साइंटिफिक-एनालिसिस लोकतन्त्र व राजनैतिक दलों को आईना दिखाता एक आविष्कार:युवा वै. शैलेन्द्र कुमार बिराणी

Pahado Ki Goonj

साइंटिफिक-एनालिसिस

लोकतन्त्र व राजनैतिक दलों को आईना दिखाता एक आविष्कार

आजादी को 75 वर्षों से अधिक होने के बाद भी सोच, शिक्षा व भविष्य की दूरदर्शिता का यह आलम हैं कि एक आविष्कार पूरे लोकतन्त्र व राजनैतिक दलों पर भारी पड़ रहा है | आविष्कार भी ऐसा-वैसा नहीं हैं यह पुरी दुनिया के रिकॉर्ड से जांचनें के बाद 350 वर्षो से ज्यादा पुराने ईतिहास में भारत को अग्रणी यानि नम्बर -1 बना चुका और भारत सरकार ने प्रमाण-पत्र भी जारी करा हुआ हैं । इसके साथ सबसे बड़ा सामाजिक पहलू एक मिनिट में मर रहे एक ईंसान की जान को बचाने से जुड़ा हैं ।

व्यक्तिगत रूप से बिना किसी एजेंट के पेटेंट हासिल करने वाले मध्यप्रदेश इतिहास के प्रथम व्यक्ति ने वर्षों तक नीचे से ऊपर यानि महामहिम राष्ट्रपति तक दस्तावेजों को फाईल के रूप में हर सरकारी टेबल की धुल खिलाने की प्रक्रिया से परेशान होकर सभी देश-दुनिया के दस्तावेजों को दस पेज की संलग्न सूची के रूप में संकलित कर 3.50 किलोग्राम की फाईल बनाकर राष्ट्रपति को भेज दिया | इस फाईल पर अंतिम फैसला लेने के लिए राष्ट्रपति अधिकृत हो चुके हैं । इस फाईल में सबसे ऊपर जो कवर फोटो व कवरिंग पत्र लगाया वो आज के लोकतन्त्र, संविधान के आधार पर चलने वाली व्यवस्था और राजनैतिक दलों पर भारी पड़ रहा हैं ।

वर्तमान में लोकसभा चुनाव या आम चुनाव की प्रक्रिया चालू हैं इसमें हर राजनैतिक दल ने देश व देशवासीयों के लिए सत्ता मिलने के बाद भविष्य के काम का जो खाका खींचा हैं उसे घोषणा पत्र कहते हैं । सत्ता समर्थित सबसे बडे़ राजनैतिक दल ने इसे संकल्प पत्र कहां हैं और सोशियल मीडिया नेटवर्क व व्यक्तिवाद के प्रचार में मोदी की गारन्टी कहां जा रहा हैं । विपक्ष के सबसे बडे़ राजनैतिक दल ने अपने घोषणा पत्र को न्याय पत्र कहां हैं । इन दोनों को सत्ता द्वारा देश के भविष्य का केन्द्र मानकर आगे बढा जा सकता है। यह दोनों लोकतन्त्र के नाम पर सिर्फ़ बात करते हैं उसकी मजबूती के लिए एक भी योजना का जीक्र नहीं हैं | सत्ता पक्ष का राजनैतिक गठबंधन जो चल रहा हैं व आज को ही सर्वश्रेष्ठ लोकतन्त्र बता रहा हैं और अपने काम को छोड़ दूसरों के भूतकाल की बातों का डर दिखा वोट मांग रहा हैं । इसके विपरित विपक्षी गठबंधन लोकतन्त्र को बचाने व मजबूत करने का एक ही उपाय बता रहा हैं बस उसे वोट दे दो |

आविष्कार वाले लेटर के कवर पेज पर पहली बार किसी लोकतन्त्र का ग्राफिक्स रूप हैं। इसके आधार पर विश्लेषण करने पर हर समस्या का समाधान सामने आ जाता हैं । इसमें भारत-सरकार का सही अर्थ, राष्ट्रपति की शपथ का तरीका, मुख्य न्यायाधीश के आगे लगे भारतीय शब्द का सही अधिकार व सम्मान, न्यायकर्मियों को उचित सुविधाएं, सत्ता के विकेन्द्रीयकरण का खाका, भारतीय मीडिया का संवैधानिक चेहरा व जवाबदेही वाले कानूनी अधिकार, गोदी मीडिया व फेक न्यूज़ पर कन्ट्रोल कर खत्म करने का तरीका, एक छोटे से छोटे सैनिक को हर राष्ट्रीय पर्व पर गारन्टेड शीर्षस्थ सलामी, सिर्फ कानून बनाने नहीं, कानून बनाने के तरीके को संवैधानिक तरिके से स्पष्ट कर व्यवस्था को पूर्ण रूप से प्रभावी व तिरंगें के चक की तरह गतिमान करने का सिद्धांत, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बढते कदम को लोकतन्त्र में संविधान के अनुरूप समावेश करने का तरीका, वन नेशन व वन इलेक्शन को लागू करने का सही प्लान इत्यादि-इत्यादि प्रमुख हैं ।

