स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भगवान् आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करते गुरुभगवान की आज्ञा से तपस्या समाप्त करते हुए आंदोलन के लिए परम धर्म सेना का गठन करने का भगतों ने किया स्वागत

Pahado Ki Goonj

वाराणसी, पहाडोंकीगूँज : भगवान् आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करते स्वामिश्रीः।

संवत् 2079 विक्रमी ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी तदनुसार दिनांक 8 जून 2022

*तपस्या समाप्त लेकिन अभियान नहीं*

*करेंगे परमधर्म सेना का गठन*

*स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती*
सनातनधर्मावलम्बियों के लिए आज का समय सुखद नहीं हैं। भगवान् आदि विश्वेश्वर जिन्हें विश्व का नाथ कहा गया है वे आज एक समय के अन्न और जल से भी वंचित हो रहे हैं। यह हिन्दू समाज का कैसा दुर्भाग्य है कि भगवान हम पर कृपा करके प्रकट हुए हैं पर हम उनका दर्शन पूजन तक नहीं कर पा रहे हैं और उनके लिए अन्न जल की व्यवस्था भी नही कर पा रहे हैं।
उक्त बातें स्वामिश्रीः ने श्रीविद्यामठ में सायं 6 बजे से आयोजित सभा में कही।
उन्होंने कहा कि पूज्य गुरुदेव की आज्ञा एवं काञ्ची महाराज के अनुरोध पर हमने अपनी तपस्या को समाप्त किया है पर यह अभियान समाप्त नही हुआ है। केवल इस अभियान का स्वरूप बदला है । पूज्य शंकराचार्य जी के आदेश अनुसार अब इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए देशव्यापी अभियान चलाएंगे।

*करेंगे परमधर्म सेना का गठन*
स्वामिश्रीः ने परम धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान से अपने लिए कुछ चाहना कपट धर्म कहलाता है जबकि भगवान से भगवान को ही चाहना परम धर्म कहलाता है। इसलिए अब हम परमधर्म सेना का गठन करेंगे। इसमें ऐसे लोगों की भर्ती की जाएगी जो सनातन धर्म के लिए निःस्वार्थ एवं समर्पित रूप से कार्य करने को तैयार होंगे। जरूरत पडी तो सनातन धर्म की रक्षा के लिए जेल भी भरेंगे।
*रामराज्य में रात में एक कुत्ते को भी न्याय मिला था*
न्यायालय किस बात को अर्जेन्सी वाला समझते हैं और किस बात को नहीं यह समझ से परे है। यह वही देश है जहाॅ रात को दो बजे भी सुनवाई हुई है। जो लोग रामराज्य लाने का नारा लगाते हैं वे यह नही जानते कि भगवान रात ने रात को एक कुत्ते की सुनवाई करने के लिए भी अपना दरबार खोला था।

*हाथ उठाकर सभी ने किया आदि विश्वेश्वर पूजा का समर्थन*
सभा में स्वामिश्रीः ने सबसे पूछा कि कौन कौन यह चाहता है कि भगवान की पूजा हो तो सभी ने हाथ उठाकर भगवान की पूजा का समर्थन किया ।
*समर्थकों को दिया धन्यवाद*
जब से पूज्य स्वामिश्रीः के अन्न जल त्याग करने का समाचार पूरे देश में पता चला तब से ही अनेक प्रदेशों एवं जिलों में रह रहे शंकराचार्य जी महाराज के भक्तों सहित अनेक सनातनियों ने सांकेतिक प्रदर्शन दिया, अपने अपने क्षेत्र में जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया और अनेक भक्त सुनते ही काशी आ गये। श्रीविद्यामठ में भी अनेक लोगों ने बिना किसी को कुछ बताए ही स्वामिश्रीः के अन्न जल ग्रहण करने के बाद ही अन्न लेने का संकल्प कर रखा था। आज सभा में पूज्य स्वामिश्रीः ने उन सभी को हृदय से आशीर्वाद एवं धन्यवाद ज्ञापित किया ।

सभा में काशी विद्वत् परिषद् न्यास के अध्यक्ष डाक्टर श्रीप्रकाश मिश्र जी, आचार्य पं रमाकान्त पाण्डेय जी, जितेन्द्र नाथ मिश्र जी, भारत धर्म महामण्डल का श्रीप्रकाश पाण्डेय जी, दिनेशमणि तिवारी जी, रमेश उपाध्याय जी, गिरीश तिवारी जी, किशन जायसवाल जी, कन्हैया जायसवाल जी, हरिप्रसाद पाण्डेय जी, परमेश्वर दत्त शुक्ल जी, पावन ब्रह्मचारी जी, कानपुर से पधारे उदितानन्द ब्रह्मचारी जी, छत्तीसगढ से पधारे ज्योतिर्मयानन्द ब्रह्मचारी जी, उत्तराखंड के हृदयानन्द जी, जयजय शास्त्री जी, डा सावित्री पाण्डेय जी, डा आर एस दुबे जी, राम जी तिवारी जी, सुनील शुक्ल जी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

 

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