उसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमे क्या फायदा मिलता है।

*भभूती खाने या भभूती युक्त पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता*

वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन की अधिकतम मात्रा *21%* है, लेकिन यह मात्रा भारत के किसी गाँव में *18 या 19%* से ज्यादा नही है और शहरों में तो *11 या 12°/*. तक ही है।
भारतीय गाय के ताज़ा गोबर में *प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा 23%* है। जब इस गोबर को सुखा कर कण्डा बनाया जाता है तो इसमें *ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 27% हो जाती है।* जब इस कण्डे को जलाकर कोयला बनाते हैं तो इसमें *ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 30% हो जाती है।* इसी कोयले को फिर से जलाकर भस्म बना देने पर *प्राणवायु 46.6% हो जाती है*। जब भस्म को दोबारा जलाकर विशुद्ध भस्म बनाते हैं तो *इसमें 60% तक प्राणवायु आ जाता है।* जब कि मॉडर्न विज्ञान कहता है कि किसी भी वस्तु को प्रोसेस करने से उसमें हानि होती है।
*10 लीटर जल में अगर 25 ग्राम भस्म मिला दे तो जल शुद्ध होने के साथ उसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है।*

अपने घरमें गोबर कंडेका धुंआ कीजिये और राख को पीनेके पानीमें

*अग्निहोत्र भस्म*
अग्निहोत्र गौ भस्म_को ध्यान से पढ़ेगें तो पायेंगे कि यह गौ-भस्म ( राख ) आपके लिए कितनी उपयोगी है।*
साधू -संत लोग संभवतः इन्ही गुणों के कारण इसे प्रसाद रूप में भी देते थे।
*जब गोबर से बनायीं गयी भस्म इतनी उपयोगी है तो गाय कितनी उपयोगी होगी यह आप सोच सकते है।*

*आपको एक लीटर पानी में 10-15 ग्राम  यानि 3-4 चम्मच भस्म मिलाना है , उसके बाद भस्म जब पानी के तले में बैठ जाये फिर इसे पी लेना है।*
*इससे सारे पानी की अशुद्धि दूर हो जाएगी और आपको मिलेगा इतने पोषक तत्व।*
*यह लैबोटरी द्वारा प्रमाणित है।*
#तत्व_रूप / #ELEMENT_FORM
१. ऑक्सीजन  O = 46.6 %
२. सिलिकॉन  SI  = 30.12 %
३. कैल्शियम Ca = 7.71 %
४. मैग्नीशियम Mg = 2.63 %
५.  पोटैशियम K = 2.61 %
६. क्लोरीन CL = 2.43 %
७. एल्युमीनियम Al  = 2.11 %
८. फ़ास्फ़रोस P = 1.71 %
९. लोहा Fe = 1.46 %
१०. सल्फर S =1.46 %
११. सोडियम Na = 1 %
१२. टाइटेनियम Ti = 0.19 %
१३. मैग्नीज Mn =0.13 %
१४. बेरियम Ba = 0.06 %
१५. जस्ता Zn = 0.03 %
१६. स्ट्रोंटियम Sr = 0.02 %
१७. लेड Pb = 0.02 %
१८. तांबा Cu = 80 PPM
१९. वेनेडियम V=72 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१. ज़िरकोनियम Zr 38 PPM
*आक्साइड_रूप* :-
१. सिलिकाँन डाइऑक्साइड –
SIO2 = 64.44%
२. कैल्शियम ऑक्साइड
CaO =10.79 %
३. मैग्नीशियम ऑक्साइड
MgO = 4-37 %
४. एल्युमीनियम ऑक्साइड
AI2O3 = 3.99%
५. फास्फोरस पेंटाक्साइड
P2O5 = 3.93%
६. पोटेशियम ऑक्साइड
K2O = 3.14 %
७. सल्फर ऑक्साइड
SO3 = 2.79%
८. क्लोरीन  CL=2.43 %
९.  आयरन ऑक्साइड
Fe2O3=2.09%
१०. सोडियम ऑक्साइड
Na2O = 1.35 %
११.  टाइटेनियम ऑक्साइड
TiO2 = 0.32%
१२. मैंगनीज ऑक्साइड
MnO = 0.17 %
१३.  बेरियम ऑक्साइड
BaO = 0.07 %
१४.  जिंक ऑक्साइड
ZnO = 0.03%
१५.  स्ट्रोंटियम ऑक्साइड
SrO = 0.03%
१६. लेड ऑक्साइड
PbO = 0.02%
१७. वेनेडियम ऑक्साइड
V2O5 = 0.01 %
१८. कॉपर ऑक्साइड
CuO = 0.01%
१९. जिरकोनियम ऑक्साइड
ZrO2 =52 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१.  रुबिडियम ऑक्साइड
Rb2O = 32 PPM

शरीर में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए यह गोबर की भस्म बहुत उपयोगी है। महात्मा  लोग अपने साथ भस्म रखते हैं जब भोजन की व्यवस्था नहीं होती तो उनका आहार यही होता है।प्रत्येक साधु संत भस्म का पेय जल के साथ कभी कभी अवश्य लेते हैं। भस्म शरीर को शुद्ध भी करता है।

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