अब आते हैँ राजनैतिक दलों की सामाजिक एवं आर्थिक नीति पर जो सत्ता में आने के बाद सीधे केश राशि को चयनित लोगों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने पर टीकी हैं । यह पैसा दूसरे हाथ से आम लोगों द्वारा टैक्स के रूप में वसूला जायेगा इसमें जिनको आर्थिक सहयोग दिया जायेगा वो भी शामिल हैं | यह प्राथमिक स्तर की स्कूलों में पढाई जाने वाली कहानी दो बिल्लियों को एक रोटी बराबर-बराबर बांटने में तराजु लेकर बैठे बन्दर के खेल के सिद्धांत एवं नियमों के अनुरूप हैं । घोषणा पत्रों में प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त, चयनित छात्रों को पैसे का सहयोग देने की बात हैं जबकि आविष्कार वाले पत्र में कालेज से निकलने वाला हर छात्र लखपति या करोड़पति बनकर निकलने का लिखित में दे रखा हैं और योजना के सत्यापन के प्रमाणित दस्तावेज जोड रखे हैं | बेरोजगारों को नौकरीया देने की बात को राजनैतिक दलों ने बड़ी-बड़ी संख्या के वादों के रूप में बताया हैं जबकि आविष्कार वाले कवर पत्र में एक आविष्कार से लाखों को प्रत्यक्ष व करोडों को अप्रत्यक्ष नौकरी का प्रमाण देते हुए नौकरीया उत्पन्न करने के सिद्धांत को लागू करना हैं जिससे आने वाले समय में नौकरियां ज्यादा होगी व काम करने वाले उम्मीदवार कम पड़ेंगे |

सभी राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में स्वास्थ्य को लेकर एक ही योजना हैं, वो हैं लोगों के जीवन को बीमे के माध्यम से प्राइवेट कम्पनीयों के हवाले कर देना | मुफ्त ईलाज के नाम पर सुविधाओं, स्टाफ, दवाईयों के अभाव वाले सरकारी अस्पतालों में डिपोजिट करा देने से ज्यादा नहीं जबकि आविष्कार वाले लेटर में पूरे चिकित्सा क्षेत्र को 21वी सदी के अनुरूप बदलने, बिमारीयों को कम करने व हर अस्पताल को सक्षम व आधुनिक बनाने के प्रमाणित दस्तावेज आधारित योजना ही नहीं करोड़ों-अरबों रूपये की व्यवस्था भी करके दी हैं। महंगाई व गरीबी खत्म करने की बातें नही उसको हकीकत में बदलने का पुरा खाका बनाके दिया हैं । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन व पाकिस्तान की टेढी चालों को नेस्तनाबूद कर उन्हें ऐसा दुबारा करने लायक भी नही छोडने का रामबाण उपाय सुझा रखा हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी नहीं हैं जबकि पहली बार देश में एक अन्तर्राष्ट्रीय स्थापित करने का सारा आधार तय करके एक थाली के रूप में परोस रखा हैं ।

आरक्षण को लेकर भविष्य में क्या होगा उसको लेकर पुरा खाका साइंटिफिक-एनालिसिस के रूप में खीच रखा हैं, अब तक 21बार से ज्यादा लगातार सत्यापित हो चुका हैं व आगे का परिणाम स्पष्ट रूप से बता रखा हैं। धर्म को लेकर सिर्फ़ बांटने या धर्म-विशेष को लेकर कुछ सहयोग भीख की तरह फेंक देने की राजनैतिक पालिसी के बिलकुल विपरित हर धर्म को चेहरा देकर संवैधानिक रूप से लोकतन्त्र व सत्ता से जोडने की परिपाटी स्पष्ट करी हुई हैं ताकि पुरानी ईंसानी सभ्यता व करोडों लोगों के जीवन का संघर्षं आपसी तू-तू मैं-मैं की लडाईयों में बर्बाद न होकर पुरी ईंसानी सभ्यता को ऊंचाई के शिखर की दिशा में अग्रसर करते रहे |

आज के दौर में लोकतन्त्र की यही विडम्बना है कि जीवन के संघर्ष की उपलब्धिया, लिखित में प्रमाण सहित दिये आधार, ज्ञान, सोच, भविष्य, निष्पक्ष सिद्धांत सब कचरा हैं बस चुनाव में एक सीट जीत लेने पर यह सब जितने वाले के शरीर में घुस जाते हैं। लोकतन्त्र यानि आम लोगों की सरकार में लोग स्वयं सत्ता भी नहीं जा सकते हैं वो तो अपने दलाल / एजेंट / प्रतिनिधि चुन सिर्फ़ सत्ता व अपने भविष्य को दूसरे के हवाले या चरणों में डाल सकते हैं ।(शैलेन्द्र कुमार बिराणी युवा वैज्ञानिक)

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