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पत्रकार वार्ता के दौरान आइस स्केटिंग एसोसिएशन आफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष शिव पैन्यूली। 
आइस स्केटिंग एसोसिएशन आफ उत्तराखण्ड के खिलाड़ियों ने जीते एक दर्जन मेडल
-16वीं राष्ट्रीय आइस फिगर स्केटिंग प्रतियोगिता में उत्तराखण्ड आइस स्केटिंग एसोसिएशन के सितारे चमके
देहरादून,  16वीं राष्ट्रीय आइस फिगर स्केटिंग प्रतियोगिता-2019 में आइस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड की ओर से 12 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग कर 12 मेडल हासिल कर राज्य के फिगर स्केटिंग खिलाड़ियों ने उम्मीद से कई अच्छा प्रर्दशन किया है। 29 से 30 अगस्त गुरूग्राम में आयोजित 16वीं राष्ट्रीय फिगर स्केटिंग प्रतियोगिता में भाग लेने गये आईस स्केटिंग एसोसिएशन आफ उत्तराखण्ड के खिलाड़ी जीत दर्ज कर वापस लौटे।
परेड ग्राउंड स्थित एक रेस्टोरेंट में आयोजित पत्रकार वार्ता में आईस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष शिव पैन्यूली ने बताया कि जीत दर्ज करते हुए राज्य के फिगर स्केटिंग खिलाड़ियों ने उत्तराखण्ड में इस खेल के मैदान के बगैर ही 12 मेडल राज्य की झोली में डालकर मैदान मारा। ईन खिलाड़ियों के प्रयासो को साझा करने के लिये यह प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है। उल्लेखनीय है कि आईस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ इण्डिया के तत्वावधान में गुरूग्राम में आयोजित हुई 16वीं राष्ट्रीय फिगर स्केटिंग प्रतियोगिता के लिये आईस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड की ओर से फिगर स्केटिंग के 16 खिलाड़ियों का चयन किया गया था । वहा राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 11 खिलाडियो ने अपनी प्रतीभा का लोहा मनवाते हुये 12 मेडल राज्य की झोली में डाले। आईस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड की ओर से सभीं खिलाडियो ने फिगर स्केटिंग की सोलो और सिंक्रोनाइज स्केटिंग के अपने आयु वर्ग और स्र्पधायों में भाग लिया और देशभर के तकरीबन 110 खिलाड़ियों के बीच टक्कर लेते हुये जीत दर्ज कर राज्य का नाम रोशन किया । जहा आर्दश रावत ने अपने सोलो वर्ग में प्रथम स्थान, अपूर्वा सिंह और तनिष्का सिंह ने दिृतीय स्थान बनाकर अपना और आईस स्केंटिंग एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड का नाम रोशन किया वहीं क्रमशः अनुष्का शमार्, सम्रद्धि तिवारी, युवराज गुलाटी, आर्दश रावत, एश्वर्या प्रभा सिंह, तनिष्का सिंह, यश्शवी सिंह, अपूर्वा सिंह और आर्यन विश्वकर्मा ने सिंक्रोनाइज स्केटिंग में तृतीय स्थान बनाकर राज्य का नाम रोशन किया । उत्तराखण्ड देशभर के खिलाड़ियों के बीच तृतीय स्थान बनाकर मैदान मारा। राज्य टीम के मनेजर कृष्णा तिवारी और टीम के सिंक्रोनाइज कोच शालू गुलाटी के साथ राष्ट्रीय फिगर स्केटिंग प्रतियोगिता में भाग लेकर लौटे राज्य के खिलाडियों को बधाई देते हुये आईस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष शिव पैन्यूली ने बतलाया कि आईस स्केटिंग एसोसिएशन आॅफ इण्डिया की ओर से गुरूग्राम के आईस रिंक में आयोजित इस प्रतियोगिता के अन्तर्गत राज्य एसोसिएशन से भेजे गये खिलाड़ियों ने उम्मीद से कई अच्छा प्रर्दशन किया है। उन्होंने कहा कि देशभर के उम्दा खिलाड़ियों के बीच टक्कर लेते हुये राज्य के इन खिलाड़ियों  ने उत्तराखण्ड में इस खेल के मैदान के बगैर ही मैदान मार लिया है। इसके लिये वे विशेष शाबाशी के हकदार है।
उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं में इस खेल के प्रति जो आकर्षण है उसी की वजह से आज राज्य में श्रैय, निष्ठा, हर्षिता और अस्तित्व जैसे अन्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हमारे पास है और इन्हीं से प्रेरणा पाकर राज्य के युवा इस खेल की ओर बड़ी तादाद में आकर्षित हो रहे है और राष्ट्रीय मंच पर अच्छा प्रर्दशन कर रहे है। आज राज्य में हमारे पास 6 अन्तराष्ट्रीय और 52 राष्ट्रीय स्तर के मेडल है। उन्होंने बतलाया कि राजधानी देहरादून में एशिया क्षेत्र का सबसे बड़ा और अन्तराष्ट्रीय स्तर का आईस रिंक होने के बावजूद यह यहां के खिलाड़ियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, फिर भी खिलाड़ी राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल कर देश और राज्य का नाम रोशन कर रहे है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यदि उत्तराखण्ड सरकार स्पोर्टस कालेज स्थित आईस स्केटिंग रिंक को शीघ्र खुलवाकर इन खिलाड़ियों को निशुल्क खेल सुविधायें प्रदान करवा दे ंतो निश्चय ही हमारे खिलाड़ी अन्तराष्ट्रीय खेल स्प्रधाओं में चमक पैदा करने की क्षमता रखते है और राज्य के लिये मेडल लाने में सक्षम है। उन्होंने बतलाया कि रिंक खुलवाने बाबत कई बार राज्य के मुख्यमंत्री, खेलमंत्री और मुख्य सचिव से निवेदन किया जा चुका है। प्रेस वार्ता के समय संस्था के वरिष्ठ सदस्य सिगहारा सिंह, विष्णु पैन्यूली, रूपचन्द आदि मौजूद रहें।
 एच-वन अनुसंधान संस्थान सम विवि के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान करते केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर।
वन अनुसंधान संस्थान सम विवि का पांचवां दीक्षांत समारोह आायोजित, 315 छात्रों को प्रदान की गई डिग्रियां
-वनों में पर्याप्त भोजन एवं जल की उपलब्धता सुनिशित करके मानव एवं वन्य जीव टकराव को रोका जा सकताः प्रकाश जावड़ेकर
देहरादून,। वन अनुसंधान संस्थान एफआरआई सम यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में वानिकी का अध्ययन कर रहे 315 युवा पास आउट हो गए। इनमें 253 एमएससी डिग्रीधारक छात्र जबकि 62 पीएचडी धारक हैं। शनिवार को आयोजित पांचवे दीक्षांत समारोह में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने छात्र-छात्राओं को डिग्रियां व मेडल बांटे। डिग्रियां और मेडल पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिल गए। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने पासआउट छात्र-छात्राओं से कर्तव्य निष्ठा और जनभागीदारी के साथ काम करने की अपील की। इसके अलावा लगन और कर्तव्यनिष्ठा से काम करने, कार्यों में जन की सहभागिता सुनिश्चित करने और सोशल फोरेस्ट्री को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लैंटाना (घास) का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसके साथ चीड़ से भी खतरा हो रहा है। इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। महानिदेशक वन एवं विशेष सचिव वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सिद्धांत दास ने जल संरक्षण पर जोर दिया। उन्होेंने कहा जल संरक्षण से झील रिचार्ज होंगे, घास उगेगी और घास उगने से जंगल में रहने वाले शाकाहारी जीवित रहेंगे। ऐसे जीवों का कुनबा बढ़ने के साथ ही बाघ और शेरों की संख्या में भी वृद्धि होगी। इस दौरान डॉ. एचएस गिनवाल सहित सभी प्रोफेसर, छात्र एवं उनके परिजन मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वृक्षांे की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्थानीय जनों को सादर नमन किया और वन एवं वन्य जीव संरक्षण में जन सहभागिता की महती भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक वानिकी, कृषि वानिकी तथा विद्यालय स्तरीय पौधशाला स्थापन जैसे कार्यक्रम देश में वनछादित क्षेत्र बढ़ाने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हें। छात्रों