दर्द कागज़ पर मेरा बिकता रहा

Pahado Ki Goonj

*दर्द कागज़ पर,*
*मेरा बिकता रहा,*

*मैं बैचैन था,*
*रातभर लिखता रहा..*

*छू रहे थे सब,*
*बुलंदियाँ आसमान की,*

*मैं सितारों के बीच,*
*चाँद की तरह छिपता रहा..*

*दरख़्त होता तो,*
*कब का टूट गया होता,*

*मैं था नाज़ुक डाली,*
*जो सबके आगे झुकता रहा..*

*बदले यहाँ लोगों ने,*
*रंग अपने-अपने ढंग से,*

*रंग मेरा भी निखरा पर,*
*मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा..*

*जिनको जल्दी थी,*
*वो बढ़ चले मंज़िल की ओर,*

*मैं समन्दर से राज,*
*गहराई के सीखता रहा..!!*

*”ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट…*
*तू गुमान न कर…*

*बुलंदियाँ छू हज़ार, मगर…*
*उसके लिए कोई ‘गुनाह’ न कर.*

*कुछ बेतुके झगड़े*,
*कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने*

*जहाँ गलती नही भी थी मेरी*,
*फिर भी हाथ जोड़ दिए वहाँ मैंने*

Next Post

दो शातिर चोर गिरफ्तार, चोरी के आठ मोबाइल बरामद

देहरादून : संडे मार्केट में खरीददारी को आने वाले लोगों के मोबाइल चोरी करने वाले दो शातिर मोबाइल चोरों को डालनवाला पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से चोरी के आठ मोबाइल बरामद किए गए हैं। डालनवाला पुलिस के मुताबिक, सुषमा नेगी पत्नी शिवराज नेगी निवासी नेहरू कॉलोनी संडे […]

You May Like