प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पर्यावरण विद सुंदर लाल बहुगुणा के जन्मदिन पर हार्दिक बधाई देते हुए उन्होंने राजधानी गैरसैंण लेजाने के लिए सरकार को सन्देश दिया है

Pahado Ki Goonj
 देहरादून,प्रसिद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी,  कई पुरस्कार प्राप्त करने वाले महान गांधी वादी चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म ९ जनवरी सन १९२७ को देवों की भूमि उत्तराखंड के ‘मरोडा नामक स्थान पर हुआ।  उत्तर वाहनी गंगा के सामने स्थित गाँव मे हुआ।प्राथमिक शिक्षा के बाद प्रताप विद्यालय टिहरी से स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने के बाद जेल से परीक्षा उतीर्ण  कर  वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. किए।
जन्म: 9 जनवरी 1927 (आयु 93 वर्ष), टिहरी गढ़वाल उनकी धर्म पत्नी विमला बहुगुणा का उनको समाज मे कार्य करते हुए
विशेष योगदानरहा बहुगुणा  के प्रमुख  चिपको आंदोलन के नेता रहे साथ ही टिहरी बांध की ऊंचाई घटाने के लिए सरकार को मजबूर होकर  कार्य कार्य करने के लिए बाध्य होना पड़ा  आज उनके समझते के हिसाब से बांध प्रसाशन एवं सरकार कार्य नहीं कर रही हैं। उनके द्वारा शराब बंदी, आदि कई  किये गए । हमारे पिताश्री स्व परमानंद पैन्यूली से उनके अटूट सम्बध रहे।साथ टिहरी बांध बनने के कारण   पड़े सूखे की स्थिति को देखने के लिए बहुगुणा जी ने 1987 के भयंकर शूखे की स्थिति को देखते हुए आगे  जनता इलाके में अपना गुजारा कैसे कर सकती है । बहुगुणा जीने उद्धघाटन किया ।सम्मेलन में शिरकत की उनके साथ स्विजरलैंड के अर्थ शास्त्री एवं पत्रकार  कोटाल गाँव आये । ज्ञात रहे कि इस सूखे पड़ने के लिए  पत्रके सम्पादक  जीतमणि   पैन्यूली संयोजक  ने वर्ष1985 के मई माह में स्व श्री नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री सरकार को अबगत करदिया था। पहाड़ों की गूंज परिवार उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु की कामना करते हैं। 
गूंज परिवार  से उनका अटूट नाता रहा है उनके स्वास्थ्य एंव दीर्घायु की कामना करते हैं।मेरे प्रति उनकी आत्मीयता इस बात से दिखाई देती है कि वह धूप में बिस्तर पर लेटे थे मेरी आवाज सुनकर  उठे उनको जन्मदिन की बधाई दी  इस बीच उन्होंने हमारे हाल चाल पूछे काफी दिनों से गुरु जी को मिलने की सोचता रहा पिछले शुक्रवार को उनके छोटे पुत्र प्रदीप बहुगुणा हिंदुस्तान समाचार पत्र में सेवा रत से घन्टा घर पर मिले मुलाकात अचानक हुई। उनसे
गुरु जी बहुगुणा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यहीं हैं। उनसे मिलने की इच्छा 2014 से थी कल पूरी हुई ।काफी चर्चा के बाद उन्होंने मुख्य सम्पादक के रूप मे पहाडोंकीगूँज के लिए लिखा उनका आभर व्यक्त कर विश्व प्रसिद्ध समाज सेवक के रूप में 
 
बहुगुणा जी से सम्पादक  जीतमणि  पैन्यूली ने पूछा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन 1994 में सुरु हुआ था आप 94 वर्ष में आप प्रवेश कर  उत्तराखंड  के विकास के लिए हिमाचल की तरह प्रगति करने के लिए सन्देश डीजयेगा ।उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी पहाड़ में है ।तब विकास हुआ देहरादून में राजधानी रखने से विकास नहीं हो सकता है।
राजधानी गैरसैंण लेजाते देखने के लिए सन्देश सरकार के लिए दिया है।  उनसे पूछा गया है कि उत्तराखंड, देश के विकास में पत्रकारों की भागीदारी के लिये गोष्ठी करना चाहते हैं ।आप उसमें शिरकत करेंगे है उन्होंने कहा एक अच्छी सोच है  अस्वस्थ हूँ पर मैं थौड़ी देर के लिए आऊंगा इस बीच उनकी पत्नी 87 वर्षीय श्रीमती विमला बहुगुणा ने कहा कि हमको तो डॉक्टर ने जाने के लिए मना किया है।तो हमने कहा  वहां पर होना होगा या उस दिन जो होना होगा उसे नहीं टाला जा सकता है। पर हम तो बहुगुणा जी आपकी सतायु  से ज्यादा स्वस्थ रहने की कामना करते हैं।
उन्होंने ने प्रदेश एवं देश के विकास के लिए पत्रकार गोष्ठी में अस्वस्थ होने के बाबजूद आने एक आग्रह स्वीकार किया है।हम सभी हम सभी आंदोलन कारी एवं राज्य वासी बहुगुणा जी के शतायु से ज्यादा स्वस्थ रहने की कामना करते हैं ।
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