मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना में पर्यटन विभाग के छूट रहे पसीने

Pahado Ki Goonj

देहरादून। दीनदयाल मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना जिसके तहत प्रदेश के बुजुर्गों को प्रदेश में तीर्थाटन करवाया जाना था। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों के लोगों को प्रदेश में तीर्थाटन करवाना था, लेकिन विभाग को अब प्रदेश में इस योजना को चलाने के लिए बुजुर्ग ही नहीं मिल रहे हैं। इस योजना की को केदारनाथ आपदा के बाद शुरू किया गया था। मकसद था सुरक्षित यात्रा का संदेश देना, लेकिन आज आलम ये है कि इस यात्रा के लिए प्रदेश में बुजुर्ग ही नहीं मिल रहे हैं। 2014 में लॉन्‍च हुई मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना का नाम बदल कर दीनदयाल मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना किया गया। शुरुआती दौर में इस योजना का लाभ प्रदेश के बुजुर्गों ने लिया, लेकिन सरकार बदली तो नाम के साथ-साथ इस योजना का हाल भी बदल गया। अब हाल ये है कि प्रदेश में इस योजना को चलाने के लिए महकमे को बुजुर्ग ही नहीं मिल रहे हैं। दरअसल जो निर्धारित लक्ष्य है उसके नजदीक भी विभाग नही पहुंच पा रहा है।
इस योजना का लाभ लेने के लिए सीनियर सिटिजन जिला मुख्यालयों में आवेदन करते हैं, जिसके बाद नामों को शॉर्ट लिस्ट किया जाता है और फिर चिन्हित 13 तीर्थ स्थानों में से एक पर इन लोगों को भेजा जाता है। इन बुजुर्गों के रहने और खाने की और ट्रांसपोर्टशन की व्यवस्था गढ़वाल मण्डल विकास निगम करता है, लेकिन जिलों में योजना में तीर्थाटन करने के लिए बुजुर्ग ही नहीं मिल रहे हैं। साफ है कि आवेदनों में भारी कमी आई है और अब पूरे प्रदेश में इस योजना के लक्ष्य को घटा दिया गया। जब इस योजना की शुरुआत हुई थी तब इसका लक्ष्य 25 हजार बुजुर्गों को तीर्थाटन करवाया जाना था, अब 12500 का लक्ष्य तय किया है।पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर बताते हैं कि इस योजना का लक्ष्य 25 हजार होने के कारण एक बड़ा बजट इस योजना के लिए रखा जाता था, लेकिन इतने आवेदन ना आने की हालत में इसके बजट को दूसरी योजना में ट्रांसफर करने में मुशकिलें पेश आती थी. एक बड़ा बजट बिना किसी योजना में लगे व्यर्थ हो जाता था। इसलिए इसका लक्ष्य घटाया गया है। जावलकर ने आशवस्त किया इसके अलावा अगर लक्ष्य से ज्यादा भी लोग इसमें दिलचस्‍पी लेते हैं तो उन्हे तीर्थाटन करवाया जाएगा।
मौजूदा आलम ये है कि जहां एक साल का लक्ष्य 25 हजार बुजुर्गों को तीर्थाटन करवाने का था तो वहीं 5 सालों में 2014 से लेकर 2019 तक महज 13 हजार बुजुर्गों ने ही इस योजना का लाभ उठाया। जबकि इस साल अभी तक 154 बुजुर्गों ने तीर्थाटन किया है और यात्रा सीजन के तीन महीने शेष रह गए हैं, ऐसे में इस साल का लक्ष्य साध पाना भी विभाग के लिए मुशकिल लग रहा है। हालांकि पिछले साल ये संख्या 526 रही थी. इस आंकड़े को देखते हुए साफ हो जाता है कि इस साल भी लक्ष्य पूरा करने में पर्यटन विभाग के पसीने आ सकते हैं। योजना के तहत प्रदेश के 13 तीर्थ स्थलों का भ्रमण करवाया जाना था. हर जिले को अपना एक लक्ष्य पूरा करना होता है, लेकिन ऐसा नही हो पा रहा है। हालांकि इसकी बड़ी वजह योजना का प्रचार प्रसार ना होना है, जिसकी वजह से आवेदन नहीं मिल पा रहे हैं. देहरादून के डीएम सी रवीशंकर इस बात को मानते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने इस बात का संज्ञान लिया है और जिला पर्यटन अधिकारी को इस योजना के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए निर्देशित किया है।

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