कंप्यूटर हार्डवेयर के क्षेत्र में कॅरियर की अपार संभावनाएं

Pahado Ki Goonj

मौजूदा दौर में कंप्यूटर के बिना किसी भी काम की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। आने वाले समय में इसकी जरूरत और बढ़ेगी। जैसे-जैसे कंप्यूटर पर निर्भरता बढ़ेगी, उसी अनुपात में इसके रख-रखाव के लिए बेहतर प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ेगी। छात्र कंप्यूटर हार्डवेयर का कोर्स करके अपना कॅरियर बना सकते हैं। पिछले दो दशक में अगर किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास और कामकाज को लेकर निर्भरता बढ़ी है तो वह कंप्यूटर है। दरअसल कंप्यूटर आज हर एक की जिंदगी में इस तरह से पैठ बना चुका है कि इसके बिना कोई काम नहीं हो सकता। यह संभव है कि आपको कंप्यूटर का संचालन करना नहीं आता हो लेकिन समय पड़ने पर इसे सीखना आवश्यक होता जा रहा है। ऐसे में कंप्यूटर का रख-रखाव भी अहम हो जाता है। जब भी कभी इसमें खराबी आ जाती है तो इसे ठीक करने का काम कंप्यूटर हार्डवेयर प्रोफेशनल्स करते हैं।

कंप्यूटर हार्डवेयर क्या है

कंप्यूटर के कलपुर्जों को सम्मिलित रूप से हार्डवेयर कहा जाता है। हार्डवेयर तकनीक के अंतर्गत इसके निर्माण और रख-रखाव की जानकारी दी जाती है। इसे दो भागों में बांटा जा सकता है। कार्ड लेवल और चिप लेवल। दरअसल, सभी कंप्यूटर उपकरणों में कई तरह के कार्ड लगे होते हैं, जिनमें कई चिप होती हैं। पहले किसी भी चिप में कोई खराबी होने पर पूरे कार्ड को बदल दिया जाता था। इसे ‘कार्ड लेवल हार्डवेयर तकनीक’ कहते हैं। इसमें लगने वाले कार्ड काफी महंगे होते हैं, इस कारण यह तकनीक काफी महंगी है। अब जब से कार्ड में लगे चिप को बदलने की तकनीक विकसित हो चुकी है तो कंप्यूटर में इससे संबंधित किसी भी तरह की खराबी आने पर कार्ड में लगे चिप को बदलकर ही खराबी दूर कर दी जाती है। कार्ड के मुकाबले चिप काफी सस्ती पड़ती है। इसके कारण यह तकनीक काफी लोकप्रिय है।

योग्यता

कई पॉलिटेक्निक और निजी संस्थानों द्वारा चिप लेवल हार्डवेयर में डिप्लोमा का पाठ्यक्रम भी कराया जाता है। डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की अवधि एक से तीन वर्ष के बीच होती है। इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए योग्यता बारहवीं पास है, जबकि पॉलिटेक्निक में दसवीं के बाद ही प्रवेश लिया जा सकता है। अधिकतर जगहों पर दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही होता है। कुछ निजी संस्थान बारहवीं के अंकों के आधार पर भी प्रवेश देते हैं। इस पाठ्यक्रम में सबसे पहले छात्रों को मूलभूत सिद्धांतों से परिचित कराया जाता है। इनमें कैपिसीटर, डायोड, ट्रांसफॉर्मर, आईसी और चिप की जानकारी दी जाती है। इसके बाद डिजिटल डिवाइस एसेंबलिंग, ड्राइव पावर सप्लाई, मॉनिटर, मदर बोर्ड, प्रिंटर, यूपीएस आदि की विस्तृत जानकारी दी जाती है। इसके अलावा छात्रों को विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्किंग, लैन व वैन के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

संभावनाएं

कंप्यूटर और उसके उपभोक्ताओं की लगातार बढ़ती संख्या के साथ ही हार्डवेयर इंजीनियरों की मांग भी काफी तेजी से बढ़ी है। निजी संस्थानों और कार्यालयों में कंप्यूटर के बिना काम करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कंप्यूटर में थोड़ी-सी गड़बड़ी लाखों का नुकसान करा सकती है, इसलिए निजी कंपनियों और सरकारी कार्यालयों में पर्याप्त संख्या में हार्डवेयर प्रोफेशनल नियुक्त किए जाते हैं। घरों, दुकानों आदि में कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग के कारण स्वतंत्र रूप से रिपेयरिंग का काम करके काफी आमदनी की जा सकती है। आप हार्डवेयर अपग्रेडेशन में भी टेलीकॉम, मोबाइल और कंप्यूटर से संबंधित इलेक्ट्रिॉनिक गुड्स के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। साथ ही अगर आप नौकरी नहीं करना चाहते हैं तो खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं। यदि कुल मिलाकर कहा जाए तो कंप्यूटर हार्डवेयर में अवसरों की कोई कमी नहीं है।

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