Press Maha Kumbh Haridwar on 06 January 2024 ) men ane ki  kripa kijayega 

Pahado Ki Goonj

Press Maha Kumbh Haridwar on 06 January 2024 ) men ane ki  kripa kijayega

 देश के कोने-कोने से चलो हरिद्वार। 

मिलकर लेंगे संवैधानिक अधिकार ।।

आप लोग 10 ,11 दिसम्बर 2023 को देहरादून में G20 समिट होने जा रहा है  देश विदेश के प्रतिनिधि आयेंगे हमारी बात का संज्ञान लेते हुए  माननीय प्रधानमंत्री मोदी  जी को  अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन के 110 राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष के वर्चुअल सम्मेलन में उनके समक्ष प्रेस को और  अधिक मजबूत करने के लिए अधिकार देने की बात कही थी उस पर अमल कब करेंगे?

परम आदरणीय साथियों

सादर प्रणाम,

आज देश के लोकतंत्र में प्रेस को चौथा स्तम्भ माना जाता है परंतु है नहीं बाकी तीनों के चेहरे दिखाई देते हैं राष्ट्रपति भवन, संसद, सुप्रीम कोर्ट, प्रेस का चेहरा दिखाई नहीं देता है।वह जमीन पर फोटोग्राफी के लिए अछूता है, कोर ना काल में 350 से ज्यादा लोगों को अछूत समझे जाने वाले अपने बलिदान देने के बाद भी उनको सरकारी अनुग्रह राशि नहीं दी गई है, पत्रकार को संवैधानिक अधिकार देने के लिए  30 मई 2021 से 5 जून  तक अपने निवास स्थान लिख वार गाँव प्रतापनगर  में धरना प्रदर्शन मोन व्रत लेते हुए किय है

12 अक्टूबर को हरिद्वार में श्राद्ध tarpan

इस तरह के अन्य कार्य भी है जिसमें पत्रकार की जहाँ अवहेलना होती है और इस तरह के कार्यक्रम से उनकी इजत नहीं किया करते हैं, परिवार के लोग भी दूसरे भाव से देखते हैं, पत्रकारिता करने वाले लोगों को अछूत समझ रखने वाले लोगों को सही दिशा देने के लिए संदेश दिया जाने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम देश में होना आवश्यक है। 7 जून2023 से देहरादून गांधी पार्क में सुबह धरनास्थल पर धरना प्रदर्शन मोन व्रत 

इस उद्येश्य के लिए प्रेस महाकुंभ के आयोजन करने के लिए मन में जुनून पैदा होगया है । प्रेस महा कुम्भ करने से देस के सामने हम सभी परेशानियों को रखते हुए अपने आप को अछे ढ़ंग से पेश करने में सक्षम होंगे और देश के प्रेस आपकी दुनिया में पहचान अछि बनेगी, मुख्य आकर्षण अखबारों की प्रस्तुति के प्रदर्शनी के द्वारा बुलाए गए मीडिया साथियों की प्रकाशित खबरों को pradrashni में अवलोकन करने के लिए रखा जाएगा।आपका स्वागत करते हुए टीवी के माध्यम से दुनिया के सामने परिवार के साथ परिचय किया जाएगा ।प्रेस महा कुम्भ आपको देश विदेश में जान पहचान दिलाने के साथ साथ आपको आय देना सुरु करेगा ! महा कुम्भ आपको देने के लायक बनाने की Yojana के liye किया जाने वाला है।

350 से ज्यादा पत्रकार अछूत समझे जाने वाले   लोगों ने कोरों ना  में बलिदान दिया

यहां आने वाले पत्रकार अछूत समझे जाने वाले ही देशवासियों को alag disha देंगे ! इस प्रेस महा कुम्भ के माध्यम से आपकी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लेकर आने की संभावना के लिए आप सौभाग्यशाली लोगों की ज्यादा संख्या को देखते हुए बनाने का प्रयास है।इस press maha कुम्भ मेला में आयोजित कार्यक्रम की film बना कर उस की आय का सबके साथ सहयोग के प्रयास करेंगे !आय को सभी को देने केलिए उनके account men भेजने का काम किया जायेगा ।

