घी खाइए सेहत का खजाना पाइए

Pahado Ki Goonj

घी खाइए, सेहत का खजाना पाइए :

(1) तेल बार-बार गर्म करने से खराब होते है और ट्रांस फैट में बदलते है यही ट्रांस फैट शरीर में जमता है और बीमारियों का कारण बनता है। परंतु इसके विपरीत घी को उबाल कर ही शुद्ध किया जाता है। सबसे ज्यादा स्मोक पॉइंट होने के कारण घी अधिक तापमान को भी सहन करने की क्षमता रखता है।

(2) घी न केवल हमारे भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि भोजन में घी होने से, कम मात्रा में भोजन करने पर ही भूख शांत होने लगती है। इस प्रकार हम अधिक मात्रा में खाने से बचते हैं।

(3) घी हमारे आमाशय की जठराग्नि को उसी प्रकार प्रचंड करता है जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि को। अतः घी न केवल स्वयं शीघ्रता से पचता है बल्कि भोजन के अन्य अवयवों को भी पचाता है।

(4) घी में विटामिन ए, डी, इ, के एवं बी12 प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनमें से विटामिन A व D एंटीआक्सीडेंट होते हैं । अतः घी स्वयं एक एंटीआक्सीडेंट की तरह काम करता है और हमारे शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाता है। घी हमारे जोड़ों को मजबूती देता है।

(5) घी हमारे शरीर में ‘गुड गट बैक्टीरिया’ को बढ़ाता है जो कि भोजन के पाचन एवं अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। घी में मौजूद फैट को प्रीबायोटिक का दर्जा दिया गया है I इस प्रकार भोजन में घी का होना अपच, कब्जी, पेट के फुलाव आदि का स्वाभाविक इलाज है ।

(6) इसी प्रीबायोटिक गुण के कारण घी सबसे अच्छा anti allergen भी है क्योंकि तरह-तरह की फूड एलर्जी का कारण आंतों के बैक्टीरिया का कम होना है ।

(7) कच्चे दूध से निकाले गए सफेद मक्खन में wulzen factor मौजूद होता है जो जोड़ों की सामान्य बीमारियों में एवं गठिया में लाभकारी होता है। wulzen factor को anti stiffness factor एवं anti arthritic nutrient भी कहते है।

(8) घी में मौजूद तत्व कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA) शरीर की चर्बी को गलाने में सहायक होता है। अतः जिस प्रकार लोहा लोहे को पिघला देता है उसी प्रकार शरीर की चर्बी को गलाने के लिए हमें गुड फैट की आवश्यकता होती है l

(9) घी में मौजूद फैटी एसिडस् झुर्रियों रहित, दमकती त्वचा प्रदान करते है। बालों में मजबूती एवं चमक देते हैं।

(10) भोजन में घी की कमी होने से ही भोजन के उपरांत मीठा खाने की इच्छा बनी रहती है।

(11) घी भोजन की ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) को कम करता है अर्थात घी के प्रयोग से, लिए गए भोजन की ग्लूकोस, खून में धीरे धीरे पहुंचती है। ऐसा डायबिटीज एवं दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यही कारण है कि पुराने जमाने से ही खिचड़ी, दाल चावल एवं अन्य कई व्यंजनों में ऊपर से घी डालकर खाया जाता है। खून में ग्लूकोज धीरे-धीरे रिलीज होने से शरीर एवं दिमाग में ग्लूकोस का सतत् लेवल बना रहता है।

(12) घी में मौजूद फैट आसानी से दिमाग में पहुंचते हैं और सोचने समझने की शक्ति को विकसित करने में लाभदायक होते हैं।

(13) 2015 में US FDA ने स्वीकार किया कि भोजन में कोलेस्ट्रॉल लेने और दिल की बीमारियों में कोई संबंध नहीं है एवं कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन को ना लेने का कोई कारण नहीं है। परंतु 30- 40 साल तक जो गलत धारणा बनी हुई थी उसके चलते हमने ना केवल घी बल्कि मूंगफली, काजू, नारियल जैसी बेहद लाभदायक चीजों को भी खाना छोड़ दिया था। और तो और दूध भी लो फैट ही लाने लगे।

(14) जून 2014 में UK FOOD GUIDELINES (NICE) ने माना कि भोजन में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स लेने की आवश्यकता कतई नहीं है। क्योंकि यदि ओमेगा 3 एवं ओमेगा 6 फैटी एसिड्स को भोजन में ज्यादा लिया जाता है तो यह शरीर में ट्रांस फैट में बदल जाते हैं और अंगों को क्षति पहुंचाते हैं।

(15) चाहे हम घी खाएं या तेल सभी में समान कैलोरी होती है । सभी फैट के 1 ग्राम से 9 किलो कैलोरी मिलती है।

(16) घी के प्रति हमारे मन में यह डर फ़ूड इंडस्ट्री की काली करतूतों की वजह से ही पनपा है क्योंकि यदि घी एवं अन्य पारंपरिक कच्ची घानी के तेलों को को बदनाम न किया जाता तो फ़ूड इंडस्ट्री सफोला, फार्च्यून रिफाइंड, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल जैसे तेलों को, दिल के लिए लाभकारी बताकर घर-घर ना पहुंचा पाती।

(17) इसलिए सभी व्यक्तियो को चाहे वे अपच, मोटापा, शुगर, BP या दिल की बीमारी से ही ग्रसित क्यों ना हो, भोजन में शुद्ध घी का प्रयोग भरपूर मात्रा में करना चाहिए।

यदि अभी भी आप घी के प्रति असमंजस में हैं तो दिमाग की सोचने समझने की शक्ति को विकसित करने के लिए घी खाइए ।

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