उत्तराखण्ड से राज्यसभा के लिए बीजेपी प्रत्याशी अनिल बलूनी के नामांकन के साथ

Pahado Ki Goonj

उत्तराखण्ड से राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी प्रत्याशी अनिल बलूनी के नामांकन के साथ ही उनके उच्च सदन जाने का रास्ता भी साफ़ हो गया है,कारण न तो उनके खिलाफ कोई अन्य चुनाव में खड़ा है और यदि कोई उनके खिलाफ खड़ा होता भी तो बीजेपी के 69मे से 56 विधायकों के बलबूते बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर उनकी जीत पक्की थी। पौड़ी के डांडा नागराजा नकोट गांव निवासी अनिल बलूनी के नामांकन के साथ ही उन सभी नेताओं की कथित उम्मीदवारी पर भी विराम लग गया जो क्षेत्रीय,जातीय आदि संतुलन की दुहाई देकर अपनी दावेदारी का दबाव बना रहे थे,बीजेपी हाई कमान ने दावेदारी कर रहे प्रदेश और बीजेपी संगठन के कई दिग्गजों को दरकिनार करके एक युवा और शान्त स्वाभाव वाले राष्ट्रीय प्रवक्ता और मीडिया सेल के प्रमुख श्री अनिल बलूनी पर भरोसा दिखाया है।अनिल बलूनी को टिकट देकर बीजेपी नेतृत्व ने कई नेताओं को भी इशारो इशारों में संदेश दे दिया कि सिर्फ दबाव बनाकर या हो हल्ला करके मनमाफिक पदों की लालसा करना अब बीते दिनों की बात हो गयी,साथ ही युवा और सक्रिय लोगों को नेतृत्व देकर प्रदेश की राजनीति में एक नया सन्देश भी दिया है। अनिल बलूनी जो कि आरएसएस और बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व राज्यपाल सुन्दर सिंह भंडारी के विशेष कार्याधिकारी से लेकर उत्तराखण्ड की निशंक सरकार में वन एवं वन्य पशु समिति के अध्य्क्ष भी रहे,बाद के दिनों में पीएम नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्य्क्ष अमित शाह के विश्वस्त माने जाने वाले बलूनी,बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने,राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ साथ राष्ट्रीय अध्य्क्ष अमित शाह ने उनकी काबिलियत देखकर उन्हें मिडिया विभाग का प्रमुख बनाकर उनके कद को बढ़ाकर पहले ही उनका राजनीतिक वजन बढ़ा लिया था,जिसको प्रदेश बीजेपी के नेता ये कहकर नकारते रहे कि बलूनी न किसी से खास बातचीत करते हैं और न ही वो जनता से सीधे जुड़े है,मतलब उनको कोई भी खास महत्व नही देता था,पिछले वर्ष जब बीजेपी को उत्तराखण्ड की जनता ने प्रचंड बहुमत से 57 सीटे दी तो तब भी  बलूनी का नाम मुख्यमंत्री के लिए उछला,तब बाजी अमित शाह के साथ सहप्रभारी रहे त्रिवेन्द्र सिंह रावत के हाथ लगी,पर इस समय राज्यसभा लिए बीजेपी आलाकमान ने अनिल बलूनी को प्रत्याशी बनाकर कई सन्देश भी दिए हैं।

