सरकार को टिहरी रियासत के विलीन की संधि से जल,जमीन, जंगल मे जनता को अधिकार दे: जीतमणि पैन्यूली

Pahado Ki Goonj

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अखबारों,मीडिया की खबरों का संज्ञान क्यों नहीं लिया जाता है?
देहरादून: पहाडोंकीगूँज,भारत सरकार एंव विशेष रूप में राज्य सरकारों को समझना होगा कि पूर्व में राजाओं ने जल,जमीन, जंगलों में गाँव की जनता एवं किसानों काश्त करने के अधिकार क्यों दिये थे।अब साफ समझने का प्रयास सरकार को करना चाहिए कि इतना बड़ा विभाग के हजारों कर्मचारियों में अपने लिये जंगलों की संपत्ति का उपयोग किया जाता है।जिसका खुलासा मीडिया, वितीय निरीक्षण करने वाले करते रहते हैं।और 3 IFS अधिकारी यों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निलम्बित भी किया है।अब भी समय है मंत्री मंडल में इस कानून की व्यबस्था समाप्त कर गांव वासियों को पूर्व की भांति अधिकार देकर जल ,जमीन,जंगल को बचाने का काम किया जाय। टिहरी गढ़वाल रियासत में यह व्यबस्था रही है  ।उसे लागू किया जाय।

पहले जिससे वन उपज से राज्य की आय में बृद्धि होती रही है।यहाँ तक कि इंग्लैंड से वील्सन जंगल से देवदार ,फर,चीड़ के इमारत बनाने की लकड़ी गंगा के बहाव से रायवाला डिपो में एकत्रित कर रेल से जगह जगह भेजते रहे। अब देव भूमि में जंगल बचाने का एक ही माध्यम है कि जनता को पूर्व की भांति अधिकार  बहाल किया जाय।

जंगल से कितने फायदे हैं यह हमारे गांव लिखवार गाँव प्रतापनगर में जाकर देख सकते हैं हमारे पूर्वजों ने खेती के बीच मे अपना जंगल पाला है उसके चोकदारी की है साथ ही हमें जंगल में कास्तकार के रूप में सभी उपजे लेने का काम करते हैं। जंगल के चारो ओर खेती की जाती रही है।

जहां जंगलो कि सुंदर आवोहवा मिलने वाली होती रही आज सरकार की गलत नीतियों को अपनाने से जनता आग के धुंए से बीमार होरही है ।लगातार अस्पतालों में लग रही हैं मरीजों की लंबी लम्बी कतार।इधर उधर होगई महंगाई की मार, काम धंदे से होगये लोगों बीमारी से बेकार। सरकार की गलत नीतियों से जनता होगई लाचार। पर्यावरण संरक्षण करने के लिए सरकार इच्छा शक्ति से है तैयार तो जल ,जमीन, जंगल में गांव वालों को बनाओ भागीदार। इस व्यबस्था से प्रदेश, देश, से बचाने के लिए कमर कस कर काम करने की आवश्यकता होगी।

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