सीएम ने श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पं० ललित मोहन शर्मा परिसार, के शैक्षणिक, प्रशासनिक भवन का शिलान्यास किया

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उत्तराखंड लोकसेवा आयोग 5 साल के बाद अब pcs  परीक्षा प्रति वर्ष होगी ;अध्यक्ष डॉ० राकेश कुमार

हर  संकट   के समाधान में मददगार, कार्य सिद्ध करने के लिए  काली हल्दी  घर  मे  लगाए

1. उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ० राकेश कुमार द्वारा अवगत कराया गया है कि आयोग द्वारा हाल ही में पीसीएस मुख्य परीक्षा 2021 का आयोजन दिनांक 23 से 26 फरवरी, 2023 तक सफलतापूर्वक किया गया है। उक्त पीसीएस परीक्षा 2021 के अन्तर्गत शासन से प्राप्त अधियाचन के सापेक्ष 318 रिक्त पदों हेतु कुल 256935 आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। इस हेतु प्रारम्भिक परीक्षा दिनांक 03 अप्रैल 2022 में आयोजित की गई थी। जिसके आधार पर 5636 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु सफल घोषित किया गया। मुख्य परीक्षा में 4115 अभ्यर्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिनका उपस्थिति प्रतिशत 73.01% रहा है। इससे पूर्व पीसीएस परीक्षा-2016, जिसमें 138 पदों के सापेक्ष मुख्य परीक्षा माह सितम्बर, 2017 में आयोजित की गई थी तथा मुख्य परीक्षा में कुल 1912 अभ्यर्थियों के सापेक्ष 1458 अभ्यर्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया था, जिनका उपस्थिति का प्रतिशत 76.25% रहा था। इससे यह प्रतीत होता है कि दो पीसीएस मुख्य परीक्षाओं के आयोजन के बीच 05 वर्ष से अधिक का समय लगा है अतः उपर्युक्त के दृष्टिगत आयोग के अध्यक्ष डॉ० कुमार द्वारा पीसीएस परीक्षाओं के आयोजन में निरन्तरता बनाये रखने पर जोर दिया जा रहा है।

2.
इस परिप्रेक्ष्य में डॉ० कुमार द्वारा अवगत कराया गया है कि दो पीसीएस परीक्षाओं के आयोजन के बीच समय अन्तराल को न्यूनतम करने हेतु आयोग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अभ्यर्थियों को राज्य सिविल सेवा के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के दृष्टिगत अब पीसीएस परीक्षा का आयोजन प्रतिवर्ष कराया जाना सुनिश्चित किया जाएगा और इसकी शुरूआत करते हुए आगामी पीसीएस प्रारम्भिक परीक्षा 2023 को माह जुलाई 2023 में कराया जाना प्रस्तावित किया गया है तथा शासन से प्राप्त होने वाले पीसीएस- 2023 के अधियाचन की प्रत्याशा में परीक्षा कलेण्डर वर्ष 2023 में इसे सम्मिलित किया गया है।

3.
साथ ही आगामी पीसीएस परीक्षा 2023 से परीक्षा पाठ्यक्रम को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न के अनुसार करते हुए आयोग द्वारा परीक्षा पाठ्यक्रम को अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है और इसकी संस्तुति उत्तराखण्ड शासन को हाल ही में प्रेषित कर दी गई है। उक्त अनुमोदित परीक्षा पाठ्यक्रम पैटर्न से उत्तराखण्ड राज्य के युवाओं को राज्य सिविल सेवा के साथ-साथ अखिल भारतीय सिविल सेवा की तैयारी करने में भी महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।

4.
इसके साथ-साथ आयोग द्वारा समानान्तर तौर पर अन्य परीक्षाओं का आयोजन सुनिश्चित किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत दिनांक 05 मार्च, 2023 को कनिष्ठ सहायक परीक्षा का आयोजन राज्य के लगभग 412 परीक्षा केन्द्रों पर किया जाएगा, जिसमें 145239 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया जाना है तथा माह अप्रैल में दिनांक 09 अप्रैल, 2023 को वन आरक्षी परीक्षा 617 परीक्षा केन्द्रों पर आयोजित की जाएगी, जिसमें 206431 परीक्षार्थी होंगे एवं दिनांक 23 अप्रैल, 2023 को सहायक लेखाकार परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इसी प्रकार उत्तराखण्ड न्यायिक सेवा (सिविल जज) परीक्षा 2023 हेतु माह फरवरी, 2023 में ही रिक्ति विज्ञापन जारी करते हुए दिनांक 30 अप्रैल 2023 को प्रारम्भिक परीक्षा आयोजन किया जाना प्रस्तावित किया गया है। उक्त सभी परीक्षाओं के कुशलतापूर्वक सम्पादन हेतु युद्ध स्तर पर तैयारी गतिमान है।

