Good न्यूज पहाडों की गूंज से गूंजी दिल्ली … अब नये संसद-भवन पर होगा ध्वजारोहण

Pahado Ki Goonj

पहाडों की गूंज ने  सबसे पहले नये संसद-भवन पर राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रगीत जन-गण-मण के साथ ध्वजारोहण की मांग को प्रकाशित करा |

अब सरकार ने अपने तय कार्यक्रम के एक दिन पहले प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण का कार्यक्रम बनाया और उसके कारण सुत्रो के माध्यम से बता रहे हैं वो  पत्र ने पहले ही साइंटिफिक-एनालिसिस के रूप में तार्किक आधार पर प्रकाशित कर दिये |

बौद्धिक क्षमता की राडार पर नई संसद में सेंगोल व हेरी पॉटर की एल्डर छड़ी

 

🔭साइंटिफिक-एनालिसिस🔬

✌️हमसे हैं जमाना, जमाने से हम नहीं ✌️

1️⃣ भारत 🇮🇳 इंडिया विवाद को ठंडे बस्ते में डाल खत्म करने की प्रक्रिया शुरु हुई

2️⃣ NDA चला भारत बनने की राह पर I.N.D.I.A. का पता नहीं वो INDIA बनना चाहता हैं या नहीं

आपका साइंटिफिक-एनालिसिस सदैव सच्चाई को लिखता आया हैं, यह उसी सच्चाई का असर हैं कि उसके आगे अच्छों – अच्छों को झुकना पड़ता हैं | इसमें भी कुर्सीधारी लोग राजनीति चाले चलने से बाज नहीं आते हैं और मुंह के बल गिरने के मार्ग पर भटक जाते हैं |

संसद के विशेष सत्र के कार्यो का सिड्यूल जारी हो गया हैं इसमें भारत 🇮🇳 इंडिया मामले पर कोई कानून या बिल तो आना दूर चर्चा भी नहीं होगी | इसे आगे भविष्य में भी लाने का कोई आधिकारिक संकेत भी नहीं हैं | आपके साइंटिफिक-एनालिसिस ने 08 सितम्बर, 2023 की पोस्ट के ऊपर टैग लगाया था कि इसके बाद भारत 🇮🇳 इंडिया विवाद खत्म हो जायेगा | आप इसे दुबारा पढ सकते है |

नये संसद-भवन के उद्घाटन की शोषणा के साथ सबसे पहले आपके साइंटिफिक-एनालिसिस ने उस पर राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण व राष्ट्रगीत जन-गण-मण के साथ राष्ट्र को समर्पित करने की बात कही | अब कार्यपालिका यानि तथाकथित सरकार ने घोषणा करी कि 17 तारिख को प्रधानमंत्री नये संसद-भवन पर ध्वजारोहण करेंगे | इसमें भी राष्ट्र यानि देश की जनता को समर्पित करने की बात नहीं कही गई हैं | देश के फ्लैग कोड के अनुसार किसी भी सरकारी ईमारत को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद ही ये दर्जा मिलता हैं उसे दबी जुबान में सूत्रों के माध्यम से अब बोला जा रहा हैं |

इसी संसद-भवन के नीचे राज्यसभा के सभापति यानि उपराष्ट्रपति और लोकसभा के अध्यक्ष होंगे जो प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद से बड़े हैं | इन पदों की ईज्जत व मर्यादा का सार्वजनिक माखौल उडा भारतीय संस्कृति व परम्परा जो बड़ो का आदर व सत्कार करने पर विश्वास करती हैं उसे मटियामेट करने की कोशिश होगी | ध्वजारोहण का दिन गणेश चतुर्थी के दिन सुबह प्रवेश के पूर्व 18 सितम्बर को न रखकर 17 सितम्बर रखा गया हैं क्योंकि उस दिन प्रधानमंत्री पद पर जनता की नौकरी करने वाले व्यक्ति श्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन हैं और विश्वकर्मा जयन्ती हैं | राष्ट्रपति को ध्वजारोहण का आमंत्रण न देने के पीछे संकुचित मानसिकता दिखाई देती हैं जिसमें सनातन धर्म में विधवा महिला को ऐसे कार्यों को करने से वंचित रखा जाता था | इंडिया के अन्दर ऐसा भेदभाव नहीं हैं और संविधान राष्ट्रपति की निजी जिन्दगी को मानता ही नही है |