में वन सरंक्षण के प्रति जागरूकता एवं वृक्षों के प्रति प्रेम कि भावना जाग्रत करने हेतु विद्यालय स्तरीय पौधशाला की अहम भूमिका हो सकती है। भारत सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए  जावड़ेकर ने बताया कि वृक्ष उत्पादन एवं उनके उपयोग से संबन्धित नियमों को इस प्रकार सुगम बनाया जा रहा है ताकि जनसमान्य वृक्षारोपण के प्रति अधिक से अधिक उन्मुख हो सके। विगत वर्षों में किया गए प्रयासों के फलस्वरूप वनछादित क्षेत्र में 15,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गयी हें। इस संदर्भ में बास का उदाहरण देते हुए उन्हांेने पेड़ लगाओ-पेड़ बढ़ाओ- पेड़ का उपयोग करो का नारा दिया। उन्होंने यह भी कहा की वनों में पर्याप्त भोजन एवं जल की उपलब्धता सुनिशित कर के मानव एवं वन्य जीव टकराव को रोका जा सकता है। उन्हांेने उपाधि प्राप्त छात्रों से आधुनिक तकनीकों तथा प्रणालियों का उपयोग करते हुए अपने पारंपरिक मूल्यों के प्रति आदर रखने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में सिद्धान्त दास ने कहा कि आज हमारा देश वैज्ञानिक वन प्रबंध के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन का गवाह बना हें। पूर्व कि प्राथमिकताओं जैसे काष्ठ एवं गैर काष्ठ उपज कि जगह वन एवं वन्य जीव संरक्षण, आजीविका अर्जन एवं जल संरक्षण जैसे विषय आज ज्यादा प्रासंगिक हो गए हें। प्रधानमंत्री जल स्वावलम्बन योजना का जिक्र करते हुए उन्होने बताया कि इसके कार्यान्वयन के फलस्वरूप राजस्थान में केवल चार वर्षों में भूमिगत जल स्तर 4.2 फीट बढ़ गया हें। उन्होने बताया कि जल संरक्षण खाध्य शृंखला(फूड चेन) पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है और इस प्रकार वन्य जीव संरक्षण में प्रभावी भूमिका निभाता हैं। इस प्रयास से देश में विगत चार वर्षों के दौरान बाघों कि संख्या 2226 से बढ़कर 2967 हो गयी हें। जल संरक्षण 2.5-3.0 बिलयन टन कार्बन ेमुनमेजतंजपवद के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अत्यन्त जरूरी हें। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ॰ एस.सी. गैरोला ने अपने संबोधन में आईसीएफआरई द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण पहलों जैसे देश के लिए दूसरा राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान योजना (एनएफआरपी) तैयार करना, वानिकी विस्तार रणनीति कार्य योजना, प्ब्थ्त्म् कर्मचारियों के  क्षमता विकास हेतु मानव संसाधन विकास योजना, मंत्रालय के हरित कौशल विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, वानिकी के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के पुनरुद्धार के लिए डीपीआर तैयार करना, राष्ट्री रणनीति 2018 आदि के बारे में बात की । उन्होंने आगे कहा कि प्ब्थ्त्म् ने भारत में वानिकी शिक्षा के परिष्करण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा एवं अनुसंधान के दृष्टिगत ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, कनाडा, स्वीडिश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, स्वीडन, गोटिंगेन यूनिवर्सिटी, जर्मनी, इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट्री, नेपाल और राष्ट्रीय संस्थानों जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं राष्ट्रीय संस्थानों जैसे आईसीएआर, टेरी, टाइफेक, जीआईसीए, जेडएसआई और आईआईएम, काशीपुर के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। कुलाधिपति द्वारा दीक्षांत समारोह के औपचारिक समापन की घोषणा की गयी। डॉ. एच. एस. गिन्वाल, डीन, एफआरआई सम विश्वविद्यालय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ।