य़ह विश्व में प्रथम प्रयास किया जा रहा है। विश्व स्तर पर देश के लिए गौरवांवित करनेवाले महा कुम्भ आपको कलियुग में स्वधर्म पालन करने में सक्षम बनाने के लिए अल्प प्रयास है। हमारा लक्ष्य प्रेस को शक्ति दिलाने के लिए संवैधानिक अधिकार दिलाने का कार्यक्रम है। कलयुग में संघ मे शक्ति का संचार महा कुम्भ मे आकार सरकार को एक आवाज में बोल कर बताने का प्रयास कीजिएगा,

अपको याद होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति बाउडन द्वारा बुलाए गए

विश्व के 110 राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष के बीच माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 110 राष्ट्रों के वर्चुअल सम्मेलन में मीडिया को और अधिकार देने के लिए वचन दिसम्बर 2021 में दिया है ।हम प्रेस महा कुम्भ के माध्यम से उसे पूर्ण करने के लिए मान्यवर प्रधानमंत्री जी से उनके कहे हुए वचन को पूरा करने की अपील करेंगे ।आप लोगों के बीच दीपावली के बाद प्रेस कुम्भ के प्रतीक गंगाजल कलश को दर्शन करने के साथ साथ निमन्त्रण कार्ड देने के लिए प्रत्येक राज्य की राजधानी में आने का प्रयास करेंगे,

हमारा आपसे अनुरोध है कि इस पुण्य कार्यक्रम को देखते हुए आप अपने माध्यम से प्रधानमंत्री जी तक पहुंचाने के लिये प्रकाशित कीजिएगा। इस समय 5 राज्यों के चुनाव सभा में प्रधानमंत्री जी अपने वचनों का पालन करने के लिए जनता के बीच अपनी बात को प्रमुखता से दोहराया करेंगे तभी आपकी सफल होने की शुरूवात होगई है। हमारे उत्तराखंड प्रदेश के मीडिया साथी बड़े उत्साहित हैं कि जैसे 2013 में पत्रकार साथियों की मांगों के लिए जुलाई 2013 से मई 2014 तक संघर्ष किया है और अन्य मांगों के साथ साथ न्यूज पोर्टल को विज्ञापन दिलाने के लिए मान्यवर विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष की संस्तुति माननीय मुख्यमंत्री को भेजकर वैधानिक कार्रवाई कराने के लिए अपनी संघ की शक्ति का प्रयोग करने में सफल रहे हैं।

उसी का परिणाम है कि 2013 में सुविधाजनक स्थान से 5 पोर्टल चलते थे आज उत्तराखंड में ofc लाइन बिछाने का काम 2015 से किया गया है।उसी का परिणाम है कि आज 2400 से ज्यादा लोगों को पोर्टल से जहां रोज़गार मिल रहा है वहीं 5,5 घण्टे बैंकों में ग्राहकों को अपने रुपये लेने के लिए लाइन में खड़े होने से बचाने का काम किया है।

साथियों को हमे याद दिलाने में हर्ष हो रहा है कि 2012 से पहले श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की आय 11 करोड़ रुपए तक रहीं, हमारे श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी संघ के संरक्षक बनाने के बाद हमारे सुझाव पर ध्यान देने के बाद उनके अमली जामा पहनाने के पर आज 80 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय बढ़ाने का प्रयास दिखाई दे रहा है। आपसे मिलने से पहले श्री बद्रीनाथ धाम में कोरोंना काल में 350 से ज्यादा पत्रकार साथियों ने अपना बलिदान दिया है।उनका श्राद्ध तर्पण करना चाहते हैं ।

हरिद्वार में प्रेस महा कुम्भ  गंगा जल कलश की  पूजा-अर्चना करते हुए ,अब श्री बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना के लिए जाना

