आस्था का पर्व करवाचैथ पर जमकर हुई खरीदारी

Pahado Ki Goonj

देहरादून।आज गुरूवार को करवाचैथ है। कल इसके लिए बाजार पूरी तरह से सज चुके थे। बुधवार को करवाचैथ के लिए बाजारों में जमकर खरीदारी हुई। हर बार की तरह इस बार भी करवाचैथ से एक दिन पहले से ही बाजार की रौनक देखते ही बन रही थी। पूरा दिन दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लग रही। आस्था के त्यौहार  में भावना को देखते हुए मेहंदी लगाने वालों ने दाम बढ़ा दिए हैं। हालांकि पार्लरों में खूब डिस्काउंट दिए जा रहे हैं, जिनका दून की महिलाएं लाभ भी उठा रही हैं। यह त्यौहार भावना से जुड़ा हुआ है तो इसमें ग्राहकों की जेब ढीली करने में दुकानदार कोई गुरेज नहीं करता ।आज जहाँ दोजून की रोटी के  देश की 60 करोड़ लोग को रोजगार नशीब नहीं करा सकते हैं  इतनी आबादी  भूखी सोती है ।वहीं धर्म के नाम पर देश  बाजार  में व्यपारियों के अलग अलग लूटने के तरीके हैं। महिलाओं के लिए बालों चेहरे की सजावट करने  के लिए  व्यूटी पार्लर वालो के अपने अपने दाम के हिसाब से दाम ग्राहकसे वसूली करतें है  उत्तराखंड इससे अछूता नहीं है यहाँ पर महिलाएं अपने अपने बजट के हीसाब से बढ़िया मेकप करवा सके ।इसके लिए जगह जगह दुकानें हैं
इसके लिए 999 रुपये में लाइट मेकअप किया जा रहा है। इसके अलावा हेयर रिवोडिंग दो हजार रुपये मे की जा रही है। जबकि 499 रुपये के पैक में फ्रूट फेशियल, बेक पॉलिशिंग, फ्रूट फेस बलीच और थ्रेडिंग का फायदा मिलेगा। वहीं, 699 रुपये के पैक में ओजोन फेशियल, फेस ब्लीच ओजोन, आर्म बैक्स, बैक स्क्रबिंग, थ्रेडिंग शामिल है। 999 रुपये के पैक में पर्ल मिंट फेशियल, आर्म बैक्स, हॉफ लैग बैक्स, ओएक्सडी ब्लीच, हेड मसाज, हेड वॉश और थ्रेडिंग भी है।  इसके अलावा 1499 रुपये, 1999 रुपये, 2499 रुपये का पैक शामिल है।   बाजार में  मेहंदी के लिए इस बार भी स्पेशल ऑफर उपलब्ध हैं। 300 रुपये में दोनों हाथों की कलाई तक, 500 रुपये में हॉफ बाजू और एक हजार रुपये में वन थर्ड आर्म मेहंदी लगाई जा रही है। सुहागिन महिलाएं हर साल करवाचैथ का बेसब्री से इंतजार करती हैं। ये दिन उनके लिए बेहद ही खास होता है। पति की लंबी उम्र के लिए रखे जाने वाले और पति-पत्नी के प्रेम को दर्शाने वाले इस व्रत के लिए महिलाएं कुछ दिन पहले से ही तैयारियों में लग जाती है। ऐसे में बाजारों में भी महिलाओं के लिए ढेर सारे ऑफर्स निकाले गए हैं।

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वर्ष 2016 में पिछली हरीश रावत सरकार ने कामकाजी महिलाओं त्यौहार को मनाने में रहीं परेशानी को समझते हुए कड़वा चौथ  के अबसर पर सार्वजनिक अवकास घोषित किया । सार्वजनिक अवकाश अब प्रदेश में  महिला अधिकारियों कर्मचारियों को आस्था के पर्व  मनाने के लिए  जीतमणि पैन्यूली अध्यक्ष उत्तराखंड सचिवालय  समीक्षा अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर सार्वजनिक अवकाश कराने अनुरोध किया है जिस पर अपर मुख्यसचिव को पत्रावली प्रस्तुत करने के आदेश  मुख्यमंत्री  ने दिये हैं।

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राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के
आज के दो रोचक द्रश्य..

