अमीर से गरीब की लडाई मार्क्स के ‘वैज्ञानिक समाजवाद’ के रीड की हड्डी है- राजेश्वर पैन्युली

Pahado Ki Goonj

अमीर से गरीब की लडाई मार्क्स के ‘वैज्ञानिक समाजवाद’ के रीड की हड्डी है-  राजेश्वर पैन्युली

कार्ल -मार्क्स- का 200 वा जन्मदिन – 05.05.2018

कार्ल हेनरिख मार्क्स जर्मन के जाने माने दार्शनिक औरअर्थशास्त्री थे l इनका जन्म 5 मई 1818 को एक यहूदी परिवार मे हुआ था l
‘वर्गसंघर्ष’ का सिद्धांत यानि की अमीर से गरीब की लडाई मार्क्स के ‘वैज्ञानिक समाजवाद’ के रीड की हड्डी है।
मार्क्स के सारे आर्थिक और राजनीतिक विचार इन्हीं पर आधारित माने जाते हैं। पर शायद ये एक गलत धारणा हैं l
मार्क्स का मानना था कि “पुंजीवाद की सारी सोच भौतिकवाद पर आधारित है ,वो मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देती उसे मशीने बना देती हैं , ज़िसका दोहन किया जाये और उससे अधिक से अधिक लाभ कमाया जाए ,”उदाहरण के लिए वालमार्ट दुनिया की बहुत बड़ी कंपनी हैं पर उसके दुकान मे किसी भी सेलमेन को बेठने के लिए सीट नहीं होती उससे उम्मीद की जाती हैं की वो 8 घंटे मशीन की तरह उनके लिए काम करें l
“मार्क्स मानते थे की विभिन्न धर्म की उत्पत्ति मनुष्य के दु:ख , दुनिया के बेरहमदिल और आत्मा की संगदिल के कारण हुए स्थिति हैं , धर्म को अफीम की तरह पूंजीवादी और राजनैतिको द्वारा लोगों को खिलाई जाती हैं, जिसमे वो अपना इस दुनिया मे आने का उदेश्य भूल ज़ाते हैं l
मार्क्स का मानना था की मनुष्यता करूणा पर आधारित हैं और पुंजीवाद उसे पूरी तरह से खत्म कर देते हैं l
आज 200 साल के बाद भी उनके सिद्धांत सत्य हैं वो कहते थे की परिवर्तन ही यथार्थ सत्य हैं lऔर आज के परिवेश मे देखा जाये तो पूंजीवाद हमारे ऊपर कब्जा कर रहे हैं 1875 से 1900 के बीच ब्रिटिश ने लगभग 2.50 करोड लोगों को इस पूंजीवाद की भेंट चढl दिया था l आज की तारीख मे भी गरीब मजदूर की वही हालत हैं जो चाहे होटल मे हो या फेक्ट्री मे हो ..पर पूंजीवाद ने उसे समाचारो से गायब कर दिया हैं l हमारा पड़ोसी देश नेपाल भी हिन्दू राष्ट्र से मार्क्स के सिद्धांत की तरफ बढ़ रहा हैं ..l
पूंजीवाद की हालत हमारे देश मे ये हो गयी है धर्म की राजनीती राष्ट्रवाद के नाम पर राजनितिक पार्टी और पूंजीवादियों के गठ जोड कर रहे हैं l यथार्त मे एतिहासिक लालकिला को भी पूंजीपतियो को दिया जा रहा हैं और नौकरी , स्वास्थ्य , शिक्षा , को ठेकेदारों को दिया जा रहा हैं … जो किसी भी देश मे सरकार की मूलभूत जिम्मेदारी होती है lक्या हम एसी भारत की कल्पना करते थे जो धीरे धीरे राष्ट्रवाद , धर्मवाद की आड मे पूंजीपतियो को दिया जा रहा है ? और आज तो भारत की फ्लिपकार्ट ,कम्पनी भी विदेशियों के कब्जे मे जा रही है l
सोचियेगा जरूर ..
नहीं तो बहुत देर हो जायेगी जो देश 200 साल मे स्वतंत्र हुआ है ब्रिटिश राज से वो अब अमेरिका के पूंजीपतियो के हाथ मे कुछ भारतीय पूंजीपती और राजनेतिक लोगों की मिलि भगत से चला जायेगा ..lआप फिर गुलाम होंगे ..l
यह उनका खुद का स्वाभाविक आंकलन हैंl परिस्थती पर आधारित हैं l

 

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