देहरादून वन तस्करों द्वारा काटकर ठिकाने लगा दिए गए दर्जनों प्रतिबंधित पेड़

Pahado Ki Goonj

देहरादून में वन तस्करों द्वारा काटकर ठिकाने लगा दिए गए दर्जनों प्रतिबंधित पेड़
देहरादून:पछुवादून में चोहड़पुर रेंज ग्राम पंचायत भगवानपुर जूलों में सारना नदी के किनारे *बलूनी स्कूल* से मात्र 100 मीटर की दूरी पर ग्राम समाज की भूमि से वन तस्करों द्वारा प्रतिबंधित प्रजाति के खैर के दर्जनों पेड़ काटकर ठिकाने लगा दिए गए और प्रशासन इस मामले की जानकारी होते हुए भी मौन धारण किए हुए हैं। *नई दिशा जनहित ग्रामीण विकास समिति* नामक संस्था के संस्थापक *श्री अमर सिंह कश्यप* द्वारा समाचार इंडिया को सूचना दी गई कि चोहड़पुर रेंज के भगवानपुर जूलो ग्राम सभा से दर्जनों पेड़ जो कि पूर्णतया प्रतिबंधित हैं को वन तस्करों द्वारा कुछ दिन पूर्व काट लिया गया है अमर सिंह कश्यप की सूचना पर जब हम बताए गए स्थान पर पहुँचे तो वास्तव में पाया कि वहां प्रतिबंधित खैर के दर्जनों पेड़ काटे गए हैं । इस मामले पर जब ग्राम प्रधान श्रीमती बाला देवी जी से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा गेंद वन विभाग के पाले में यह कह कर डाल दी गई कि उनके द्वारा इस पूरे प्रकरण की जानकारी वन विभाग को दे दी गई है और जब इस मामले की जानकारी चोहडपुर रेंज के रेंज ऑफिसर श्री कुलदीप पवार से लेनी चही तो उन्होंने यह कहते हुए गेंद ग्राम प्रधान के पाले में डाल दी कि हमने मामले की सूचना ग्राम प्रधान को दे दी है और इस मामले में ग्राम प्रधान और राजस्व विभाग के द्वारा ही कार्यवाही की जाएगी क्योंकि प्रतिबंधित पेड़ जो काट लिए गए हैं वह ग्राम समाज की भूमी पर थे। इस मामले पर कार्यवाही की जानकारी लेने हम सेलाकुई पुलिस चौकी पहुंचे तो चौकी प्रभारी का कहना था कि मामला पुलिस के संज्ञान में है लेकिन किसी भी पक्ष के द्वारा पुलिस को कोई लिखित तहरीर नहीं दी गई है यदि कोई पक्ष तहरीर देता है तो तहरीर आने पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर जांच की जाएगी ।अब हमारा सवाल यह बनता है कि जब प्रतिबंधित प्रजाति खैर के दर्जनों पेड़ों को कटे हुए 20 दिन से ऊपर का समय हो गया है और मामले की जानकारी होते हुए भी कोई भी पक्ष इस विषय को गंभीरता से नहीं ले रहा है ना ही किसी पक्ष ने मामला पुलिस में दर्ज कराया है जिससे मामले की जांच हो सके ऐसा लगता है कि कोई भी पक्ष इस मामले की जांच कराना ही नहीं चाहता है। पहले जब यह प्रतिबंधित पेड़ कट कर वाहनों में भरकर किसी उचित स्थान पर पेडो को ले जाया गया होगा तो जाहिर सी बात है कि इन्हें रास्तों के द्वारा ही ले जाया गया होगा और ऐसा भी नहीं है कि रास्तों पर कोई जंगलात चौकी और कोई पुलिस चौकी ना पड़ी हो और ऐसा भी नहीं है कि उन चौकियों पर कोई भी विभागीय कर्मी तैनात ना हो आखिर क्यों इस मामले को कोई भी पक्ष गंभीरता से नहीं ले रहा है।
राजिक खान

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