इसके विपरित आज के साधु-संतों ने प्रधानमंत्री को अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना करने का निमंत्रण दे दिया | धर्म एवं संस्कृति के अनुसार प्रधानमंत्री पद पर नौकरी करने वाले व्यक्ति का निजी जीवन ऐसे कार्यों के लिए पहले देखा जाता हैं | श्री नरेंद्र मोदी शादीशुदा है और उन्होंने कानूनी रूप से तलाक न लेकर धर्मपत्नी को ऐसे ही छोड रखा हैं इसलिए वेदों व पुराणों के अनुसार वो इस मूर्ति स्थापना के लिए योग्य नहीं हैं | भगवान श्री राम को भी सीता माता की स्वर्ण मूर्ति बनाकर अश्वमेघ यज्ञ में साथ रखनी पडी तभी सभी ऋषि-मुनियों ने यज्ञ कराने के आतिथ्य को स्वीकार करा |

राष्ट्रपति के पति जिनकी मृत्यु हो चुकी हैं उनकी मूर्ति बनाकर उसे साथ रख महामहिम भी हवन में शामिल होकर मूर्ति स्थापना कर सकती हैं और मूर्ति तो राम के बाल्यकाल की हैं इसलिए महिला का अधिकार ज्यादा बनता हैं | इससे विधवा प्रथा के साथ महिलाओं के तिरस्कार की जो सोच कई लोगों में चली आ रही हैं उससे आजादी मिल जायेगी | इसके साथ हर शहीद सैनिंक की विधवा पत्नी भी अपनी बेटी का कन्यादान कर पायेगी जिसे शास्त्रों में सबसे बड़ा दान बताया गया हैं | सनातन धर्म में तलाक की व्यवस्था ही नहीं हैं और थी | तलाक तो बाद में दुसरे धर्मों के माध्यम से आया |

Scientific-analysis on Current News
http://www.facebook.com/Shailendrakumarbirani 

आगे पढ़ें 

 

साइंटिफिक एनालिसिस

I.N.D.I.A. को INDIA व N.D.A को भारत बनने का रामबाण तरीका

लोकतंत्र की आत्मा, सत्ता का केन्द्र, लोकतंत्र का मंदिर इत्यादि लक्षणा शब्दशक्ति के माध्यम से अलंकृत कर महिमामंडन करे जाने वाले संसद के नये भवन का श्रीगणेश गणेश चतुर्थी की पावन बेला में 19 सितम्बर 2023 को धरती से नवग्रहों की चाल व चन्द्रमा की धरती और नवग्रहों के बीच यानि सौरमंडल के मध्य अंग्रेजी शब्द से सुचित होने वाले कैमरों के चित्रों एवं चलचित्रों को देखकर तय कर लिया गया हैं |

“लक्षणा” हिन्दी व्याकरण की वो शब्दशक्ति हैं जिसके माध्यम से व्यक्तिवाद, परिवारवाद, धार्मिक व राजशाही वाली बिते भूतकाल की सत्ता ने अपने अवगुणों एवं दोषों को छुपाया व अपने कई फैंसलों को सही बताकर जनता पर थौपा परन्तु अब लोकतंत्र की बहार हैं और विज्ञान का आईना हैं जो इन शब्द शक्तियों के सच को सामने रख देता हैं | समय के चक्र पर भी सनातन धर्म से उभरा कालखंड भी इस लक्षणा शब्दशक्ति की अति के कारण ही हर बार टुटा और अलग-अलग धर्म एवं सम्प्रदायों के नाम से काल के कपाल पर उभर गया |

यह सभी क्रियाएं / इतिहास / गाथाएं / परिकल्पनाएं / मानसिकताएं लोगों के समूह व भूमि आधारित श्रेत्र-विशेष पर ही बलवान चढी हैं | अब इस श्रेत्र-विशेष के नाम भारत व इंडिया को लेकर जुबानी जंग और संचार के माध्यमों (अखबार, पत्र-पत्रिकाएं, न्यूज़ चैनल, रेडियों, इंटरनेट वाले कैबलों पर चल रहे सोशियल मीडिया इत्यादि) से हवा पर उभरे आधार पर जनता को गुत्थमगुत्था कराया जा रहा हैं |