और श्री बद्रीनाथ जी से महा कुम्भ को सफ़ल बनाने के लिए प्रार्थना करने जाना चाहते हैं।साथियो प्रश्न य़ह है कि जिस प्रकार हम पत्रकार बनकर काम करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होने पर भी आपको अछूता मानते हैं। और बुरी नजर से देखते हुए आपके साथ कभी-कभी अशोभनीय कार्य सरकारें और उनके अधिकारियों द्वारा किया जाता है, परंतु चौथा स्तम्भ होने के नाते हम देश को चलाने के लिए नई दिशा देने के लिए सकारात्मक भूमिका अदा कर योगदान दिया करेंगे। हमारा सौभाग्यशाली लक्ष्य प्रेस महा कुम्भ को सफ़ल बनाना है ।हमारे सुझावों पर सरकार विचार करने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार लाने का अल्प प्रयास करना है ।देश में पत्रकार ही है जिसकी बात को कोई काट नहीं सकता है। हमने आपके अंदर बैठे हनुमानजी को जगाने का काम शुरू कर दिया है।

हमारा यह मानना है कि य़ह प्रेस महा कुम्भ देश की जनता को खुशहाल जीवन जीने के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए जहाँ काम करेंगे वहाँ मीडिया को खोई हुई प्रतिष्ठा में इजाफा करने के लिए सफल होगा।

आपके द्वारा दिए जाने वाले सुझावों को माननीय सांसदों के द्वारा दिल्ली में शिविर लगा कर संस्तुति के साथ सरकार को भेज कर लागू कराने का प्रयास रहेगा । 14 को

दीपावली पर्व है।16 नवम्बर से  देश के राज्यों की राजधानियों  में जाने मे 28 दिन  हवाई जहाज की यात्रा से 13 दिसम्बर तक लगेगें, जिसमें  4lakh तक दो लोगों का आने वाला है,

शुभ दिन 06 जनवरी 2024 को  प्रेस महा कुम्भ है। 22 दिन  महा कुम्भ  को सफ़ल बनाने के लिए अल्प समय में  यथा संभव  प्रयास करेंगे। उदेश्य को देखते हुए  गरीब पत्रकारिता करने वाले लोगों को साधन के  अभाव में जीवन सफल बनाने के लिए अपनी एकता  का परिचय देना है।

श्री बद्रीनाथ की कृपा से हमारे वचन अवश्य  पूर्ण करने मे जनता के भावना को श्री बद्रीनाथ केदारनाथ देखते हुए  करते हैं  

इस प्रस्ताव को संसद में पेश कराया जाने के लिए आज समय की मांग है।सभी लोग इस अभियान को सफल बनाने के लिए एक विशेष सहानुभूति बनाए रखने की जरूरत है और देश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत करने के लिए स्वधर्म का पालन कर ने की प्रार्थना करते हैं जय badrivishal देश हो खुशहाल आपका साथी जीतमणि पैन्यूली संयोजक प्रेस महाकुंभ 7983825336  पर संपर्क कीजिएगा । बूंद-2 से ghada  bhartaa है 

आप प्रेस  को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए सौभाग्यशाली बनाने के लिए  प्रेस  महा कुम्भ के प्रति निधियों को धर्मिक स्थल पर दान करने का  पुण्य कर्म आर्थिक सहायता प्रदान करने वाले बने, सहायता के लिए paytam no 9456334283,

a/c name Jeetamani  No 705010110007648IFSCode:BKID0007050 bank of India  Dehradun दान देने वाले लोगों को दान का महत्व के खर्च का व्योरा  अखबार के माध्यम से  प्रकाशित किया जाएगा। साथियों को निमन्त्रण कार्ड देते समय आय का हिसाब  प्रेस कांफ्रेंस में  करते हुए  सभी प्रदेशों में  जाएंगे,  यहीं  से इसके सफलता का श्रेय आपको जाएगा।

आगे पढ़ें 

 

 

विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के छठे दिन की शुरूआत विरासत साधना कार्यक्रम के साथ हुआ

