दिखने में चमकदार अध्ययन के लिये अंधकार यह है उत्तराखंड की सरकार

Pahado Ki Goonj

दिखने में चमकदार अध्ययन के लिये अंधकार यह है उत्तराखंड की सरकार

स्व राजेन्द्र सिंह रावत जिनके नाम से माह विद्यालय है वह रचनात्मक कार्य करने के लिये उत्तराखंड के सही विकास करने की सकरात्मक सोच रखने वाले उत्तराखंड वासी रहे।  रावत ने चकवन्दी के लिये कार्य किया उनसे आगे आ ज 18 साल के समय से करोड़ों रुपये खर्च कर चकवन्दी कार्य को आगे नहीं बढ़ा पाये ।राज्य बढ़ाने के लिए इच्छा शक्ति को जागृत करने की आवश्यकता है।

मदन पैन्यली  —यमुनाघाटी के स्व राजेन्द्र सिंह रावत राजकीय महा विद्यालय बड़कोट को एक वर्ष पूर्व स्थायी भवन मिला तो लगा कि अब सुविधाओं के साथ उच्च शिक्षा को भी अब मजबूती मिलेगी लेकिन नगर क्षेत्र बड़कोट से 09 किमी दूर स्थित होते ही डिग्री कॉलेज केवल बाहर से चमकदार दीखता है बल्कि अंदर से अभी भी खोखला है,दिखने में चमकदार अध्ययन के लिये अंधकार। अब क्यों चुप है सरकार जब कॉलेज मिले हुए एक वर्ष बीत गया लेकिन आज तक कॉलेज को चारदीवारी नसीब नही हो पायी, 405 छात्रों की संख्या वाले इस कॉलेज में करीब 65 प्रतिशत संख्या केवल बालिकाओं की ही है जिसमे 255 बालिका जबकि 150 बालक कॉलेज में इस वर्ष दाखिला ले चुके है, फेकल्टी की बात करे तो कॉलेज महज गेस्ट फेकल्टी पर ही निर्भर है विज्ञान वर्ग में  पी सी यम ग्रुप में कोई भी प्रोफेशर नियुक्त नही है जबकि वनस्पति विज्ञान और जीवविज्ञान में केवल गेस्ट प्रवक्ता के भरोसे ही चल रहा है यही कारण है कि पिछले सत्र में 80 फीसदी बच्चे बेक पेपर का शिकार हो गये या फिर फ़ैल हो गये उनके भविष्य की चिंता है ,आर्थिकरूप से बच्चों की जगह मा बाप  फेल हो रहे हैं  यही हाल कला वर्ग में भी है ।बच्चों की जगह मा बाप  फेल हो रहे हैं केवल हिंदी और इतिहास में प्रोफेशर तैनात है जबकि अर्थशास्त्र भी केवल गेस्ट प्रवक्ता के भरोसे है जबकि इंग्लिस और राजनीति विज्ञान विगत कई सालो से खाली पड़ा है, इन सभी में डिग्री कॉलेज की सबसे बड़ी समस्या यातायात की है क्योंकि टताऊ जिस जगह कॉलेज स्थापित है यहा यातायात का कोई साधन मौजूद नही है लिहाजा बच्चे 8 से 10 किमी पैदल चलकर कॉलेज पहुँचते है|स्व राजेन्द्र सिंह रावत जिनके नाम से माह विद्यालय है वह रचनात्मक कार्य करने के लिये उत्तराखंड के सही विकास करने की सकरात्मक सोच रखने वाले उत्तराखंड वासी रहे।  रावत ने चकवन्दी के लिये कार्य किया उनसे आगे आज 18 साल के समय से करोड़ों रुपये खर्च कर चकवन्दी कार्य को आगे नहीं बढ़ा पाये।  राज्य बढ़ाने के लिए इच्छा शक्ति को जागृत करने की आवश्यकता है। वह बीजेपी के संस्थापक सदस्य में रहे छोटे राज्य के विकास की परिकल्पना में एवं बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ नारे के लक्ष्य को पाने के लिए बालिकाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिये उच्च शिक्षा पाना समय की  जरूरत है। विद्यालय की मांग को लेकर छात्र पहले भी अपना विरोध दर्ज कर चुके हैं
वही छात्रों का कहना है कि अगर विद्यालय में जल्दी से जल्दी उनकी समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा ।

 

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