5.
साथ ही उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उत्तराखण्ड की अधिवासित महिलाओं हेतु क्षैतिज आरक्षण के सम्बन्ध में जो “उत्तराखण्ड लोक सेवा ( महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 जारी किया गया है, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा समस्त परीक्षाओं में उसका नियमानुसार अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है।

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विभागों द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष अधिक से अधिक राजस्व प्राप्ति के प्रयास किये जाएं। विभिन्न विभागों एवं राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का भी गहनता से अध्ययन किया जाए। जिन विभागों का लक्ष्य के हिसाब से राजस्व प्राप्ति कम है, इसके कारणों का गहनता से अध्ययन किया जाए, जहां पॉलिसी में सुधार की आवश्यकता है, वो करवाई जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में राजस्व प्राप्ति की स्थिति की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिये।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए अप्रैल में राजस्व लक्ष्य प्राप्ति के सबंध में बैठक की जायेगी। जिसमें सभी विभाग लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनी पूरी योजना बतायेंगे। जिन विभागों का अभी लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति कम है, मुख्यमंत्री ने उन विभागों के सचिवों को निर्देश दिये कि इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक इसको अधिक से अधिक बढ़ाने के प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ऊर्जा, खनन एवं वन विभाग में राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए विभागों को विशेष प्रयासों की जरूरत है। विभागीय सचिव राजस्व बढ़ाने के लिए इसकी नियमित समीक्षा करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व प्राप्ति को बढ़ाने के लिए विभागों को ऑनलाईन सिस्टम पर अधिक ध्यान देना होगा। ऑनलाईन व्यवस्थाओं से जहां सबको कार्य करने में सुविधा होती है, वहीं सिस्टम पारदर्शी भी होता है। आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर अधिक ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में कठिनाई आ रही है, इन समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय सचिवों को ही रास्ता निकालना है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए जब पूरा विश्लेषण होता है तो उसका समाधान अवश्य निकलता है।

बैठक में जानकारी दी गई कि राजस्व प्राप्ति के मुख्य स्रोत में एसजीएसटी, नोन-जीएसटी, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन फीस,परिवहन, स्टेट एक्साइज ड्यूटी में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति की स्थिति अच्छी है। ऊर्जा, वन एवं खनन में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में और प्रयासों की जरूरत है।

बैठक में वित्त मंत्री श्री प्रेमचंद अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर के. सुधांशु, सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुदंरम, श्री दिलीप जावलकर, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, श्री सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, श्री एच.सी. सेमवाल, श्री बृजेश कुमार संत, प्रमुख वन संरक्षक श्री विनोद कुमार सिंघल, अपर सचिवगण एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।

