नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज अुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद दाखिल हुई कई याचिकाओं पर सुनवाई की। सबसे पहले एमडीएमके अध्यक्ष और नेता वाइको की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें दावा किया गया कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुराई की 111वीं जयंती में शामिल होने के लिए 15 सितंबर को चेन्नई आने वाले थे। मगर उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं हो पा रहा है क्योंकि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कई नेता घर में नजरबंद हैं।
इसपर न्यायालय ने सरकार से पूछा कि क्या अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में हैं? जिसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में नहीं है, लेकिन हमें उनका पता ठिकाना मालूम नहीं है। न्यायालय ने वाइको की याचिका पर अबदुल्ला की रिहाई के लिए केंद्र और जम्मू-कश्मीर को नोटिस जारी किए और सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को लेकर दायर याचिका में एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि मीडियाकर्मियों को उनके काम के लिए लैंडलाइन और कई अन्य संचार सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र चल रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है। प्रतिबंधित इलाकों में पहुंच के लिए मीडिया को ‘पास’ दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई है। दूरदर्शन जैसे टीवी चैनल और अन्य निजी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि कश्मीर से समाचार पत्र निकालने में मुश्किल हो रही है। जिसका सरकार की तरफ से एटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया।
उच्चतम न्यायालय में कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने दायर याचिका में दावा किया कि लोगों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। जिसके जवाब में एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पूरे जम्मू और कश्मीर के 5.5 से ज्यादा लोग इलाज के लिए ओपीडी जा चुके हैं। उन्होंने भसीन के दावे को सिरे से खारिज किया।