जलियांवाला बाग शासकीय नरसंहार देश के लिए बलिदान होने वाले महानायकों को श्रद्धा सुमन

Pahado Ki Goonj

गोरे अंग्रेजो के अधिकांश भारतीय वारिस आज भी उन्हीं के पद चिन्हों पर चल देश को लूट व प्रजा को नोंच रहे है

है ईश्वर इन गिद्ध रूप शासक वर्ग से देश व प्रजा को 

जब मुझ जैसे स्वार्थ परिपूर्ण व्यक्ति का भी मन दुखता है देश के अधिकांश शासक अमले की दिशा , दशा देखकर तो देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहुति देने वालो की आत्माएं तो निश्चित पल पल अश्रु बहाती होगी ।

एक एक्ट अंग्रेज लाये थे रोलेट एक्ट , प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारतीयों के दमन के लिए यह लाया गया , उसमें किसी भी भारतीय को कभी भी गिरफ्तार किये जाने का प्रावधान था । इस काले कानून का हर स्तर पर विरोध हो रहा था , प्रभुत्व के लिए मानव दमन करता है इस दमन से सज्जन व सामान्य व्यक्ति भयभीत होता है।

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इसी दुष्विचार से अंग्रेज जनरल डायर ने दमन की हदें पार कर 13 अप्रैल 1919 को हजारों को रौंद दिया , मरने वाले सैकड़ो से हजार में भी थे क्योंकि आंकड़े 280 से 1500 तक के आते हैं मरने वालों के । जो भाई इस कांड में हमसे विलग हो गए , मार दिए गए वे पूज्य थे , हैं व रहेंगे । इन लाखो अमर शहीद व बलिदानियों के संघर्ष से हम स्वतंत्र हुए , पर स्वतंत्रता के बाद गोरे अंग्रेज शासकों के वंशज के रूप में जो भारतीय शासक वर्ग(राजनेता , अधिकारी , कर्मचारी व इनके दलाल लाइजनर) मिले उनमें अधिकांश बेईमान निकले । अंग्रेजो ने कानून के साथ दमन किया हमारे अधिकांश शासक घटक कानून न होने के बाद भी राजकोष को चूना लगाते है , जनता के संवैधानिक कार्यो को अटका , रोड़े लगा रिश्वत खोरी कर रहे है । इसमें जन प्रतिनिधि भी कहीं प्रत्यक्ष तो कहीं अफसरशाही , दलालों से मिल लूट में शामिल होते है व आज उनमें से कुछ जलियांवाला बाग कांड की स्मृति में श्रद्धांजलि के घड़ियाली आंसू बहा पोस्ट भी लिख रहे होंगे । पहले गोरे अंग्रेजो ने देश व प्रजा को लूटा आज देश के लोग ही लूट रहे है , ये खुले मन से धिक्कारे जाने चाहिए और मैं तो धिक्कार रहा हूँ ऐसे दुष्ट राक्षसों को ।

 

हम नाम भर को आजाद है , कहीं कहीं हमारी दशा अंग्रेज शासन से भी बदतर है , सभी जिम्मेदार या तो मैच फिक्सिंग कर सांठ गांठ में लिप्त है या मौन है , प्रजा क्या करे किससे उम्मीद करें यह घोर चिन्ता का विषय है ।

गोरे शासकों के भारतीय वंशज अपनी लूट को रोक लें अब तृप्ति हो गयी हो तो ।

आज एक गाने की वह पंक्ति याद आ रही है ” संकट में है आज वो धरती जिस पर तूने जन्म लिया , पूरा कर दो आज वचन वो गीता में जो आपने लिया “

है ईश्वर आर्त स्वर में प्रार्थन है एक बार फिर आओ व इन गिद्ध चौकड़ियों से देश व प्रजा को मुक्त कर दो ।

उन अनाम , असंख्य बलिदानियों को भाविक श्रद्धा सुमन ।
ॐ ॐ ॐ शांति  शांति शांति

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