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देहरादून,  पौड़ी के मण्डल कार्यालयों को सशक्त बनाने के लिए मण्डल स्तरीय अधिकारी नियमित मण्डलीय कार्यालयों में बैठें। मण्डलायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र भी मण्डल कार्यालयों में बैठने का अपना पूरा रोस्टर जारी करें। जिससे जन समस्याओं का समाधान मण्डल स्तर पर भी हो सके। जिन मण्डलीय अधिकारियों को विभागीय निदेशालयों में भी अतिरिक्त प्रभार दिये गये हैं, यदि अति आवश्यक न हो तो उन्हें सिर्फ मण्डलीय कार्यालय में ही तैनात किया जाए। मण्डल मुख्यालय में संचालित विभागीय कार्यालयों में कार्यरत अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी अन्यत्र सम्बद्ध न किया जाए। ये निर्देश मुख्यमंत्री ने सचिवालय में जनपद पौडी़ के मण्डलीय मुख्यालय में मण्डल स्तरीय कार्यालयों के संचालन एवं पौड़ी के सर्वांगीण विकास के सबंध में समीक्षा बैठक के दौरान दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मण्डल कार्यालयों को सशक्त बनाना जरूरी है, यह सुनिश्चित किया जाए कि अधिकांश जन समस्याओं का समाधान मण्डल स्तर तक अवश्य हो जाए। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के सफल संचालन की गढ़वाल मण्डल के अधिकारियों पर बड़ी जिम्मेदारी है। चारधाम यात्रा के दौरान सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से हों इसकी भी मण्डलायुक्त द्वारा नियमित समीक्षा की जाए। तकनीकि विभागों के अधिकारियों जिनका कार्यक्षेत्र गढ़वाल मण्डल है, उन्हें नियमित मण्डल मुख्यालय में रखा जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड की चारधाम यात्रा पर जो श्रद्धालु आते हैं, उनको चारधामों के अलावा इसके आस-पास के प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन आधारित क्षेत्रों की भी जानकारी दी जाए। प्रमुख स्थलों को और विकसित किया जाए। श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा के बाद कुमाऊॅ मण्डल के प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों के बारे में भी जानकारी दी जाए, ताकि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखण्ड का पूरा भ्रमण कर सकें। सड़क कनेक्टिविटी को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पौड़ी को निर्देश दिये कि जनपद के विकास के लिए जनपद स्तर पर जो कार्ययोजना बनाई गई है, इस कार्ययोजना पर तेजी से कार्य हो इसके लिए शासन स्तर पर संबंधित विभागीय सचिवों से सम्पर्क में रहकर जनपद में कार्य तेजी से किये जाएं। उन्होंने कहा कि जनपद के विकास के लिए जो कार्ययोजना बनाई गई है इसमें धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थलों, विभिन्न क्षेत्रों की कनेक्टिविटी एवं लोगों के आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से अच्छी कार्ययोजना बनाई गई है। पौड़ी को हवाई कनेक्टिविटी से जोड़ने की योजना भी बनाई जाए।

जिलाधिकारी पौड़ी श्री आशीष चौहान ने वर्चुअल माध्यम से पौड़ी जनपद के सर्वांगीण विकास के लिए तैयार की गई योजना का विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि प्रेमनगर, गडोली, बुआखाल बाईपास बनना जरूरी है, इसके बनने से जाम की समस्या का समाधान होगा और चारधाम यात्रा के लिए कोटद्वार की साइड से जाने में भी श्रद्धालुओं को सुविधा होगी। ज्वालपा देवी- गडोली, सतपुलि-दुगड्डा एवं गडोली पाबो के बीच टनल बन जायेगा तो इससे लोगों को काफी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि पौड़ी में बस डिपो के लिए दो स्थानों का चयन किया गया गया है। जिलाधिकारी पौड़ी ने कहा कि कोटद्वार तहसील में मल्टीस्टोरी प्लाजा के लिए काफी जगह है, इसमें तहसील के अलावा मल्टीस्टोरी बिल्डिंग एवं पार्किंग की अच्छी व्यवस्था हो सकती है।
जिलाधिकारी पौड़ी ने कहा कि रांसी स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप हाई अल्टीट्यूड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के रूप में विकसित किये जाने की योजना बनाई जा रही है। पौड़ी में माउण्टेन म्यूजियम का प्रस्ताव भी रखा गया है।
ल्वाली एवं सतपुली लेक में वाटर स्पोर्ट्स की अच्छी संभावनाएं हैं, इसके लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। कोडियाला एवं देवप्रयाग में रिवर राफ्टिंग को बढ़ावा दिया जायेगा। लैंसडाउन में 4.5 लाख लीटर के वाटर टेंक बनाने की आवश्यकता है।

बैठक में विधायक श्रीमती रेनू बिष्ट, श्री राजकुमार पोरी, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के. सुधांशु, सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, श्री शैलेश बगोली, श्री बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, श्री एच.सी. सेमवाल, गढ़वाल कमिश्नर श्री सुशील कुमार, अपर सचिव श्री विनीत कुमार, श्री उदयराज, श्री जगदीश चन्द्र काण्डपाल एवं सबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ऋषिकेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा एवं स्थानीय जनता द्वारा नकल विरोधी कानून पारित किए जाने के उपलक्ष्य पर आयोजित अभिनंदन / आभार रैली में भी प्रतिभाग किया। इस दौरान बड़ी संख्या में युवाओं, महिलाओं एवं स्थानीय जनता ने मुख्यमंत्री का विभिन्न स्थानों पर स्वागत एवं अभिनंदन किया।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मेयर अनिता ममगाई, जिला अध्यक्ष रविंदर सिंह राणा एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
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मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने के सम्बन्ध में सभी सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश का 72 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र होने के कारण ईको टूरिज्म की अत्यधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा वन क्षेत्र में विभिन्न ऐसी गतिविधियां हैं जो रोजगार सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय और जनपद स्तरीय समितियों का गठन किया जा रहा है। समिति में निजी क्षेत्र की भागीदारी से अधिक अच्छे सुझाव आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र में वन विभाग और वन क्षेत्र से बाहर वन से लगे क्षेत्रों में पर्यटन विभाग विभिन्न ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए।