 

विरासत में ’अभ्यास समूह’ द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया

 

विरासत में दक्षिण अफ्रीका से आए हुए अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के नृत्यों की जुगलबंदी प्रस्तुत की

 

विरासत में कौशिकी चक्रवर्ती ने अपने मधुर संगीत से मंत्रमुग्ध किया

 

 

देहरादून- 01 नवंबर 2023- विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के छठे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत विरासत साधना के साथ हुआ। विरासत महोत्सव 2023 स्कूली बच्चों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का एक बहुमूल्य अवसर है। आज प्रतिभागियों ने नृत्य श्रेणि में अपना शानदार प्रदर्शन देकर लोगो को मानमोहित किया ।

 

नृत्य श्रेणी में स्कूल एवं विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया, जिसमें से पहली प्रतिभागी थी ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय कि कृति यादव ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी, दूसरी प्रस्तुती दून विश्वविद्यालय की श्रृष्टि जोशी जिन्होंने कथक नृत्य का प्रदर्शन किया। तदुपरांत घुंघरू कथक संगीत माहाविद्यालय की आंशिका वर्मा ने कथक, दून इंटरनेशनल की रितवि आर्य ने भरतनाट्यम, न्यू दून ब्लॉसम्स स्कूल की नंदनी बिस्ट ने कथक, केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी की अनन्या सिंह ने भरतनाट्यम, देहरादून नेशनल अकेडमी ऑफ डिफ़ेंस की समृद्धि नौटियाल ने भरतनाट्यम, द हेरिटेज स्कूल नॉर्थ कैंपस की ऐश्वर्य पोखरियाल ने कथक , स्कॉलर्स हब डिफेंस इंस्टीट्यूट की तमन्ना रावत ने कथक, पीवाईडीएस लर्निंग एकेडमी की अर्पिता थप्लि ने कथक , दून ग्लोबल स्कूल की प्रेक्षा मित्तल जी ने भरतनाट्यम, मॉडर्न पब्लिक स्कूल की देवयनशि चौहान ने कथक, दिल्ली पब्लिक स्कूल देहरादून की अवनि गुप्ता ने भरतनाट्यम, दी दुन प्रेसीडेंसी स्कूल प्रेमनगर की हिमांशी ने भरतनाट्यम, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल की ओजस्विनि भट्ट ने कथक , हिल फाउंडेशन स्कूल की अनुष्का चौहान ने भरतनाट्यम और फील्फोट पब्लिक स्कूल देहरादून की मोलश्री राणा ने ओडिसि नृत्य की प्रस्तुति की। विरासत साघना के आयोजक श्री घनश्याम जी ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये और प्रतिभागियों का साहास बढ़ाया।

आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ डॉ. निशात मिश्रा, डीन, यूपीईएस, आनंद बर्धन, आईएएस एवं राजा रणधीर सिंह, एशिया ओलंपिक परिषद के अंतरिम अध्यक्ष ने दीप प्रज्वलन के साथ किया एवं उनके साथ रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्य भी मैजूद रहें।

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में ’अभ्यास समूह’ कृष्ण मोहन महाराज जी द्वारा गणपति वंदना के साथ हुई, इसके बाद दरबारी, शाही दरबार में किया जाने वाला कथक नृत्य, कृष्ण मोहन जी द्वारा ग़ज़ल पर नृत्य, एक तराना और एक सूफी कलाम, अमीर खुसरू द्वारा छाप तिलक प्रस्तुत किया गया। ’अभ्यास समूह’ की ओर से मीनू गारू, हीना भसीन, जया पाठक, निधि भारद्वाज, नेहा भगत, देविका दीक्षित, अक्षिका सयाल ने सहयोग किया।