आदिकाल से हर शासन की सोच दो भागों में बंट कर ही प्रदर्शित होती आई हैं | वर्तमान में पक्ष-विपक्ष में बंटी संसद अब भारत-इंडिया में बंटकर नये मार्ग के रूप में जनता पर शासन की सोच को मूर्त रूप देने में लगी हैं | संविधान ने भारत-इंडिया के मध्य डेस (-) को झण्डा लगाकर पहले ही जोड रखा हैं परन्तु दोनों पक्ष-विपक्ष मौखिक चिल्लाचोट कर रहे हैं परन्तु एक झण्डे के निचे आने को तैयार नहीं हैं | इसका साक्षात उदाहरण हैं नया संसद-भवन जनता को समर्पित नहीं होना हैं व अब तक देश, राष्ट्रभक्ति और तिरंगे के नाम पर लाखों-करोडों लोगों के जीवन न्यौछावर कर देने वालों को राष्ट्रगीत जन-गण-मन के रूप में नमन कर तिरंगें का ध्वजारोहण नये संसद-भवन पर नहीं करना |

संविधान ने इस तरह राष्ट्र को सलामी देकर ध्वजारोहण करने का दायित्व व विशेषाधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को दे रखा हैं | यह विधान सनातन धर्म में शुरु से चलता आया हैं कि सत्ता का प्रमुख चाहे राजा व सम्राट के रूप में ही क्यों ना हो उसे ही शीर्ष झुका नमन करना पडता हैं | अब राजशाही तो रही नहीं उसकी जगह लोकतांत्रिक यानि जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता की सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति सर्वोच्च पद पर आसीन हैं | प्रधानमंत्री तो पूर्व राजशाही के वजीर का तुलनात्मक पद हैं इसलिए भाषा विशेष में प्रधानमंत्री को वजीरेआजम भी कहां जाता हैं | इसलिए एन.डी.ए. (सत्ता पक्ष का बडा राजनैतिक गठबंधन) को पहले भारतीय बनने के लिए राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के स्पीकर के माध्यम से निमंत्रण भेज राष्ट्रपति से ध्वजारोहण कराना चाहिए | G-20 को G-21 बनाकर दुनिया के देशों को जोडने का संदेश देने वाला राष्ट्र अब उसके समापन के साथ ही उसके लोगों में मौजूद रहे भारत-इंडिया को तोडकर जगहंसाईं कराके विश्वगुरू के प्राचिनतम सिक्के की छाप को खोट्टा सिक्का नहीं बतायेगा |

इसके बाद संसद के विपक्ष की बात आती हैं उसमें सबसे बडा समूह I.N.D.I.A. का राजनैतिक गठबंधन हैं | इसे INDIA बनने के लिए राष्ट्रपति से ध्वजारोहण के लिए निमंत्रण देना होगा | यह वर्तमान व्यवस्था या निर्धारित कागजी प्रक्रिया से हटकर है इसलिए उन्हें नई दिल्ली में ही पहले छोटी भारत-यात्रा तय करके राष्ट्रपति-भवन जाना होगा ताकि अल्पमत वाली राजनैतिक छाप को जनता के समर्थन से ढका जा सके |

इस भारत-यात्रा की शुरूआत नये संसद-भवन के द्वार से शुरू करनी पडेगी | यह यात्रा यहां से पहले महात्मा गांधी के शहीद-स्मारक जाये | ईश्वर-अल्लाह एक ही नाम सबको सदमति दे भगवान जैसी प्राथनाएं गाकर वहां उपस्थित मीडीया के कैमरामैनों के माध्यम से देश की जनता को बताये की आप धर्म, जात-पात, संस्कृति के आधार पर लड़ाई-झगड़े, ऊंच-नीच, भेदभाव, घृणा, तिरस्कार, छूआछूत व कुंठित सोच से ऊपर उठ देश व जनता के खुशहाल भविष्य हेतु काम करने के लिए संगठित हो गये हैं |

