कृत्रिम कोरोना ने जहां मानव को मारा वहीं मीडिया ने हिंदी को भी बेचारा कर काढ़ा ने डूबते को तिनके का सहारा दिया

Pahado Ki Goonj

राकेश मोहन थपलियाल  की रचना

*⚡☺️:-:कोरोनाकाल में बेचारी हिन्दी :-:☺️🏹*

“”” 😷कोरोनकाल में
*हिन्दी* का प्रयोग घटा है
‘ दहशत ‘ की जगह
‘ पैनिक ‘ शब्द आ डटा है
🤦‍♂️
वायरस देखकर –
हिन्दी शब्दों की ख़पत घटी है।
अब हमारी बातचीत में,
विटामिन-सी, जिंक,
स्टीम और इम्यूनिटी है।

उधर ‘ सकारात्मक ‘ की जगह ,
‘ पॉजिटिव ‘ शब्द ने हथियाई है ।
इधर ‘ नेगेटिव ‘ होने पर भी ,
खुशी है ,बधाई है ।😄

अब ज़िन्दगी में ‘ महत्वपूर्ण कार्य ‘ नहीं
‘ इम्पोर्टेन्ट टास्क ‘ हैं ।
हमारे नए आदर्श अब हैंडवाश ,
सेनिटाइजर और मास्क हैं ।

हिन्दी के अनेक शब्द
सेल्फ क्वारेन्टीन हैं ।
कुछ आइसोलेशन में हैं ,
कुछ बेहद ग़मगीन हैं ।

मित्रों ,इस कोरोनकाल में , 🤷🏼‍♂️
हमारे साथ ,
हिन्दी की शब्दावली भी डगमगाई है ।😇
वो तो सिर्फ _*” काढ़ा “*_ है ,🤭
_जिसने हिन्दी की जान 🙏🙏💐💐बचाई है।_”””
*⚡🤓🤔🤓🏹*

के संदर्भ में सोचना है देश की सरकार को

देहरादून,वर्ष 1977 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री महान विद्वान वकील स्व. श्री राज नारायण ने आयुर्वेद bams के वैद्य को डॉ का दर्जा दिलाया।(आज ज्यादा सेवा वही राष्ट्रीय कार्यक्रमों को चलाने में दे रहे हैं,) यानि हमारी वेद भाष हिंदी की माँ संस्कृत को बढ़ावा दिया जाएगा।
तव विदेशी भाषा मे कार्य करने वाली दवा mn कम्पनियों ने साजिस रची कि भारत के संसद में संसदीय समिति बना कर उनके द्वारा विल पास कराकर घर के वैद्योहै को नुकसान पहुंचा दिया है

। ताकि विश्व की दूसरी आवादी के देश में घरेलू दवा, नुस्खे उपचार के लिए मार्केटिंग करने पर उन्हें

कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी अब महामारी में

हैं हिंदी शब्द जो लिखा जारहा है काढ़ा,

( हमारे पास एड्स, कैंसर, कोविद नॉवल -19 की सभी प्रकार महामारी की दवा हमारे वैद्य तीन पुस्तों से शोध कार्य कर सभी aiims ,pgi ,tata ,वेदांत, सेंट्रो से हारे हुए मरीजों को ठीक करने वाले देहरादून उत्तराखंड में हैं वह खुला बाजार में दवा बेचने से बड़ी कम्पनियों की दादागिरी से बनवाये गये कानून से लाचार हैं )में हिंदी और संस्कृत भाषा बचाने के लिए

मीडिया में डूबते

हुये को तिनके का सहारा दिखाई दे रहा है। भगवान हिंदी बचाने के लिए सद्बबुद्धि दे ।

विदेशी शब्दों भाषा के शब्दों का मीडिया ने ज्यादा प्रचार प्रसार कर हिन्दी को कमजोर किया है। संस्कृत के शब्दों को दुनिया के वैज्ञानिकों ने माना है ।

जो आज विश्व में कम्प्यूटर की भाषा है। सभी भाषाओं की माँ बनगई। (1982 ,में राज नारायण जी के संग उक्त वार्ता के प्रसंग किसी और समय पर)
दुनिया को तीन शक्ति चला रही है। विश्व बैंक, मल्टीनेशनल कंपनी और मीडिया।  समाचार,

सुझाव ,प्रगति आख्या ,विज्ञापन के लिए संपर्क मो07983825336

ईमेल :pahadonkigoonj@gmail.com

 

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