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शंख कितने प्रकार के होते हैं और उनके क्या लाभ हैं

Pahado Ki Goonj

शंख कितने प्रकार के होते हैं और उनके क्या लाभ हैं भाग2का शेष

नादब्रह्म :

शंख को नादब्रह्म और दिव्य मंत्र की संज्ञा दी गई है। शंख की ध्वनि को ‘ॐ’ की ध्वनि के समकक्ष माना गया है। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

सेहत में फायदेमंद शंख : शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फॉस्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते।

शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंखवादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।

गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वर्द्धक और समृद्धिदायक कहा गया है।

पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख दिया जाए और सुबह उठकर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं।

नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं, कालसर्प योग में भी यह रामबाण का काम करता है।

श्रेष्ठ शंख के लक्षण…..

*शंखस्तुविमल: श्रेष्ठश्चन्द्रकांतिसमप्रभ: अशुद्धोगुणदोषैवशुद्धस्तु सुगुणप्रद:*

अर्थात निर्मल व चन्द्रमा की कांति के समान वाला शंख श्रेष्ठ होता है जबकि अशुद्ध अर्थात मग्न शंख गुणदायक नहीं होता। गुणों वाला शंख ही प्रयोग में लाना चाहिए।

क्षीरसागर में शयन करने वाले सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु के एक हाथ में शंख अत्यधिक पावन माना जाता है। इसका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष रूप से किया जाता है।

शंख से वास्तुदोष का निदान : शंख से वास्तुदोष भी मिटाया जा सकता है। शंख को किसी भी दिन लाकर पूजा स्थान पर पवित्र करके रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तुदोष का प्रभाव कम हो जाता है।

शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

ll जय श्रीराम ll
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#शंख_की_उत्पत्ति_एवं_शंख_के_लाभ

शंख की उत्पत्ति संबंधी पुराणों में एक कथा वर्णित है सुदामा नामक एक कृष्ण भक्त पार्षद भगवती राधा के शाप से शंखचूड़ दानवराज होकर दक्ष के वंश में जन्मा। अन्त में भगवान विष्णु ने इस दानव का वध किया। शंखचूड़ के वध के पश्चात्‌ सागर में बिखरी उसकी अस्थियों से शंख का जन्म हुआ और उसकी आत्मा राधा के शाप से मुक्त होकर गोलोक वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के पास चली गई।
भारतीय धर्मशास्त्रों में शंख का विशिष्ट एवं महत्त्वपूर्ण स्थान है। मान्यता है कि इसका प्रादुर्भाव समुद्र मंथन से हुआ था। समुद्र-मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से छठवां रत्न शंख था।

अन्य 13 रत्नों की भांति शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद थे। विष्णु पुराण के अनुसार भगवती माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शंख उनका सहोदर भाई है। अत: यह भी मान्यता है कि जहाँ शंख है, वहीं माता लक्ष्मी का वास होता है।
इन्हीं कारणों से शंख की पूजा भक्तों को सभी सुख देने वाली है। शंख की उत्पत्ति के संबंध में हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं कि सृष्टी आत्मा से, आत्मा आकाशसे, आकाश वायु से, वायु आग से, आग जल से और जलपृथ्वी से उत्पन्न हुआ है और इन सभी तत्व से मिलकर शंख की उत्पत्ति मानी जाती है।

भागवत पुराण के अनुसार,संदीपन ऋषि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा पूर्ण होने पर उनसे गुरु दक्षिणा लेने का आग्रह किया। तब ऋषि ने उनसे कहा कि समुद्र में डूबे मेरे पुत्र को ले आओ। भगवान कृष्ण ने समुद्र तट पर शंखासुर को मार गिराया। उसका खोल शेष रह गया।

माना जाता है कि उसी से शंख की उत्पत्ति हुई। पांचजन्य शंख वही था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शंखासुर नामक असुर को मारने के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु ने मत्स्यावतार धारण किया था

शंखासुर के मस्तक तथा कनपटी की हड्डी का प्रतीक ही शंख है। उससे निकला स्वर सत की विजय का प्रतिनिधित्व करता है।

घर में शंख रखने और बजाने के ये हैं ग्यारह फायदे…

पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है. देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियम‍ित रूप से बजाते हैं. ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है।

दरअसल, सनातन धर्म की कई ऐसी बातें हैं, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि कई दूसरे तरह से भी फायदेमंद हैं. शंख रखने, बजाने व इसके जल का उचित इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं. कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं. आगे चर्चा की गई है कि पूजा में शंख बजाने और इसके इस्तेमाल से क्या-क्या फायदे होते हैं।

1. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है. शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है।

2. शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते हैं

3. पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है. जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं. अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है।

4. शंख के जल से जगत पालनहार भगवान् श्री हरी विष्णु तथा माता लक्ष्मी आदि का अभि‍षेक करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

‍5. ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छ‍िड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।

6. शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है. ऐसी मान्यता है कि शंख की पूजा से कामनाएं पूरी होती हैं. इससे दुष्ट आत्माएं पास नहीं फटकती हैं।

7. वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है. कई टेस्ट से इस तरह के नतीजे मिले हैं

8. आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां, पथरी, पीलिया आदि कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं. हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही किया जाना चाहिए

9. शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है. पुराणों के जिक्र मिलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमि‍त तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है।

10. शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. यह दांतों के लिए भी लाभदायक है. शंख में कैल्श‍ियम, फास्फोरस व गंधक के गुण होने की वजह से यह फायदेमंद है

11. वास्तुशास्त्र के मुताबिक भी शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है. शंख की आवाज से ‘सोई हुई भूमि’ जाग्रत होकर शुभ फल देती है

शुभ संदेश प्रत्येक हिन्दू को अपने घर मे शंख अवश्य रखना चाहिएl

ये रत्न गर्भा कहलाने वाली पावन धरा में एक से बढ़ कर एक ज्ञानी,विज्ञानी,संत,महंत,परिव्राजकाचार्य,मंडलेश्वर,
कर्मवीर,शूरवीर,देशवीर, भक्तो से सुसज्जित धरा रही है।
इसमें एक से बढ़कर एक योगी,महायोगी,आचार्यो की साधना रही है।
हम आपके समक्ष ऐसे शंख नाद योगी को लेकर के आ रहे है।जिन्होंने पूरे देश में अपनी शंख नाद ध्वनि से कलुषित वातावरण को स्वच्छ करने का संकल्प ले रखा है।जहाँ भी शंख ध्वनि होती है,वहाँ भूत प्रेत पिशाच डाकिनी शाकिनी अला बलाओं का निवास नही रहता है।
भगवन कृष्ण का शंख नाद पूरी दुनिया को महाभारत का स्मरण करता है।
आप भी 3 मिनिट से लेकर 1 घंटे तक लगातार शंख नाद करने वाले प्रभु के अनन्य निष्काम भक्तराज श्री रामकृष्ण जी महाराज श्री काशी से है।

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