इसके बाद आगे का पढा़व उच्चतम न्यायालय होगा | यहाँ से मुख्य न्यायाधीश द्वारा संविधान की मूल-भावना वाली प्रस्तावना की शपथ लेनी हैं | ये ही संविधान संरक्षक राष्ट्रपति को शपथ दिलाते हैं | संविधान की मूल-प्रति इनके पास रहती हैं ताकि उसे किसी भी समय पढ़कर सच्चाई के मार्ग का ज्ञान प्राप्त कर लोगों को न्याय दे सके |

अब धर्म, संविधान, तिरंगा झण्डा लेकर राष्ट्रपति-भवन जाना हैं | इन सभी के माध्यमों से उन्हें नये संसद-भवन चलकर वहां ध्वजारोहण करके राष्ट्रीय गीत से राष्ट्र की गरिमा का महिमामान करके जनता के खून-पसीने की कमाई से बनी इस ईमारत को राष्ट्र व देश की जनता को समर्पित करने का अनुरोध करना हैं | तीनों सशस्त्र सेनाओं की प्रमुख व लड़ाकू विमान उडाकर फिज़ाओं से बात कर चुकी महामहिम को अच्छी तरह ज्ञात हैं कि अंग्रेजो से आजादी के संघर्षं में अनगिनत लोगों ने अपने जीवन की आहुति दी जिनके पूर्वज लाखों-करोडों वर्ष नहीं चन्द सैकडों वर्ष पहले इस भूधरा पर आये और इन्होंने इसी मिट्टी, जल, वायु से अपने शरीर का अस्तित्व प्राप्त करा | इन बलिदानों को भी आदर देना जरूरी था और इस मिट्टी की हर सभ्यता व संस्कृति में यह आदर रहा कि कोई आपके लिए त्याग व बलिदान करे तो उस उपकार को सदैव अपने जीवन से बडा मानना चाहिए | इस कारण हमारे भारतीय संविधान में भारत (सांस्कृतिक धरोहर) व इंडिया (इंडिपेंडेट नेशन डिकलेयर्ड इन अगस्त) को समान रूप से रखकर आपसी झगडे़ को खत्म करा है ताकि राष्ट्र संगठित बना रहे | इसके साथ नई पीढी जो यही पैदा हुई व होगी उसमें भी बिना स्थाई नागरिकता के पहचान पत्र को गले में टांगे बिना देश की सीमा पर दुश्मनों के दांत खट्टे करते समय बलिदान के लिए अपने सिर को आगे रखने मेंं दिल में बिना किसी संकोच के पैर लडखडाए नहीं …

18 सितम्बर 2023 के दिन जब पुराने संसद-भवन में आखरी सत्र होगा व नये भवन में जाने की तैयारी होगी तब हर राज्यसभा व लोकसभा के सांसद के धर्म व चरित्र की अग्निपरीक्षा होगी की उनके जीवन को बचाने वाले उन सुरक्षाकर्मियों के उपकार को किस तरह हमेशा के लिए बनाये रखते हैं या इस भवन के नये रूप संग्रहालय के अंधकार में छोड आगे बढ जाते हैं जिन्होंने आतंकी हमले में अपनी जान न्यौछावर कर अपने सिर पर तिरंगा ओढ़ लिया ताकि राष्ट्र के गौरव का सिर झुके नहीं …

Scientific-analysis on Current News
http://www.facebook.com/shailendrakumarbirani 