बलूनी एक युवा चेहरे के तौर पर प्रदेश की राजनीति में एक नई धुरी बन रहे है अभी तक खण्डूरी, कोश्यारी और निशंक के खेमो में बंटी बीजेपी अब त्रिवेंद्र,बलूनी और धन सिंह रावत जैसे आरएसएस,हाई कमान के करीबी नेताओ के नेतृत्व में जाती दिख रही है।
अनिल बलूनी के बहाने हाई कमान ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए नेताओ के साथ साथ अन्य लोगों को भी सन्देश दिया कि सिर्फ हो हल्ला नही बल्कि काम करके अपनी जगह सुनिश्चित करिए। अगले साल होने वाले आम चुनाव में बीसी खण्डूरी और काफी सम्भव है कि बी एस कोश्यारी भी रिटायर हो जायेंगे ऐसी स्थिति में उनकी जगह भी बीजेपी में युवा चेहरों को लाकर बीजेपी में नए नेतृव को तैयार किया जा सकता है,ऐसी स्थिति में साकेत बहुगुणा,शौर्य डोभाल,जनरल विपिन रावत,कर्नल अजय कोठियाल में से किसी को भी को टिहरी ,पौड़ी से प्रत्याशी बनाया जा सकता है हालाँकि तीरथ रावत,मुन्ना चौहान आदि नेता भी लोकसभा टिकट की इन सीटों से दावेदारी कर सकते हैं, नैनीताल सीट से काफी सम्भव है कि अजय भट्ट बीजेपी प्रत्याशी बन जाये। बहरहाल अनिल बलूनी को राज्यसभा में भेजकर बीजेपी ने प्रदेश में नए नेतृत्व का विकल्प जरूर तैयार किया है,ब्राह्मण परिवार से तालुकात रखने वाले अनिल बलूनी को प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मणों को साधने की पूरी कोशिश की है यदि क्षेत्रीय संतुलन में देखा जाये तो श्री बलूनी पौड़ी से आते हैं, पौड़ी से बीजेपी में कई दिग्गज मौजूद है जैसे सीएम त्रिवेंद्र रावत के अलावा पूर्व सीएम बीसी खण्डूरी,रमेश पोखरियाल निशंक,सतपाल महाराज,डॉ हरक सिंह रावत,तीरथ रावत ,डॉ धन सिंह रावत आदि इन सबकी अपेक्षा बलूनी सर्वाधिक युवा नेता है मतलब साफ है कि इन सब नेताओ पर भी बलूनी के नाम का दबाव भविष्य में नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति में हो सकता है,सर्वाधिक असहज पूर्व सीएम ,हरिद्वार साँसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक हो रहे होंगे क्योंकि आज तक निशंक खण्डूरी,कोश्यारी में अपेक्षाकृत युवा और सक्रिय नेता है,डॉ निशंक सक्रिय तो बहुत है लोकसभा में समय समय पर वे उत्तराखण्ड सहित हिमालय की समस्या उठाते रहते है लेकिन उनकी छटपटाहट सीएम बनने की है,जो फिलहाल सम्भव नजर नही आ रही है, बलूनी जैसे युवा और सक्रिय नेता के राज्यसभा में आने से डॉ निशंक की काट जरूर बीजेपी को मिल गयी लगती है,असल में डॉ निशंक और अनिल बलूनी दोनों पौड़ी जिले के हैं और ब्राह्मण है ऐसे में डॉ निशंक के अभी तक युवा और ब्राह्मण चेहरे वाले चेहरे के विकल्प के रूप में बलूनी की राज्यसभा में एंट्री निशंक के लिए जरूर प्रतिस्पर्धात्मक हो सकती है। बहरहाल पलायन का दंश झेल रहे,विषम भौगोलिक स्थिति वाले राज्य में आज बेरोजगारी ,स्थायी राजधानी जैसे ज्वलन्त मुद्दे हैं जिनके लिए जनता आंदोलन कर रही है,ऐसे में श्री बलूनी यदि राज्यसभा में पहाड़ो की समस्या को उठाते है तो निश्चित उसका लाभ प्रदेश को मिलेगा जिसकी चाह सभी प्रदेशवासियों को है, बलूनी के पहाड़ी मूल और पहाड़ी होने का फायदा जब पहाड़ को मिलेगा तभी राज्य की जनता समझ पायेगी कि हाँ वास्तव में हमारे बीच का आदमी हमारी बात संसद में उठा रहा है,वरना हाई कमान को खुश करके उत्तराखण्ड के कई नेताओं ने संसद का सफर तय जरूर किया लेकिन वहाँ पर कभी भी प्रभावी रूप से पहाड़ी प्रदेश की समस्या नही उठा सके, बलूनी राज्य की अपेक्षाओं पर खरे उतरकर अपनी योग्यता और विध्वता का लाभ पहाड़ी प्रदेश को देंगे,ऐसी मेरी युवा नेता से प्रदेश के एक नागरिक के तौर पर अपेक्षाएं है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में सोमवार को विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार अनिल बलूनी ने राज्यसभा हेतु नामांकन किया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत, मदन कौशिक, अरविन्द पाण्डेय, सांसद अजय टम्टा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट सहित विधायकगण एवं भाजपा नेता उपस्थित थे।

चन्द्रशेखर पैन्यूली।

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