मुख्य सचिव ने वन क्षेत्र में बंबू हाउसेज, साइक्लिंग ट्रेल, ईको हट्स और ट्री हाउसेज के लिए अत्यधिक संभावनाएं हैं। ये गतिविधियां रोजगार सृजन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बायो डायवर्सिटी पार्क और बर्ड वॉचिंग के लिए स्थान चिन्हित कर प्रस्तुत तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जाना चाहिए। यह इंडिविजुअल प्रोडक्ट भी हो सकता है और किसी सर्किट के रूप में भी।

मुख्य सचिव ने प्रत्येक जनपद को ईको टूरिज्म कंसल्टेंट उपलब्ध कराए जाने के भी निर्देश दिए। कहा कि इससे स्थान विशिष्ट योजना बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी जनपदों से जनपदवार प्रस्ताव भेजे जाने के निर्देश दिए। कहा कि कौन जनपद क्या कर रहा है इसकी जनपदवार रैंकिंग भी की जाएगी।

मुख्य सचिव ने कहा कि इस क्षेत्र में आयुष एवं हर्बल पार्क में भी अत्यधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को विभिन्न प्रकार के अनुभव एक जगह पर देने की आवश्यकता है। जनपद अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही व्यवहारिक समस्याओं से अवगत कराएं, जिनका समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रखरखाव हेतु फंड की व्यवस्था की कमी के कारण विभिन्न योजनाएं बीच में बंद हो जाती हैं, ऐसी स्थिति से बचने के लिए इन योजनाओं के रखरखाव की दिशा में भी सिस्टम विकसित किया जा रहा है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री आर. के. सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) श्री विनोद कुमार, सचिव श्री सचिन कुर्वे, श्री बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं श्री विजय कुमार यादव सहित सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
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मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से जुड़े उद्यमियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता की। मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के लागू होने में आ रही व्यवहारिक कठिनाईयों को जानने और उनके निराकरण के सम्बन्ध में नई सोलर पॉलिसी में प्रावधान किए जाने की बात कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि उद्यमियों को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित समय में भुगतान हो इसके लिए प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के लिए एमएसएमई सब्सिडी पॉलिसी को अपनाया जाए। उन्होंने उद्यमियों को उद्यम लगाने हेतु सभी प्रकार का टेक्निकल सपोर्ट दिए जाने हेतु भी निर्देशित किया। साथ ही यूपीसीएल और पिटकुल को उद्यम लगने से पूर्व उत्पन्न सौर ऊर्जा की निकासी की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए गए।

मुख्य सचिव ने कहा कि नई सोलर पॉलिसी में उद्यमियों द्वारा दिए गए सुझावों को भी शामिल किया जाए। साथ ही, उद्यमियों को ऋण उपलब्ध कराने में हर सम्भव सहायता उपलब्ध करायी जाए।