आगे पढ़ें 

साइंटिफिक-एनालिसिस

बौद्धिक क्षमता की राडार पर नई संसद में सेंगोल व हेरी पॉटर की एल्डर छड़ी

भारत ही नहीं पुरी दुनिया में काल्पनिक कहानियों के माध्यम से नई पीढी यानि विशेष रूप से छोटे बच्चों को शिक्षा देना व समाज के आदर्श मार्ग पर जीवन को अग्रसर करने में बहुत बड़ा योगदान रहा हैं | इसमें जंगल बुक से जुडा मोगली, विक्रम-बेताल से जुडी कहानियां, अरबेरियन नाईट्स से जुडी अलिफ लैला जैसे सैंकडों उदाहरण मौजूद हैं | समय के चक्र के साथ इन कहानियों का किताबों से बाहर निकल फिल्मों के माध्यम से चलचित्र बनकर आना सदैव प्रसिद्धियों और कामयाबी के नये-नये शिखरों को बनाते आ रहा हैं | यह श्रृंखलाएं सिर्फ मनोरंजन ही नहीं लोगों के चरित्र एवं बच्चों के बौद्धिक क्षमता का विकास भी करती है। असामाजिक, अनैतिक, हिंसक बातों को इन काल्पनिक कहानियों के माध्यम से फैलाव करने को माइंडवाश करने की संज्ञा दी जाती हैं जो कानूनन अपराध के दायरे में आती हैं |

इस पृथ्वी पर मानवों की प्रजाति में अरबों-खरबों ईंसान आये और चले गये परन्तु जिन्होंने भी अपने जीवन में बड़े आयाम बनाये वो ही इन कहानियों के रूप में अमरता का वरदान का वरदान प्राप्त कर गये | इसके विपरित जिन काल्पनिक कहानियों ने जीवन के आदर्शों के बडे आयाम बनाये वो कई वर्षों तक एक पीढी से दुसरी पीढी में बढते हुए असली जीवन आधारित आयाम बन गये | इसमें कहीं बातें / तरिके / कर्म आम लोगों की जीवनशैली में समाकर गाथाएं, प्रथाएं एवं रीति-रिवाज बनते आये हैं और बनते रहेंगे | मन की बात कार्यक्रम को सरकारी आदेश के रूप में बच्चों को दिखाना व उस पर प्रदर्शनी और निबंध लिखवाना इसी सोच के राजनैतिक प्रयोग या इस्तेमाल कहलाते हैं |

ऐसे ही नये रिवाज की शुरुआत नये संसद-भवन के उद्घाटन में असली सेंगोल (राजदंड) के प्रतिक की पूजा व लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के पास रखकर करी गई | इस सेंगोल का ईतहास तमिलनाडु के चोल साम्राज्य से जुडा है | इसे जिसे स्थारान्तरित किया जाता हैं उससे न्यायपूर्ण शासन की अपेक्षा की जाती हैं न कि न्यायपूर्ण शासन की गारन्टी हो जायेगी | इसे 1947 में धार्मिक मठ-अधिनियम के प्रतिनिधि ने भारत गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री को सौंपा और राजशाही खत्म होने के कारण इसे इलाहबाद संग्रहालय में रख दिया था | विज्ञान के सिद्धांतों की माने तो यह राजदण्ड अपने साथ सदियों पहले सुरक्षा के लिए हथियार रखने के रिवाज या किसी राजा के चलने में तकलीफ होने के कारण छडी लेकर चलने की मजबूरी का कारण हो सकता हैं | जो धीरे-धीरे किन्वंतियों व अपनी शारीरिक कमजोरी को छिपाने की वजह से राजदंड की संज्ञा पा गये |

अब बात आती हैं ब्रिटिश लेखिका जे के राउलिंग के हैरी पॉटर के नाम के उपन्यास व उस पर आधारित फिल्मों की, जो दुनिया भर में कई भाषाओं के अन्दर डबिंग होने से चर्चित हुई | यह काल्पनिक कहानी पर आधारित हैं परन्तु इसके माध्यम से जो शिक्षा दी गई वो उच्चतम स्तर की बौद्धिकता का प्रतिक रही हैं | इसमें मौत के तीन तोफों एल्डर छड़ी, पुनर्जीवन पत्थर व अद्धश्य चौगे की बात कहीं गई हैं | इसमें से किसी एक के पास होने पर मौत को हराकर अमर रह सकते हैं | फिल्म के अन्त में एल्डर छड़ी नायक हैरी पॉटर के पास आ जाती हैं | इस पर उसके मित्र रॉन वीसली, हरमाइन ग्रेंजर बहुत खुश होते हैं | रॉन कहता हैं कि एल्डर छड़ी दुनिया में सबसे ताकतवर छड़ी हैं, इस कारण कोई हमे हरा नहीं सकता हैं |

