साइंटिफिक-एनालिसिस नेहरू व मोदी की देश की प्रति सोच में पृथ्वी व चन्द्रमा से ज्यादा दूरी -युवा वैज्ञानिक डॉ शैलेन्द्र कुमार

Pahado Ki Goonj

🔭साइंटिफिक-एनालिसिस🔬

नेहरू व मोदी की देश की प्रति सोच में पृथ्वी व चन्द्रमा से ज्यादा दूरी ….

चन्द्रयान-3 के सफलतापूर्वक चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद वैज्ञानिकों को बधाईयां देने के नाम पर उनका क्रैडिट लूटने का राजनैतिक सत्ता का खेल चल रहा हैं |

इसी दौरान इसरों की स्थापना वैज्ञानिक विक्रम साराभाई व उनको लेकर आने वाले भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी का जीक्र हो रहा हैं |

अब आप भारत के एक और युवा वैज्ञानिक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा हुआ आधिकारिक पत्र 04-10-2015 का पढ लिजिए जो करीबन 10 बार उन्हें भेजा चुका हैं, इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर भी व्यक्तिगत रूप से देना शामिल हैं | आप उनके ही फेसबुक पेज (http://www.facebook.com/shailendrakumarbirani) पर क्लिक करके सीधे तारीख के रूप में दर्ज समय के साथ पढ सकते हैं | इस पर इन्होंने जो कुछ भी करा वो आपने देखा हैं…. कोरोना वायरस आकर लाखों की जिंदगी लील गया |

इससे आपको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू व आज के प्रधानमंत्री मोदी की देश के प्रति सोच में पृथ्वी व चंद्रमा से ज्यादा दूरी का अन्तर नजर आयेगा |

Scientific-analysis on Current News

सेवामे,
प्रधानमंत्री महोदय
(वर्तमान पदासीन :- श्री नरेंद्र मोदी)
भारत सरकार

विषय:- स्वाइन फ्लू के बाद अब आने वाले नये “महाविनाश” को पहले ही रोकने हेतु व व्यवसाहिक, आर्थिक, सामाजिक, राष्ट्रीय प्रबंधन के तौर पर उच्चाईयो के नये शिखर को छूते हुये लाखो-करोडो नई नौकरियों की सौगात देश को देकर पुरी दुनिया में परचम लहराने हेतु आपसे मिलने का अतिशीघ्र समय बाबत |

महोदय जी,

गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर आपके कार्यवहन के दौरान आपसे आधिकारिक मुलाकात का में सौभाग्य प्राप्त कर चूका हु | कई धरातली प्रबंधन के कारण में निर्धारित समय से चार घंटे विलम्भ से पहुंच पाया इसके बावजूद भी आपने मुलाकात करी व सरकार की तरफ से खुला ऑफर दिया की मुझे क्या चाहिए | स्वास्थ्य से जुड़े होने के कारण आपने आगे स्वास्थ्य मंत्री के पास भेजा |

पुरी दुनिया के रिकॉर्ड को जांचने के बाद भारत सरकार से जारी पेटेंट नंबर 202881 अब कई आगे जा चुका है | उस समय मैंने जितनी भी बड़ी-बड़ी बाते कही व आपको अविश्वसनीय लगी होगी परन्तु यह सब मूर्त रूप में बदल चुकी है व दुनिया की कई नामी-गिनामी संस्थाओ से इसके समर्थन में व्यक्तिगत मामला होते हुये भी आधिकारिक जवाब मिले | इनमे से प्रमुख इस प्रकार है …… सयुक्त राष्ट्रसंघ (26-07-2008), अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसाइटी जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड (24-08-2011), द ग्लोबल फण्ड (20-06-2011), बिल एंड मेलेना गेट्स फाउंडेशन अमेरिका (06-08-2009), द क्लिंटन फाउंडेशन अमेरिका (25-03-2009) इत्यादि |

यूनाइटेड स्टेट अमेरिका में स्वास्थ्य कानून बना व लोगो के लिए फायदेमंद होने के कारण वह ओबामाकेयर कहलाया | इसके बनाने के पूर्व मैंने भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा जी को अपने अविष्कार के बारे में लिखा था | वाइट हाउस से प्राप्त प्राप्ति मेल (E-mail Dated 13-05-2009 Time: 08:51 PM Official E-mail id: president(at)messages(dot)whitehouse(dot)gov ) में मेरी बात को नया कानून बनाते समय ध्यान रखने का जिक्र था | वर्तमान में यह कानून आर्थिक कारणों के कारण फेल हो चुका व सरकार इसे वापस ले चुकी है |

मैंने भारत के राष्ट्रहित में तकनीक उन्हें नहीं दी व पुरी दुनिया के देशो से पैसा कमाने का मार्ग बताया ही नहीं था जबकि अमेरिका की वर्षो पुरानी कंपनी बिक्संस एंड डिस्कसन जिसने दुनिया में पहली बार सिरिंज का व्यवसाहिक उत्पादन किया उसका भी भविष्य में इस तकनीक पर काम करने का आधिकारिक पत्र (Dated: July 01, 2009 via USA office ) मुझे मिल चुका है |