ए.एस. रावत, कुलपति एफआरआइ सम विश्वविद्यालय और निदेशक, एफआरआई ने गणमान्य अतिथियों, विशेष आमंत्रित सदस्यों, छात्रों और उनके अभिभावकों और सभी उपस्थित जनों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और वानिकी और संबंधित क्षेत्रों की चुनौतियों पर आधारित कार्य योजना के साथ ही साथ भविष्य की प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया गया। श्री रावत ने छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। समारोह के दौरान वानिकी के विभिन्न विषयों में 62 पीएचडी और 253 एमएससी सहित कुल 315 उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनके अतिरिक्त, एमएससी कोर्स मे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कुल नौ छात्रों जिनमे निधि, ओद्रिला बसु, शबनम बंद्योपाध्याय (वानिकी)य अजीन शेखर, मितिनम जमो (पर्यावरण प्रबंधन)य प्रिया बिष्ट, सुब्रत पाल (काष्ठ विज्ञान और प्रौद्योगिकी)य विजया कुमार, गुरसिमरन कौर बग्गा (सेलुलोज और पेपर टेक्नोलॉजी) को स्वर्ण पदक दिए गए।
09 अतिक्रमणों का ध्वस्तीकरण व 597 अतिक्रमणों का सीमांकन किया गया
देहरादून। न्यायालय के निर्देशों के क्रम में देहरादून शहर में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, पुलिस विभाग एवं जिला प्रशासन देहरादून द्वारा जन सामान्य हेतु बनाये गये फुटपाथों, गलियों, सड़कों एवं अन्य स्थलों पर किये गये अनधिकृत निर्माणों एवं अवैध अतिक्रमणों में ध्वस्तीकरण, चिन्हीकरण व सीलिंग का कार्य पुनः शुरू किया गया है। शनिवार को इस अभियान के अन्तर्गत 09 अतिक्रमण का ध्वस्तीकरण व 597 अतिक्रमणों का सीमांकन का पुनरुद्धार  व 09 अतिक्रमणों का चिन्हीकरण का कार्य सम्पादित किया गया।
अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने कहा कि राजधानी देहरादून से अवैध अतिक्रमणों को ध्वस्त किये जाने के पश्चात् शहर का सौन्दर्यीकरण किया जायेगा, जिसके बाद शहर एक नये रूप में नजर आयेगा। उन्होंने कहा कि शहर की लगभग 98 प्रतिशत जनता का यह मत है कि शहर से अवैध अतिक्रमणों को शीघ्र ही हटाया जाए, जिससे की आम जनमानस को ट्रैफिक जाम जैसी अन्य परेशानियों से निजात मिल सके। ओमप्रकाश ने कहा कि देहरादून शहर एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित होने के लिये अग्रसर है, इसलिये आम जनमानस को स्मार्ट सिटी जैसे शहरों से अपेक्षा रहती है कि इसमें बुनियादी सुविधाओं का विकास हो। उन्होंने कहा कि शहर में गाड़ियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है, जिससे कि ट्रैफिक जाम की समस्याएं भी बढ़ती जा रही है। स्कूली बच्चों को अभिभावकों द्वारा स्कूल छोडने व लेने के वक्त यातायात का दबाव अधिक बना रहता है, जिससे की इमरजेंसी वाहनों जैसे एम्बुलेंस, फॉयर ब्रिगेड आदि को जाम में फसना पड़ता है। अवैध अतिक्रमणों को हटाये जाने के बाद ऐसी कठिनाईयों से निजात मिल सकेगी। ओमप्रकाश ने कहा कि डाट काली मंदिर के पास टनल निर्माण हो जाने व मोहकमपुर फ्लाईओवर के बन जाने के बाद इन स्थानों पर लगने वाले लम्बे समय के ट्रैफिक जामों से आम जन मानस को निजात मिली है साथ ही उनका बेसकीमती समय भी बच रहा है। उन्होंने आम जनमानस से अपील की है कि शहर से अवैध अतिक्रमण हटाये जाने के कार्यों में अतिक्रमण हटाओं टास्क फोर्स को अपना सहयोग प्रदान करें।
पिथौरागढ़ और चमोली जिले में बादल फटने से भारी नुकसान, एक व्यक्ति की मौत, चार लोग घायल
देहरादून, पिथौरागढ़ और चमोली जिले में तीन इलाकों में बादल फटने से एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि चार लोग घायल हो गए। 100 से ज्यादा घरों, होटलों और दुकानों में बरसाती नालों के उफान के साथ आया मलबा घुस गया। 40 से 50  आवासीय भवन और छह गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। एसडीआरएफ टीम ने मलबे में दबे लोगों और मवेशियों को रेस्क्यू किया। राजस्व विभाग की टीमें क्षति का आकलन कर रही हैं। बदरीनाथ मार्ग अवरुद्ध होने के चलते करीब डेढ़ हजार श्रद्धालु विभिन्न पड़ावों पर फंसे हुए हैं।
पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील के तल्ला जोहार के टिमटिया क्षेत्र में शनिवार सुबह करीब तीन बजे बादल फटने से बरसाती गदेरे में उफान आ गया। इससे एक आवासीय मकान ध्वस्त हो गया, उसमें रह रहे 60 वर्षीय रामसिंह की मौत हो गई। उनकी पत्नी धनी देवी पड़ोसी महिला चंद्रा देवी घायल हो गए। क्षेत्र के तीन दर्जन से ज्यादा घरों में मलबा और पानी घुस आया। एक दर्जन से अधिक जानवर मलबे में दफन हो गए। भुजगड़ नदी के उफान पर आने से एक मैक्स जीप और दो मोटरसाइकिल बह गई हैं। तीन दर्जन के आसपास मकान क्षतिग्रस्त हो गए और करीब इतने ही मकान खतरे की जद में आ चुके हैं। रातीगाड़ के पास थल-मुनस्यारी मार्ग की करीब सात सौ मीटर सड़क नदी में समा गई है। दूसरी तरफ, बागेश्वर जिले में कपकोट के सूडिंग गांव में अतिवृष्टि ने जमीन धंसने लगी। लोगों ने घरों से भागकर सुरक्षित स्थानों का रुख किया। यहां 12 मकान खतरे की जद में आ गए हैं। यहां सरयू नदी के उफान को देखते हुए प्रशासन नदी किनारे बसें लोगों की निगरानी कर रहा है। टनकपुर-चम्पावत हाईवे मलबा आने के कारण सुबह दो घंटे बंद रहा। नैनीताल में सुबह से कोहरा छाया हुआ है।
चमोली जिले में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोशीमठ से 20 किमी दूरी पर तड़के भारी बारिश से गोविंदघाट में बादल फटने से भारी तबाही मची। बादल फटने के बाद गोठियामा गदेरा, तूपपाणी गदेरा और करुणा गदेरा में पानी के साथ मिट्टी व पत्थर आने से मलबा गोविंदघाट में घुस गया। गोविंदघाट की पार्किंग में खड़े 40 से ज्यादा वाहन मलबे की चपेट में आने से दब गए। बदरीनाथ हाइवे का 80 हिस्सा भी ध्वस्त हो गया है। इसके चलते बदरीनाथ धाम और हेमकुंड जाने वाले यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। मलबे से गुरुद्वारा जाने वाली दोनों सड़कें और 10 दुकानेें भी क्षतिग्रस्त हो गई। आठ होटलों में मलबा भी घुसा है। गोविंदघाट से हेमकुंड यात्रा रूट पर हेली सेवा के हेलीपैड में भी पानी आया है। आपदा के चलते गोविंदघाट में बिजली के पोल व पानी की लाइनें भी टूट गई हैं। गोविंदघाट में पीने के पानी के लिए दिक्कतें हो रही है। थराली तहसील के तलवाड़ी के गुड़म गांव में तड़के तीन बजे बादल फटने से मच्छीताल गदेरे के पास नाला उफान पर आ गया। नाले के मलबे से तीन आवासीय भवन व तीन गौशालाओं को नुकसान हुआ है। बादल फटने की आवाज सुनकर लोगों ने रात घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर शरण ली। गौशाला में कई मवेशी भी दब गई। दो लोगों को चोट आई हैं। नुकसान का आकलन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को जनपद पिथौरागढ व चमोली के जिलाधिकारियों से दूरभाष पर वार्ता कर भारी वर्षा से हुए नुकसान की स्थिति के संबंध में जानकारी हासिल की। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को प्रभावितों को हरसंभव मदद पहुंचाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने मौसम विभाग की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक कदम उठाए जाने के भी निर्देश दिये हैं। जनपद पिथौरागढ़ में अतिवृष्टि से जनहानि पर शोक जताते हुए मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने जिलाधिकारियों को राहत व बचाव कार्य तेजी से करने व प्रभावितों को आर्थिक सहायता के साथ ही अन्य राहत तुरंत उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए है।
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