स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत रत्न बाबा साहब डाॅ भीमराव आंबेडकर की जंयती पर उन्हें याद किया

Pahado Ki Goonj

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने देशवासियों को दी बैशाखी की शुभकामनायें
बाबा साहब डाॅ भीमराव आंबेडकर  जंयती पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने समता और समरसता का दिया संदेश
प्रभाव से उपर उठकर स्वभाव की ओर मुड़े
संविधान है समाधान इस देश का
2019 का कुम्भ होगा अलग और अद्भुत-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

सम्पूर्ण भारत क्रान्ति पार्टी के सदस्य बने ,पार्टी से आने वाले नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत के अध्यक्ष सदस्य के चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए अभी से तैयार रहें।1

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के दिव्य प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के मंच से परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता और ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने देश को  बैशाखी की शुभकामनायें प्रेषित की और कहा कि बैशाखी, खुशियों का पर्व है, खुशियाँ बाहर भी हो भीतर भी; बाहर का पर्यावरण भी महके और भीतर  का भी।
आज की दिव्य श्रीमद्भागवत कथा में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज, आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द जी महाराज कथा में पधारे और उन्होने सभी भक्तों को एकल विद्यालय के लिये प्रेरित एवं उद्बोधित किया तथा एकल विद्यालय के लिये सहयोग करने हेतु संदेश दिया।
दोनों पूज्य संन्तों से पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कुम्भ पर्व पर सन्तों द्वारा लिये जाने वाले संकल्पों पर भी चर्चा की ताकि जिससे माँ गंगा एवं देश में बहने वाली हर नदी को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सके। सबने इस दिशा में कुम्भ पर्व पर मिलकर कार्य करने का आश्वासन दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत रत्न बाबा साहब डाॅ भीमराव आंबेडकर जी की जंयती पर उन्हें याद किया और श्रद्धासुमन अर्पित कर समता और समरसता का; सद्भाव और स्वभाव में जीने का संदेश दिया। उन्होने कहा कि अपने-अपने प्रभाव से उपर उठकर स्वभाव की ओर मुडे। प्रभाव अस्थायी है और स्वभाव स्थायी है अतः स्वभाव को बदले तो स्वतः ही सब कुछ बदल जायेंगा। स्वामी  ने कहा कि आज का दिन सहअस्तित्व और सद्भाव में जीने का है क्योेंकि इसमें जो सरसता और मधुरता  है वह दरारे और दीवारें खड़ी करने में नहीं है। हमारे ऋषियांे ने हमें भेद-भाव से उपर उठकर विश्व बन्धुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया तथा ’’सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्’’ का मंत्र दिया। अर्थात सभी सुखी हों, सभी निरोगी बनें,  के जीवन में मंगलमय घटनायें हों, कोई भी दीन दुःखी न रहे, यही संदेश हमारे ऋषियों ने दिया। 
स्वामी जी ने कहा कि जीवन में पर्व और महोत्सव का महत्वपूर्ण स्थान है। ये पर्व हमारे जीवन को महोत्सव बनाने का संदेश देते है और जीवन तभी महोत्सव बनता है जब कर्म अपने लिये नहीं बल्कि सब के लिये हो; बिना भेदभाव के हो; गंगा की तरह निश्छल बहते हुये अपने जीवन को सबके लिये समर्पित करे।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि संविधान है समाधान इस देश का। संविधान का पालन करे जिससे हर समस्या का होगा समाधान, इसलिये ही हमारे देश में संविधान को प्रमुखता दी गयी है। जिस तरह जीवन में धर्म की प्रमुखता है उसी प्रकार राष्ट्र जीवन में संविधान की भी प्रमुखता है इसका हमंे पालन करना चाहिये। संविधान का सम्मान राष्ट्र का सम्मान है; राष्ट्र का गौरव है। चाहे कुछ भी हो इस संविधान के लिये हम स्वंय की छोटी-छोटी आदतों को बदले, स्वंय को सुधारे परन्तु संविधान को चोट न पहुंचाये। उन्होने कहा कि मोहब्बत से रहे, नफरत से कभी किसी का भला नहीं हुआ तथा मोहब्बत से कभी किसी का नुकसान नहीं हुआ इसका पूरा ध्यान रखे। इस बैशाखी के पर्व और देश के संविधान निर्माता के जन्म दिवस के अवसर पर एकता, सद्भाव और समरसता के दीप जलायें और अपने राष्ट्र का नाम रोशन करें।
आज की दिव्य कथा में कथा व्यास स्वामी गोविन्द देव जी महाराज ने रासक्रीड़ा, कंसवध, श्रीेकृष्ण रूक्मिणी विवाह का मनोरम मंत्रमुग्ध करने वाला वर्णन किया। यह दिव्य कथा भारत लोक शिक्षा परिषद और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही है। इस भक्ति, ज्ञान और संगीत की त्रिवेणी में डुबकी लगाने हेतु सैकड़ों भक्त पधारे है।

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