इसके आगे हैरी पॉटर कुछ सोचकर उस छड़ी को तोडकर फेंक देता हैं | उसे लगा होगा कि अपने को महान व शक्तिशाली बनाने के चक्कर में इसे अपने पास रखा गया तो दूसरे लोग इसे पाकर सबसे ताकतवर बनने के लालच में उन पर हमला व अलग-अलग तरह के षडयंत्र रचते रहेंगे और उसका व लोगों का जीवन जीना दूभर हो जायेगा | इस फिल्मी कहानी में अन्त तक आते आते यह स्पष्ट हो जाता हैं कि मौत के तिनों तोफे हेडमास्टर एल्बस डंबलडोर के पास पहले पहुंच गये थे व एक समय जीवित रहने का काढा बनाने वाला पारस पत्थर भी आया परन्तु उन्होंने शक्तिशाली व अमर रहने की बजाय मौत को गले लगाया ताकि लोगों का जीवन खुशहाल रहे व लॉर्ड वोल्डेमॉर्ट के आतंक को खत्म किया जा सके |

भारत की विशाल सभ्यता एवं संस्कृति में सेंगोल जैसे कई प्रतिक देखने व सुनने को मिलते हैं इसमें सुदर्शन चक्र, त्रिशुल, भाला, शिव-धनुष, गद्दा, तलवार इत्यादि-इत्यादि सैकडों उदाहरण भरे पडे हैं | यदि इन सभी को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास रखा जाये तो उनके बैठने के लिए भी जगह नहीं बचेगी | अब आप सोचिए सत्ता व कुर्सी के लालच में ऐसे ही प्रतिकों को आधार बनाया तो लोगों की मानसिक सोच कितनी स्वार्थी, व्यक्तिगत व ओछी होती चली जायेगी | यदि मौत के तोफे जैंसी कोई चीज इनको मिल जाये तो सत्ता की स्थाई प्राप्ति व अजर-अमर हो जाने के अंधेपन (जैसे नरबलि और जीवित जीवों की बलि) में पुरी व्यवस्था का सत्यानाश कर देंगे |

विज्ञान की माने तो ऐसे पडपंचों से मुक्त रहना चाहिए ताकि मानसिक रूप से लालच, घृणा, अहंकार जैसे अवगुण पैदा ही नहीं हो पाये | इससे लोगों के कष्टों को दूर कर जीवन में खुशहाली लाने का कर्म ईमानदारी व निस्वार्थ भाव से हो पायेगा | ये ही ईंसान के मर जाने के बाद भी उसको अजर-अमर बनाते हैं | भूतकाल की सोच से सिर्फ शिक्षा ली जाती हैं ताकि वर्तमान में अच्छे भविष्य हेतु कार्य किया जा सके न कि उस सोच से समय के चक्र को रूका समझ अच्छे दिन वाले भविष्य का सिर्फ ख्वाब देखा जाये | आने वाला भविष्य तो बोलने में सदैव अच्छा ही लिखा जाता हैं |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक

पहाडों की गूंज ने  सबसे पहले नये संसद-भवन पर राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रगीत जन-गण-मण के साथ ध्वजारोहण की मांग को प्रकाशित करा |

अब सरकार ने अपने तय कार्यक्रम के एक दिन पहले प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण का कार्यक्रम बनाया और उसके कारण सुत्रो के माध्यम से बता रहे हैं वो  पत्र ने पहले ही साइंटिफिक-एनालिसिस के रूप में तार्किक आधार पर प्रकाशित कर दिये |

 

Next Post

Good न्यूज,पहाड़ों की गूँज की संसद-भवन पर तिरंगें 🇮🇳 का ध्वजारोहण करनी की मांग तो मान ली गई

देहरादून नये संसद-भवन पर तिरंगें 🇮🇳 का ध्वजारोहण करनी की मांग तो मान ली गई | 20 लाख सुधी पाठको को  शुभकामनाएं  इसे प्रधानमंत्री फहरायेंगे न कि राष्ट्रपति इसलिए यह देश के आप सभी लोगों व उसके लिए अपनी जान न्यौछावर करने वालों को समर्पित नहीं होगी | जबकि पुरी […]

You May Like