संवैधानिक कुर्सी को लेकर बैठते हैं और राष्ट्रपति को शपथ दिलाने वाले व्यक्ति को उसकी संवैधानिक कुर्सी के साथ निचे बैठाते हैं

Pahado Ki Goonj

संविधान के अनुसार सभी 15 सदस्य वाली न्यायाधीशों की संविधान पीठ को राष्ट्रपति के समान संविधान संरक्षक का दर्जा दिया हैं इसलिए संविधान की कापी को सदैव उनके संरक्षण में उच्चतम न्यायालय के सभागार में ही रखना चाहिए न कि संसद-भवन में ताकि वर्तमान जैसे विवाद पैदा हो तो न्यायाधीश उस संविधान को पढ उसके सत्य के प्रकाश में फैसला जनता को बता सके |

उच्चतम न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर पहले न्यायाधीशों को अपने ग्रीष्मकाल की छुट्टीयों से लौटना होगा अन्यथा जिस संवैधानिक पद की छांव में छुट्टीयों का आन्नद ले रहे हैं वो ही अपने कर्तव्य व जवाबदेही की मर्यादा खो देगा | मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीश पहले तय करले की यह उनके अधिकार क्षेत्र में आता हैं या नहीं अन्यथा फैसले में कहना न पड जाये कि यह संवैधानिक रूप से गलत हैं परन्तु गलत करने वाले को रोकना एवं सजा देना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता हैं इसे हम संविधान पीठ को भेजते हैं | इस तरह समय की बर्बादी से न्याय के साथ ही अन्याय हो जायेगा |

उच्चतम न्यायालय के पुराने फैसलों का अवलोकन करें तो ऐसा ही लगता हैं कि संसद का उद्घाटन कार्यक्रम को रोका नहीं स्थगित कर दिया जायेगा जब तक की व पुरी सुनवाई कर फैसला नहीं दे देता | इसमें तारिख और समय अतिविशेष नहीं हैं इसलिए किसी को तकलीफ नहीं होगी | देशवासीयों और राष्ट्रपति को जरूर डर लग सकता हैं कि कई सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलें में महाराष्ट्र की सरकार पर फैसले की तरह यह न कह दे कि आपने राष्ट्रपति “द्रौपदी” का चीरहरण घर बैठे लाईव प्रसारण होते हुए क्यों होने दिया आप हम पर भरोसा रखते हम आपको सारे अपराधों से बेइज्जत बरी करते और सच्ची राष्ट्रभक्ति दिखाने का गौरव प्रदान करते |

राष्ट्रपति के आंख-नाक-कान माने जाने वाले उनके सचिवालय के कर्मचारियों को उनके चीरहरण की पड़ी नहीं हैं वो तो उल्टा इसमें मदद कर मजे लूटने की खुशी में फूले ही नहीं समा रहे हैं | हमने इस प्रकरण पर साइंटिफिक-एनालिसिस नई संसद-भवन का उद्घाटन यानि राष्ट्रपति “द्रौपदी” का चीरहरण 24 मई 2023 को अधिकारिक रूप से रजिस्टर्ड (PRSEC/E/2023/0019173) करवा दिया | इस पर उन्होंने कार्यवाही करते हुए 25 मई को मध्यप्रदेश सरकार की CM हेल्पलाइन को भेज दिया कि वो राष्ट्रपति “द्रौपदी” का चीरहरण रोक दे | वर्तमान खबरों से जनता को बता चल चुका हैं कि यह CM हेल्पलाइन रात के अंधेरे में फोन कर न उठाने को आधार बना मामला बन्द कर देती हैं l इस लेख की समस्त जिम्मेदारी lekgak

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