नर्तकियों के परिवार में जन्मे पंडित कृष्ण मोहन महाराज, प्रसिद्ध कथक गुरु पंडित शंभु महाराज के सबसे बड़े पुत्र और पंडित बिरजू महाराज के चचेरे भाई हैं। वह लखनऊ के प्रतिष्ठित कालका बिंदादीन घराने से हैं और अपनी तकनीकी कुशलता के लिए प्रसिद्ध हैं। वह नई दिल्ली, भारत में राष्ट्रीय कथक नृत्य संस्थान, कथक केंद्र के गुरुओं में से एक हैं। ’अभ्यास’, कला, संस्कृति और सामाजिक कल्याण का एक संघ है, जिसकी स्थापना 2008 में गुरु किशन मोहन मिश्रा ने की थी। सारंगी और तबला कथक के संगीत समूह का अभिन्न अंग रहे हैं। यदि तबला, कथक के बोल, स्मृति-विद्या का अनुकरण करता है, तो सारंगी अपने संगीतमय स्वर के साथ नृत्य किए जा रहे ताल के समय-चक्र में माधुर्य जोड़कर समय को बनाए रखने में मदद करती है। गुरु किशन मोहन युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और उनका पोषण करने में विश्वास रखते हैं। अभ्यास के सुप्रशिक्षित नर्तकों की समूह प्रस्तुति का शाब्दिक अर्थ है “करत करत अभ्यास के / जड़मति होठ सुजान“, या ’अभ्यास मनुष्य को पूर्ण बनाता है’।

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति दक्षिण अफ़्रीका से नृत्य कलाकारों की टुकड़ी, त्रिभंगी नृत्य रंगमंच की रही। त्रिभंगा डांस थिएटर ने कुछ पीढ़ियों से चले आ रहे अफ्रीकी-भारतीय संबंध का जश्न मनाते हुए एक ऊर्जावान नृत्य के साथ प्रदर्शन की शुरुआत की। नर्तक प्रिया नायडू, टीमलेट्सो खलाने, कैरोलिन गोवेंडर, मोंटूसी मोटसेको, टीबाहो मोगोत्सी और सोलोमन स्कोसना ने साथ में सहयोग किया एव उनके साथ कार्यक्रम के निदेशक जयस्पेरी मूपेन मौजूद रहे।

त्रिभंगी डांस थिएटर का काम दक्षिण अफ़्रीकी संदर्भ में भारतीय नृत्य की विरासत में मिली धारणाओं को लगातार चुनौती देता है। त्रिभंगी नृत्य शैलियों का एक पूरा मिश्रण दिखाता है जहां नर्तक प्रत्येक संस्कृति के प्रति पूर्ण सम्मान और संवेदनशीलता दिखाते हुए राष्ट्र निर्माण और सामाजिक एकजुटता के आधार पर काम करते हुए एक अंतर-सांस्कृतिक संवाद में एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। जयस्पेरी मूपेन के प्रेरित निर्देशन के तहत, त्रिभंगी डांस थिएटर एक समकालीन नृत्य कंपनी है जो मूल दक्षिण अफ़्रीकी कोरियोग्राफी के निर्माण और प्रदर्शन के लिए समर्पित है। कंपनी का प्राथमिक फोकस नए काम का निर्माण और रचनात्मक प्रक्रिया में भागीदारी के माध्यम से नर्तकियों और अन्य सहयोगियों का विकास है। त्रिभंगी डांस थिएटर का दृढ़ विश्वास है कि कला मानव, सामाजिक और आर्थिक और विकास में अत्यधिक योगदान देती है। त्रिभंगी नृत्य रंगमंच कलाकार के रूप में वे देश के भीतर खुद को परिभाषित करने और स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, वे एक ऐसी पहचान की दिशा में प्रयोग और खोज कर रहे हैं जो अभी भी बन रही है।

 

