🔭साइंटिफिक-एनालिसिस🔬
अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम “श्री राम” की प्राण-प्रतिष्ठा की शुरूआत अमर्यादित कदमों से!
अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को दोपहर 12:30 PM पर राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तय हो गया | इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री राम जन्मभूमि तीर्थ श्रेत्र ट्रस्ट के सदस्यों चंपत राय, नृपेन्द्र मिश्रा और उडीपी के शंकराचार्य गोविंदगिरी महाराज ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें निमंत्रण देकर करी वो समय के चक्र पर अमर्यादित कदम के पद्मचिह्न उकेर गई हैं | साइंटिफिक-एनालिसिस किसी व्यक्ति के चेहरे, उसके दायित्व, उसकी प्रशासनिक शक्ति एवं कर्मों को देखकर नहीं होता वह तो विज्ञान पर आधारित एक ही सिद्धांत के आधार पर तय होता हैं |
🙏उत्तराखंड को स्वस्थ्य रखने, बेरोजगारी, पलायन रोकने के लिए सर्वोच्च गुणकारी काली हल्दी लगाने के लिए सरकार,अधिकारियों की इच्छा शक्ति होनी चाहिए ,पहाड़ों की गूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र का कहना है कि य़ह योजना लागू करने के बाद ,प्राप्त होने वाली आय के सामने सरकारी G20 सम्मेलन बुलाने की ज़रूरत नहीं होगी -जीतमणि पैन्यूली सम्पादक
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यह इसकी सच्चाई का प्रमाण रहा हैं कि जब इसने सर्वप्रथम अयोध्या राम मंदिर में भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री के पद पर कार्यरत व्यक्ति के निजी जीवन के आधार पर उसे सनातन धर्म, पुराणों एवं वेदों के माध्यम से व्याखित करते हुए अमर्यादित बताया तो उसके बाद तुरन्त राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव का स्पष्टीकरण आया | इसमें उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सिर्फ वहां मौजूद रहेंगे जबकि प्राण-प्रतिष्ठा की जिम्मेदारी साधु-संत निभाएगे |
विधी द्वारा स्थापित विधान की शपथ दिलाने वाले, लेने वाले व वर्तमान लोकतांत्रिक सत्ता के आधार संविधान के अनुसार भारत की सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति होते हैं | अब राजशाही रही नहीं इसलिए मर्यादा को बनाये रखते हुए उन्हें देश का प्रथम नागरिक का दर्जा दिया जाता हैं और देशवासीयों की किसी भी तरह की गिनती में उन्हें पहला नम्बर दिया जाता हैं | अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरूआत के लिए जब चन्दे के माध्यम से धन एकत्रित करने की शुरूआत हुई तो सबसे पहला चन्दा/दान राष्ट्रपति-भवन जाकर राष्ट्रपति से लेकर हुई | अब जब मन्दिर निर्माण के बाद प्राण-प्रतिष्ठा की अहम घडी आई तो राम मंदिर निर्माण समिति एवं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ श्रेत्र ट्रस्ट ने पहले चन्दे/दान को अपमानित करते हुए सनातन धर्म की जो महान परम्परा आज भी हर साधु-संत निभा रहा हैं कि “दानी” सबसे बडा होता हैं उसे कलंकित करा हैं।
यदि राष्ट्रपति ने मिलने का समय न दिया या राष्ट्रपति-भवन के अधिकारियों ने द्वार में जाने से रोका या उल्टा पैर लौटाया हो तो उसे देशवासीयों के सामने रखना चाहिए | इसमें संकुचित मानसिकता व दिल में रूढ़िवादिता बैठे होने के लक्षण प्रतित होते हैं जो एक महिला के विधवा होने का तिरस्कार व अपमान कर रहा हैं व रामराज्य न लाकर सतिप्रथा जैसी खत्म हो चुकी रुढिवादें व कुप्रथाओं को लाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा हैं | सनातन धर्म इन्ही रूढ़िवाद एवं कुप्रथाओं के कारण कई टुकडों में बंटा जो अब अमिट इतिहास हैं | आज भी मूर्तिपूजा के विरोधी, भगवान को निराकार रूप मे मानने वाले कई धर्म एवं सम्प्रदाय देश में विद्यमान हैं जिनके लाखों-करोडों अनुयायी है |