इस अवसर पर सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुन्दरम एवं निदेशक उरेडा श्रीमती रंजना राजगुरू सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों के जिलाधिकारी एवं उद्यमी उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ऋषिकेश में श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पं० ललित मोहन शर्मा परिसार, के 2519.15 लाख लागत के शैक्षणिक, प्रशासनिक भवन का भूमि पूजन कर शिलान्यास किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय हेतु निर्धारित कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम पर आधारित “गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति“ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया ।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पं०ल०मो०शर्मा परिसर, ऋषिकेश में वर्तमान में स्नातक स्तर पर संचालित पाठ्यक्रमों (गृह विज्ञान, समाजशास्त्र, संस्कृत, शिक्षा शास्त्र, संगीत) को स्नात्तकोत्तर स्तर पर संचालित किये जाने हेतु राज्य सरकार के स्तर से परीक्षण कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने पं०ल०मा०शर्मा परिसर, ऋषिकेश में स्नातकोत्तर स्तर पर संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों हिन्दी, इतिहास, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान, भूविज्ञान एवं भूगोल में कार्यभार के अनुरूप भविष्य में पद सृजन किए जाने, विश्वविद्यालय परिसर के अधिकारियों एवं प्राध्यापकों हेतु विभिन टाईप के आवासों की डी.पी.आर बनाकर उस पर कार्य करने, ऋषिकेश क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर का प्रेक्षागृह बनाए जाने पर भारत सरकार से आग्रह करने, ऋषिकेश क्षेत्र में पार्किंग हेतु स्थल का चयन एवं डीपीआर बनाने की भी बात कही। उन्होंने कहा प्रत्येक विधानसभा की प्रमुख 10 कार्य योजनाओं को राज्य सरकार गंभीरता के साथ उन योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री श्री प्रेमचंद्र अग्रवाल द्वारा दिये गये ऋषिकेश के विकास से सम्बन्धित ज्ञापन के विभिन्न विषयों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वर्गीय श्रीदेव सुमन को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों के विद्यार्थियों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार किया। आज उच्च शिक्षा एवं देश की आजादी के लिए अदम्य साहस एवं सत्याग्रह के पर्याय श्रीदेव सुमन जी के विचारों से विद्यार्थियों में राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करने का कार्य विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। शिक्षा के सर्वशेष्ठ मापदंड स्थापित करने में उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। उच्च शिक्षा व्यक्ति और समाज के निर्माण के साथ व्यक्तित्व निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उत्तराखंड में उच्च स्तरीय शिक्षा के माध्यम से उच्च कोटि के व्यक्तित्व का निर्माण करने में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की भूमिका एवम् प्रतिबद्धता, अभूतपूर्व है। विश्विद्यालय द्वारा अर्जित की गई उपलब्धियां निश्चित रूप से विश्वविद्यालय के कुशल नेतृत्व और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के अथक परिश्रम का प्रतिफल है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में संपूर्ण विश्व हमारी शक्ति और ज्ञान परंपरा से परिचित हो रहा है। आज पूरा विश्व युवाओं के सामर्थ्य से लाभान्वित होने के लिए लालायित है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत वे सभी विभिन्न क्षेत्रों में समाज को नेतृत्व प्रदान करेंगे। आज का नया भारत अपनी प्राचीन शैक्षणिक व सांस्कृतिक पद्धति को केंद्र में रखते हुए नए बदलावों की ओर अग्रसर है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत ने 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप नई शिक्षा नीति को अपनाया है। जो देश के युवाओं के संपूर्ण विकास मे अपनी की नींव रखेगी। भारत आज विज्ञान आधारित गर्वनेंस मॉडल की ओर अग्रसर है, जिसमें इकोलॉजी और इकोनॉमी का उचित समन्वय समाहित है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में नकल विरोधी कानून को लागू किया जाना, उत्तराखंड के भविष्य यानि युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा यह नकल विरोधी कानून स्कूल व कॉलेजों में होने वाली परीक्षाओं के लिए नही अपितु प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए है। आपराधिक रूप से परीक्षाओं में नकल करवाने वाले लोगों को यह सरकार जेल के अंदर डालेगी। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य में जी-20 की जिन 3 बैठकों का आयोजन होना है। उस दौरान हम अपनी सांस्कृतिक विरासत, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का कार्य करेंगे। जी 20 के माध्यम से भारत लोकल टू ग्लोबल की दिशा में कार्य कर रहा है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘ के स्वप्न को साकार करने हेतु उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार निरंतर कार्य कर रही है। राज्य सरकार के ‘सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड‘ निर्माण के अपने ‘विकल्प रहित संकल्प‘ से 21वी सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिये प्रयासरत है। हमारी सरकार प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा आगामी चार धाम यात्रा में पिछले वर्ष के मुकाबले और अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावनाएं हैं। जिसके लिए राज्य सरकार पूरी तेजी से कार्य कर रही है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि आप लोग भी सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड के निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।आगामी वर्षों में उत्तराखंड देश का सबसे समृद्धशाली और सशक्त राज्य हो, इस भावना के साथ हम सभी को साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि नकल विरोधी कानून, सरकारी नौकरी में 30þ महिला आरक्षण जैसे फैसलों से मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में एक नया इतिहास बनाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड लगातार आगे बढ़ रहा है पूरे प्रदेश में आज चौतरफा विकास कार्य हो रहे हैं।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मेयर अनिता ममगाई, कुलपति प्रो० महाबीर सिंह रावत( श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड वि०वि०), अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य महिला आयोग श्रीमती कुसुम कंडवाल, अपर सचिव उच्च शिक्षा प्रशांत आर्या, कुलसचिव खेमराज भट्ट, जिला अध्यक्ष भाजपा रविंदर सिंह राणा, एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

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