यह सांस्कृतिक इतिहास का एक मार्कर भी है। उन्नीसवीं सदी के मध्य से, अफ़्रीका बड़ी संख्या में दक्षिण एशियाई लोगों का घर रहा है, मुख्यतः गिरमिटिया मज़दूरी और उसके परिणामस्वरूप होने वाले प्रवासन के कारण। युगांडा और केन्या जैसे कुछ नव स्वतंत्र देशों से ब्रिटेन में माध्यमिक प्रवास के बावजूद, कई लोग वहीं रह गए और दक्षिण अफ्रीका वर्तमान में लगभग 1.3 मिलियन दक्षिण एशियाई विरासत का घर है। अपने पीछे इस इतिहास के साथ, भरतनाट्यम, अफ्रीकी और समकालीन नृत्य में अपनी जड़ों के साथ त्रिभंगी डांस थिएटर की एक ऐसी प्रतिध्वनि है जो मनोरंजन से कहीं आगे तक जाती है। कलाकारों ने एक असंभावित संलयन के साक्ष्य के रूप में सकारात्मक ऊर्जा की लहरें छोड़ीं, जिसे एक व्यवहार्य रूप मिल गया है।

 

कलात्मक निर्देशक, जयस्पेरी मूपेन, कंपनी के मिशन को भारतीय नृत्य के बारे में प्रयोग, अन्वेषण और चुनौती देने के रूप में देखते हैं। कलाकार भारतीय और अफ्रीकी विरासत से आते हैं, जो पारंपरिक नृत्य के दोनों रूपों में कुशल हैं और एक अच्छे समकालीन नृत्य आधार के साथ हैं।

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति कौशिकी चक्रवर्ती की रही, कौशिकी जी ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग यमन कल्याण से की। कौशिकी ने झप ताल में बड़े गुलाम अली खां साहब के तराना सहित मधुर प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध करना जारी रखा। उनकी अगली प्रस्तुति आड़ा चौटाल में बंदिश रही जो “शारदे बागेश्वरी“ थी उसके बाद उन्होंने राग पहाड़ी में रूपक बंदिश पेश किया। कौशिकी जी के साथ सारंगी पर मुराद अली, तबले पर ईशान घोष, हारमोनियम पर पारोमिता मुखर्जी, तानपुरा पर अदिति बछेती और सृष्टि कला ने सहयोग किया।

 

कौशिकी चक्रवर्ती एक भारतीय शास्त्रीय गायिका और संगीतकार हैं। उन्होंने संगीत अनुसंधान अकादमी में शिक्षा ली और वह पटियाला घराने के शागिर्दों में से एक है। उनके प्रदर्शनों की सूची में शुद्ध शास्त्रीय, ख्याल, दादरा, ठुमरी और भारतीय संगीत के कई अन्य रूप भी शामिल हैं। वह एशिया-प्रशांत श्रेणी में विश्व संगीत के लिए 2005 में बीबीसी रेडियो से 3 पुरस्कार की प्राप्त कर चुकी हैं। वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिक, अजॉय चक्रवर्ती की बेटी हैं और उन्होंने उनके साथ-साथ अपने पति पार्थसारथी देसिकन के साथ भी प्रदर्शन किया है। 2020 में उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कौशिकी एक प्रशिक्षित कर्नाटक शास्त्रीय गायिका भी हैं।

 

कौशिकी चक्रवर्ती दो साल की उम्र से ही संगीत में रुचि दिखाई और उन्होंने 7 साल की उम्र में अपना पहला गाना सार्वजनिक रूप से गाया,जो एक तराना था। 1980 के दशक के उत्तरार्ध से वह अपने पिता के साथ संगीत प्रदर्शन के विश्व दौरों पर गईं। दस साल की उम्र में, उन्होंने ज्ञान प्रकाश घोष की अकादमी में भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया, जो उनके पिता के गुरु भी थे। बाद में, वह आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में शामिल हो गईं, जहां से उन्होंने 2004 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और उनके पिता ने उन्हें कोलकाता में श्रुतिनंदन संगीत विद्यालय में प्रशिक्षित किया। वह न केवल ख्याल और ठुमरी प्रस्तुत करने में माहिर हैं, बल्कि उन्होंने 2002 से संगीत विद्वान बालमुरली कृष्णन से कर्नाटक संगीत भी सीखा है।

 