प्रथम चन्दा/दान के साथ देशवासीयों से लिये दान का भी कहीं उनसे घर में रहकर पूजा व उत्सव बनाने का बोलना अपमान तो नहीं हो रहा | इसमें एक किलो सोने का सिंहासन व नीलम जड़ित 8 किलो चांदी की चरणपादुका भी प्रमुख हैं | धन-सम्प्रदा व वस्तु के प्रकार को देखकर कहीं “दान” की महिमा को तो कम करके धन उगाही का कृत तो नहीं रचा जा रहा हैं | सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात आदि का मन्दिर में संग्रह हो रहा हैं वो अच्छी बात हैं परन्तु उसका इस्तेमाल भगवान राम व माता सीता द्वारा स्थापित आदर्श पर होना चाहिए तभी तो राम राज्य की शुरूआत हो पायेगी |
देश का हर नागरिक जिसने रामायण पढी व रंगमंचों एवं टेलिविज़न पर रूपान्तरण रूप में अभिनय देखा वो जानता है कि भगवान राम के सबसे बडे भक्त हनुमान ने अयोध्या में गरीब औरतों को बिना आभूषणों के उनकी व्यथा को देखा तो माता सीता से मांगकर उन औरतों में बांट दिये | भरे दरबार में हनुमान जी ने सीता माता द्वारा दिये आभूषणों को तोडकर फेंका व अपने सीने में राम-सीता के बसे होने का प्रमाण बताया तो भगवान राम ने सीता माता के कहने पर पूरे राज्य में हर महिला को सोने-चांदी के आभूषण बटवा दिये | राम मंदिर के निर्माण हेतु चन्दा व दान लेकर उसका उपकार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम व सीता माता के आदर्शों के अनुरूप देश की प्रजा को लौटाया जायेगा जिसने अपना सीना क्या जीवन की आहुति मन्दिर निर्माण के लिए देकर बताया कि उसके दिल व दिमाग में क्या रचा व बसा हैं |
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30 अक्टूबर से 05 नवम्बर 2023 तक चलने वाले सतर्कता सप्ताह का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ।
सतर्कता विभाग में 103 नये पद सृजित किये जायेंगे- मुख्यमंत्री
सतर्कता विभाग की कार्यप्रणाली को प्रभावी रूप से और बेहतर बनाने के लिए सर्विलांस व तकनीकि विशेषज्ञों की टीम का गठन किया जायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 30 अक्टूबर से 05 नवम्बर 2023 तक चलने वाले सतर्कता सप्ताह के अन्तर्गत ‘‘भ्रष्टाचार का विरोध करें, राष्ट्र के प्रति समर्पित रहें’’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सतर्कता विभाग में 103 नये पद सृजित किये जायेंगे। सतर्कता विभाग की कार्यप्रणाली को प्रभावी रूप से और बेहतर बनाने के लिए सर्विलांस व तकनीकि विशेषज्ञों की टीम का गठन किया जायेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने कार्यक्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले सतर्कता विभाग के इंस्पेक्टर तुषार बोहरा, इंस्पेक्टर भानु प्रकाश आर्य, एएसआई श्री दिवाकर शर्मा और कांस्टेबल नवीन कुमार को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा भी दिलाई।
भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए की गई कार्रवाई के लिए विजिलेंस विभाग मुख्यमंत्री को महीने में दो बार रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ के दौरान भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर पूर्णतया रोक लगाने के लिए जागरूकता अभियान नियमित रूप से चलाए जाएं। मुख्यमंत्री ने विजिलेंस विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विभाग द्वारा जो कार्रवाई की जा रही है, उसकी माह में दो बार रिपोर्ट प्रस्तुत की जाय। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सभी विभागीय सचिवों द्वारा अपने विभागों की नियमित मॉनेटरिंग की जाय। उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग को कार्रवाई में तेजी लाने के लिए जो भी फंड की आवश्यकता होगी वह प्रदान की जायेगी।
सुशासन और गरीब कल्याण पर सरकार का विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का सुशासन और गरीब कल्याण की दिशा में विशेष फोकस है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का प्रत्येक पात्र को पूरा लाभ मिले, इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही और भ्रष्ट आचरण करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी को अपने कार्य व्यवहार में शालीनता के साथ ही जनहित में कार्य करने की भावना को लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए जारी किये गये नम्बर 1064 का भी व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाय। भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी शिकायत पर शीघ्र रेस्पांस दिया जाय, शिकायत सही पाये जाने पर त्वरित कार्रवाई की जाय।
