मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 40वें आल इण्डिया पब्लिक रिलेशन्स काॅन्फ्रेंस का शुभारम्भ किया

Pahado Ki Goonj
देहरादून:मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में 40वें आल इण्डिया पब्लिक रिलेशन्स काॅन्फ्रेंस का शुभारम्भ किया। काॅन्फ्रेंस की थीम ‘‘हिमालय से गंगा राष्ट्र का गौरव’’ का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में गंगा की निर्मलता को लेकर कोई संदेह नही है। कोई भी योजना तभी सफल हो सकती है जब उसमें जन सहभागिता हो। उन्होंने कहा कि नदियां निर्मल रहे तथा उनमें पानी की निरंतरता रहे यह भी जरूरी है। हिमालय और गंगा देश की बड़ी आबादी की आर्थिकी को प्रभावित करते हैं, गंगा बेसिन पर करोड़ों लोगों का जीवन इसके जल पर निर्भर है। 
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि आज के परिवेश में भौगोलिक संकेतों के अलावा भी देश को एकसूत्र में बांधने की जरूरत है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  जीएसटी लागू कर, वन नेशन वन टैक्स की संकल्पना को साकार कर चुके हैं। इसी तर्ज पर आज यह समय की मांग है कि पूरे देश में चुनाव प्रणाली में सुधार लाया जाए। वन नेशन वन इलेक्शन प्रणाली को लागू करने पर विचार करना होगा।
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि मा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के जनमानस के सामने ये विचार व्यक्त किया था कि क्यों न लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। प्रधानमंत्री  के मन में चुनावों में बेतहाशा हो रहे खर्च, समय की बर्बादी, विधायी कामकाज में अस्थिरता और बार बार चुनावों के कारण आम जनता को होने वाली परेशानियां सवाल बनकर उभरी, और इन्हीं समस्याओं को देखते हुए प्रधानमंत्री जी ने ये विचार देश के समक्ष रखा है कि क्या आने वाले समय में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। 
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस विचार को संसद ने गंभीरता से लिया और इस पर विचार के लिए संसद की स्टैंडिंग कमेटी बनाई गई। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव से खर्च बचेगा और सामान्य जीवन में बाधाएं कम आएंगी। जिसके दूरगामी सकारत्मक परिणाम नजर आएंगे।
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि जब हम एक राष्ट्र की बात करते हैं, तो ये जरूरी है कि लोकतांत्रिक तौर पर भी पूरे देश का एक जैसा स्वरूप दिखाई दे। लेकिन भारत में अलग अलग राज्यों में कहीं न कहीं हर समय चुनावी माहौल रहता है। एक साथ चुनाव कराने का एक बड़ा फायदा ये होगा कि देश की चुनाव प्रणाली में एकरूपता आएगी। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में प्रयोग के तौर पर एक साथ छात्र संघ के चुनाव कराये, जो काफी सफल रहा।
उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे राजनीतिक स्थिरता आएगी। एक साथ चुनाव कराने से देश को चुनावी खर्चे में करोडों की बचत होगी। यदि एक साथ चुनाव हुए तो इस खर्चे में बहुत हद तक कमी आएगी तथा यह धन देश की तरक्की के काम आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार चुनावों के चलते आदर्श आचार संहिता लागू होती है। इससे  विकास कार्यों पर असर पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से ये स्थिति बदलेगी। 
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस सम्मेलन में अलग अलग क्षेत्रों के विद्वान लोग बैठे हैं। हम सब इस पर विचार कर सकते हैं। और कम से कम समाज को अपने माध्यम से जागरुक भी हो सकते हैं। अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है तो इससे न सिर्फ लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि निश्चित रूप से देश में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। 
इस अवसर पर मुख्यमत्री  त्रिवेन्द्र ने पब्लिक रिलेशन सोसायटी भोपाल चैप्टर की पुस्तक पर्यटन लेखन तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से संबंधित कैलेण्डर का विमोचन किया तथा पब्लिक रिलेशन से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के पुरूस्कार भी प्रदान किये। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने गंगा की पवित्रता एवं गंगा संरक्षण के लिये चलाये  जा रहे हस्ताक्षर अभियान की भी स्वयं हस्ताक्षर कर शुरूआत की। 
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, पी.आर.एस.आई. के अध्यक्ष अजीत पाठक, महासचिव सुश्री निवेदिता बैनर्जी, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार  रमेश भट्ट, यूकास्ट के महानिदेशक डाॅ. राजेन्द्र डोभाल, स्वामी राम हिमालयन विश्व विद्यालय के चांसलर विजय धस्माना, पी.आर.एस.आई. उत्तराखण्ड चैप्टर के अध्यक्ष  विमल डबराल सहित पी.आर.एस.आई. से जुडे देशभर से आये प्रतिनिधि उपस्थिति थे। 
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