काशी विश्वनाथ कारीडोर के नाम पर काशी की आत्मा का हनन विगत कुछ वर्षों से निरन्तर हो रहा है -स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

Pahado Ki Goonj
 हरिद्वार, आदि शंकराचार्यस्वामी ज्योतिर्मठ एवं द्वारिका पीठाधीश्वर श्री स्वरूपानंद सरस्वती स्वामि के पट शिष्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती  ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भगवान  शिव की  बसाई गई काशी में सैकडों मन्दिर और हजारों मूर्तियां तोड कर मलबे में फेंक दी गईं ।
गोविन्देश्वर महादेव के पास का पीपल का हरा पेड काट दिया गया। कई प्राचीन कुयें पाट दिये गये। मण्डन मिश्र की मूर्ति का मानमर्दन हुआ।
धार्मिक काशी के सबसे सम्मानित व्यास जी की प्रशासन की निर्ममता के कारण अपना घर होते हुये भी किराये की जगह में मृत्यु हुई।
विश्वनाथ जी की कचेहरी के सब देवता गायब कर दिये गये। उनकी रसोई भी तोड दी गई और उनके गुरु अविमुक्तेश्वर महादेव भी ‘मुक्त’ कर दिये गये।
नरेन्द्र मोदी ने आकर कहा कि विश्वनाथ जी सांस नहीं ले पा रहे थे अब सांस लेंगे।  गंगा ने बुलाया है कहकर गंगा को ही पाट दिया गया।
अब अक्षय वट को भी ‘तरीके’ से धराशायी कर दिया गया है।
हम कुछ नहीं कहेंगे। क्योंकि हमने आरम्भ में ही कह दिया था कि पूज्यों की पूजा में व्यतिक्रम दुर्भिक्ष, मरण और भय लाता है। यह भी कह दिया था कि तीन वर्ष के अन्दर इस महापाप का फल पूरे विश्व को भोगना होगा क्योंकि ‘विश्वनाथ’ के साथ अन्याय हो रहा है।
दुर्भाग्य है कि तब काशी के लोग हर हर महादेव छोडकर हर हर मोदी के नारे में मस्त थे। आज भी हैं। पर यह भी सच है कि जो दिन देखने को मिल रहे हैं वे भयावह हैं।
आगे और भी भयावह दृश्य दिखेंगे। आखिर हजारों सालों से स्थिर देवताओं का आसन हिलाया जा रहा है।
काशी के लोगों को चमकते कारीडोर के साथ साथ प्राचीन मन्दिरों मूर्तियों और धर्मप्रतीकों के अपमान का परिणाम भोगने के लिये भी तैयार रहना चाहिए।
हम नरेन्द्र मोदी और आदित्यनाथ योगी की इस पाप के लिये भर्त्सना जीवन भर करते रहेंगे। और उस दिन के लिये जीवित रहेंगे कि तोडे गये मन्दिरों आदि को पुनः उनकी जगह स्थापित कर सकें।
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