लॉकडाउन से टिहरी झील में बोट व्यवसायियों के सामने रोजी रोटी का संकट

Pahado Ki Goonj

टिहरी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए किए गए लॉकडाउन का असर सभी तरफ देखा जा रहा है। इससे पर्यटन व्यवसाय भी खासा प्रभावित हुआ है। साथ ही पर्यटन कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। टिहरी झील में बोट व्यवसायियों के सामने तो रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है, जिससे करीब 400 से अधिक लोग जुड़े हुए है। इनके सामने टाडा का टैक्स और बैंक से लिए गए लोन को भरने के लिए पैसे नहीं है। ऐसे में इन लोगों ने सरकार से टैक्स माफ करने की मांग की है।
42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील अप्रैल, मई और जून माह में पर्यटकों से गुलजार रहती थी। यहां दूर दराज से वॉटर एडवेंचर स्पोर्टस के शौकीन लोग पहुंचते थे। लेकिन कोरोना महामारी के बाद से लॉकडाउन से जहां लोग अपने घरों में कैद है वहीं, पर्यटन व्यवसाय भी पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। पर्यटन कारोबारियों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। टिहरी झील में बोटिंग प्वाइंट इन दिनों सुनसान है और बोट व्यवसायियों के सामने टिहरी झील विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण टाडा और बैंक को लोन की किश्त देने के लिए पैसे नहीं है। बोट व्यवसायियों का कहना है कि वे लोग तीन महीने के सीजन में पैसा कमाते हैं और टाडा को 60 हजार पर एयर और बैंक की किश्त भरते हैं।ं साथ ही टाडा द्वारा उनसे प्रत्येक टिकट पर 15 रुपये भी लिए जाते हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते कोरोबार पूरी तरह से ठप है। ऐसे में उनके पास पैसे भी नहीं है। अब वे लोग टाडा और बैंक को कैसे पैसे देंगे। इसकी चिन्ता उनके सामने है। साथ ही रोजी रोटी का संकट भी पैदा होने लगा है, जिस पर उन्होंने सरकार से टाडा को दिए जाने वाले टैक्स को माफ करने की मांग की है। टिहरी झील बोट यूनियन के अध्यक्ष लखवीर चैहान का कहना है कि लॉकडाउन से उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है और अब वो किस तरह से टाडा और बैंक को किश्त देंगे। यह सबसे बड़ी परेशानी है। ऐसे में सरकार को टाडा को दिए जाने वाले टैक्स को माफ करना चाहिए और बोट व्यवसायियों को भी कुछ अनुदान राशि देनी चाहिए, जिससे वो अपनी रोजी रोटी चला सकें। इस मुश्किल की घड़ी में अपना जीवन यापन कर सकें।

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