जज-

मस्जिद के नीचे
दीवारों के अवशेष मिले हैं।

मुस्लिम पक्ष की वकील
मीनाक्षी अरोड़ा-

वो दीवारें
दरगाह की हो सकती हैं।

जज-

लेकिन आपका मत
तो यह है कि मस्जिद
खाली जगह पर
बनाई गई थी..

किसी ढ़ांचे को
तोड़कर नहीं।

वकील- सन्नाटा

जज-

एसआईटी की
खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।

वकील-

वो बच्चों के
खिलौने भी हो सकते हैं।

जज-

उनमें वराह(सूअर) की मूर्ति
भी मिली है जो
हिंदू मान्यता के अनुसार
भगवान विष्णु के अवतार थे..

क्या मुसलमानो में सूअर की
मूर्ति के साथ
खेलने का प्रचलन था.?

वकील-
घना सन्नाटा..!!

वेदों में श्रीराम तो हैं ही …
अयोध्या में श्रीराम
जन्मभूमिका भी
सटीक उल्लेख है !!

_*वह दृश्य था*_
_*उच्चतम न्यायलय का .*.._

श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में
वादी के रूप में
उपस्थित थे

धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण,
जगद्गुरु
रामभद्राचार्य जी …

जो विवादित स्थल पर
श्रीराम जन्मभूमि होने के
पक्ष में शास्त्रों से
प्रमाण पर
प्रमाण दिये जा रहे थे …

न्यायाधीश की कुर्सी पर
बैठा व्यक्ति

मुसलमान था …

उसने छूटते ही चुभता सा
सवाल किया,

“आपलोग हर बात में
वेदों से प्रमाण मांगते हैं …

तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे
सकते हैं कि
श्रीराम का जन्म अयोध्या में
उस स्थल पर ही हुआ था?”

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी
(जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने
बिना एक पल भी गँवाए कहा ,

_*”दे सकता हूँ महोदय”*_

और उन्होंने ऋग्वेद की
जैमिनीय संहिता से
उद्धरण देना
शुरू किया

जिसमें सरयू नदी के
स्थानविशेष से दिशा और
दूरी का
बिल्कुल सटीक ब्यौरा
देते हुए
श्रीराम जन्मभूमि
की स्थिति बताई गई है ।

कोर्ट के आदेश से
जैमिनीय संहिता मंगाई गई …

और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को
खोलकर देखा गया
और
समस्त विवरण सही पाए गए …

जिस स्थान पर
श्रीराम जन्मभूमि की
स्थिति बताई गई है …

विवादित स्थल
ठीक उसी स्थान पर है …

और

जगद्गुरु जी के
वक्तव्य ने फैसले का रुख
हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया …

मुसलमान जज ने
स्वीकार किया ,

” आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा …
एक व्यक्ति जो भौतिक
आँखों से रहित है,

कैसे वेदों और शास्त्रों के
विशाल वाङ्मय से
उद्धरण दिये जा रहा था ?

यह ईश्वरीय शक्ति नहीं
तो और क्या है ?”

अब कोई ये मत कहना कि
वेद तो श्रीराम के
जन्म से पहले अस्तित्व में थे …

उनमें श्रीराम का
उल्लेख कैसे हो सकता है?

वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषि
त्रिकालज्ञ थे —

भूत, भविष्य और वर्तमान,
तीनों का ज्ञान रखते थे …

( श्रीराम की महिमा
तीनों कालों में है — कालाबाधित …

लोकविश्रुत …)

*_llचहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊll_*
*_llकलि विशेष नहिं आन उपाऊ ll_*

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