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भ्रष्टाचार पर पूर्णतया रोक लगाने के लिए टेक्नोलॉजी का अधिकतम इस्तेमाल जरूरी
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने कहा कि भ्रष्टाचार पर पूर्णतया रोक लगाने के लिए टेक्नोलॉजी का अधिकतम इस्तेमाल किया जाए। सभी कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने से भ्रष्टाचार पर तो अंकुश लगेगा ही साथ ही अन्य व्यवस्थाओं में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि ई-रिकार्ड की दिशा में हमें तेजी से आगे बढ़ना है। ‘‘भ्रष्टाचार का विरोध करें, राष्ट्र के प्रति समर्पित रहें’’ का संदेश हम जन-जन तक पंहुचाने में सफल रहे तो भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए यह काफी कारगर सिद्ध होगा। मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखण्ड के लिए राज्य में काफी कार्य हुए हैं। हम विजिलेंस से सबंधित शिकायतों पर शत प्रतिशत एक्शन शीघ्रता से लेने में सफल रहेंगे, तो इससे जनता का सरकार पर और विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि विजिलेंस को और मजबूत बनाने की दिशा में कार्य किये जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, एल फैनई, डीजीपी अशोक कुमार, एडीजी पी.वी.के प्रसाद, निदेशक विजिलेंस वी. मुरूगेशन, एडीजी अमित सिन्हा, ए. पी अंशुमान एवं शासन के वरिष्ठ अधिकारी और विजिलेंस के अधिकारी उपस्थित थे।आगे पढ़ें
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मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सोमवार को सचिवालय में 30 सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने कहा कि जिलों द्वारा प्रत्येक बिंदु पर एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाए। नोडल अधिकारियों को दिए गए बिंदु की प्रगति की जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने कहा कि जनपदों द्वारा इन 30 बिंदुओं पर लक्ष्य निर्धारित कर प्रतिदिन अपलोड किया जाए। यह एक डायनामिक पोर्टल है इसपर अपनी प्रगति के अनुरूप एक दिन में कई बार डाटा अपडेट किया जा सकेगा। इससे रातों रात रैंकिंग बदल सकती है।
मुख्य सचिव ने जनपदों से पोर्टल से सम्बन्धित मुद्दों पर सुधार के लिए भी सुझाव मांगे। कहा कि जनपदों को जो भी समस्याएं आ रही है उन्हें शीघ्र ठीक किया जाएगा। उन्होंने निदेशक आईटीडीए को जिलाधिकारियों द्वारा दिए गए सुझावों को पोर्टल पर शामिल किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी अपने जनपदों की संभावनाओं को तलाशे जाने और जनपद में लागू करने के लिए योजना तैयार किए जाने हेतु प्रतिदिन समय अवश्य निकालें। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को अपने अधीन कार्य कर रहे कर्मियों के कार्यों को सरल बनाए जाने पर भी ध्यान दें।
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी जमीनों में अतिक्रमण, 100 प्रतिशत सेग्रिगेशन एट सोर्स करने पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन अथॉरिटी (सारा) को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत प्रदेश में नदियों और जलस्रोतों के संरक्षण के लिए चेक डैम अधिक से अधिक संख्या में बनाए जाने हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए जल श्रोतों का पुनर्जीविकरण और भूमिगत जल स्तर को रिचार्ज किए जाने हेतु अत्यधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने वन पंचायतों के माध्यम में जड़ी बूटी को भी अधिक से अधिक बढावा दिये जाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर अपर सचिव विजय कुमार जोगदाण्डे एवं निदेशक आईटीडीए श्रीमती नितिका खण्डेलवाल सहित वीडियों कान्फेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।