कौशीकी जी ने कई प्रमुख संगीत कार्यक्रमों में भाग लिया है। अपने प्रदर्शन में ख़्याल प्रस्तुत करने के अलावा, उन्होंने कभी-कभी भारतीय पॉप संगीत के समकालीन स्वरूप को भी अपनाया है। उन्होंने 20 साल की उम्र से डोवर लेन संगीत सम्मेलन में प्रदर्शन किया और अगले 5 वर्षों तक भाग लेना जारी रखा। अपने करियर के शुरुआती दौर में, अगस्त 2003 में, उन्होने ने लंदन में एक लाइव प्रदर्शन दिया, जिसे “प्योर“ रिकॉर्ड के रूप में जारी किया गया था। उन्होंने भारत में आईटीसी संगीत सम्मेलन, स्प्रिंग फेस्टिवल ऑफ म्यूजिक (कैलिफोर्निया), सवाई गंधर्व भीमसेन संगीत महोत्सव और परंपरा कार्यक्रम (लॉस एंजिल्स) में भी प्रदर्शन किया। उनके संगीत प्रदर्शन के लिए उन्हें “पटियाला परंपरा की मशाल वाहक“ के रूप में सराहा गया है।

वे कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता रही हैं। उन्हें 1995 में जादू भट्ट पुरस्कार मिला, 1998 में नई दिल्ली के सम्मेलन में, और 2000 में उत्कृष्ट युवा व्यक्ति का पुरस्कार मिला। जब वह 25 वर्ष की थीं, तब उन्हें संगीत में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए बीबीसी पुरस्कार (2005) मिला। बीबीसी ने उनकी संगीत यात्रा पर एक लघु फिल्म भी बनाई – जिसमें उनके संगीत से जुड़े लोगों और स्थानों को शामिल किया गया। उन्हें हिंदुस्तानी वोकल म्यूजिक के लिए संगीत नाटक अकादमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार 2010 और 2013 का आदित्य बिड़ला कलाकिरण पुरस्कार भी मिला है।

 

 

 

तबला वादक शुभ जी का जन्म एक संगीतकार घराने में हुआ था। वह तबला वादक श्री किशन महाराज के पोते हैं। उनके पिता श्री विजय शंकर एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, शुभ को संगीत उनके दोनों परिवारों से मिला है। बहुत छोटी उम्र से ही शुभ को अपने नाना पंडित किशन महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था। वह श्री कंठे महाराज.की पारंपरिक पारिवारिक श्रृंखला में शामिल हो गए। सन 2000 में, 12 साल की उम्र में, शुभ ने एक उभरते हुए तबला वादक के रूप में अपना पहला तबला एकल प्रदर्शन दिया और बाद में उन्होंने प्रदर्शन के लिए पूरे भारत का दौरा भी किया। इसी के साथ उन्हें पद्म विभूषण पंडित के साथ जाने का अवसर भी मिला। शिव कुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली खान. उन्होंने सप्तक (अहमदाबाद), संकट मोचन महोत्सव (वाराणसी), गंगा महोत्सव (वाराणसी), बाबा हरिबल्लभ संगीत महासभा (जालंधर), स्पिक मैके (कोलकाता), और भातखंडे संगीत महाविद्यालय (लखनऊ) जैसे कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किया है।

 

 

27 अक्टूबर से 10 नवंबर 2023 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

 

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।

 

विरासत 2023 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।

 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – विकास कुमार- 8057409636

 

Next Post

जिलाधिकारी ने सीएचसी चिन्यालीसौड़ में नवनिर्मित वार्ड का किया लोकार्पण ।

जिलाधिकारी ने सीएचसी चिन्यालीसौड़ में नवनिर्मित वार्ड का किया लोकार्पण । उत्तरकाशी । जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ का निरीक्षण कर मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं और अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस मौके पर जिलाधिकारी ने सीएचसी चिन्यालीसौड़ में नवनिर्मित वार्ड का लोकार्पण भी […]

You May Like