एड्स, हेपेटाइटस, मलेरिया, डेंगू, दिमागी बुखार मेनिगजॉईंटस, व कई खून से संक्रमित होने वाली बीमारियों के बाद बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, जीका वायरस अपना कहर बरपा चुके है व अभी तक न तो इनका पुरी तरह से खात्मा हुआ और न ही इनका स्थाई ईलाज ढूढा जा सका है | इन सबके बारे में पहले से ही सावधान करता आया हु | अब यह वायरसों की चेन आगे की दिशा में बढ़ेगी जो अब तक के सबसे खतरनाक वायरस को जन्म देगी व नये महाविनाश को लायेगी | यह पुरी इंसानी सभ्यता के लिए प्रलय से कम नहीं होगा |

इन्हे कई हद तक रोकने का उपाय जो मेरे अविष्कार के रूप में मौजूद है उसे अपनाया जाता है तो कई तरह के अविश्वसनीय फायदे मिलेंगे | यह कोई जुबानी बयानबाजी नहीं अपितु दस्तावेजों के आधार पर प्रमाणित है | इसके कुछ फायदे इस प्रकार है …

*** भारत में जितने लोग प्रतिवर्ष ईलाज के लिए हॉस्पिटल जाते है उसमे 33 % फीसदी की कमी आयेगी |

*** भारत में अंतर्राष्ट्रीय क्रूड आयल के दामों के कारण पेट्रोल-डीजल के दामों में जो रोज उठा-पटक होती है वो ख़त्म हो जायेगी क्योकि नये अल्टरनेटिव सोर्स बन जाने से आर्थिक नुकसान की भरपाई उससे हो जायेगी |

***देश में करीबन 5000 नई कम्पनिया खुलेगी व लाखो -करोडो नई नौकरियाँ पैदा होगी |मेरे अविष्कार से आधारित उत्पाद बनने से पहले ही 40 से ज्यादा देशो से खरीद ने के प्रस्ताव आ चुके है उन्हें सिर्फ बना के देना है वह भी 25 % विकास दर के साथ

*** सभी देशो के अतिरिक्त सारी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाए अस्पतालों को 21 वी सदी के अनुरूप बनाने के लिए अरबो रुपये देगी व खर्च करेगी | इसमें किसी भी देश को ग्रांट मिले उसमे भारत का रोल होगा व उसका एक हिस्सा देश के आयेगा |

*** चीन व पकिस्तान सहित किसी भी देश को बिना लड़ाई के हराने का नया मार्ग मिलेगा व भी अंतराष्ट्रीय प्रतिबन्ध के विशेषाधिकार के साथ

*** भारत के पास सयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यता नहीं है व न कोई अंतर्राष्ट्रीय स्तर का केंद्र …. इस तकनीक के माध्यम से बिना किसी देश की अनुमति के एक केंद्र का निर्माण कर सकते है |

इस आविष्कार के रूप में भारत 350 वर्ष पुराने नई प्लास्टिक आधारित मेडिकल की सर्जिकल लाईने में दुनिया में अग्रणीय बन चुका है जिसका राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशन भी हो चुका है | इससे भी आगे धार्मिक पुस्तकों में भी मेरी पुरी जीवनी छप चुकी है |

व्यक्तिगत रूप से मेरे नाम व काम को कोई नहीं मिटा सकता जीने के साथ भी और मरने के बाद भी इसलिए मेरी ईच्छा है की यह छोटा सा अविष्कार लोगो तक पहुंचे व उनकी जिंदगी बचाये व राष्ट्र के लिए कामयाबी के नये द्वार खोल दे |

देश में आविष्कारों की कमी नहीं है परन्तु लोगो को पहुंचाने व सरकारी  राजस्व बढ़ाने का आज के अनुरूप कोई मार्ग नहीं है | इसके माध्यम से विकास का नया मार्ग तैयार हो जायेगा |

मेरे अब तक वर्षो में करे कार्य और विश्लेषण पर आगे कुछ भी नहीं होता तो भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योकि मुझे पता है यह विज्ञान आधारित सच्चाई का वो मार्ग है जहा इंसान के मरने के बाद भी उसे स्वीकारना पड़ता है | आपने मेण्डल के आनुवंशिकता सिद्धांत को स्कूली शिक्षा में पढ़ा है जो मटर के पोधो पर किया व प्रत्येक जीव के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने के मार्ग वाले अंधकार को दूर कर दिया | इनके मरने के 7 वर्ष बाद 3 अलग-अलग देशो के वैज्ञानिको ने अपने अनुसन्धान से वही खोजा जो मेण्डल जिंदगी भर कहते रहे थे |

आपसे मिलने का मेरा उद्देश्य है कि यदि समय रहते सजग होकर कार्य करे तो तकनीक के अनगिनत फायदे ले सकते है व वर्तमान की समस्याओ को ख़त्म कर अच्छा भविष्य बना सकते है अन्यथा भविष्य तो हमेशा ही अच्छा और सुन्दर होता है परन्तु वो वर्तमान में कभी आता नहीं है |
धन्यवाद

यह 09 अक्टूबर , 2017 को फिर 27 अक्टूबर , 2017 को आधिकारिक तौर पर पुनः स्मरण के लिए भेजा सन्देश है | इस पर आधिकारिक जवाब भी आ चूका है की यह मिल गया व पुरे मामले को पढ़ा गया है |

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