स्थाई राजधानी गैरसैण अभियान का निर्णय : दो अक्टूबर को मनाएंगे आक्रोश दिवस

Pahado Ki Goonj

स्थाई राजधानी गैरसैण अभियान का निर्णय : दो अक्टूबर को मनाएंगे आक्रोश दिवस।

देहरादून : स्थाई राजधानी गैरसैण की मांग को लिए दसवें दिन परेड ग्राउंड, हिन्दी भवन के समक्ष चल रहा अनिश्चितकालीन धरना एवं उपवास कार्यक्रम में भागीदारी करने वाले सदस्यों की बैठक में निर्णय किया गया कि आगामी 02 अक्टूबर को आक्रोश दिवस मनाया जाएगा।

गैरसैंण राजधानी अभियान  के सदस्यों की कहना है कि 24 साल गुजरने के बाद भी  मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को अभी तक सजा नहीं मिल पाई ।जबकि राज्य बने हुए 18 साल हो गए ।हमने सोचा था कि, हमारा अपना राज्य बनेगा ,अपना हाई कोर्ट होगा मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को हम सजा दिलाएंगे लेकिन राज्य बनने के 18 साल बाद भी  मुजफ्फरनगर कांड के दोषी आज भी खुलेआम घूम रहे है । 18 साल बीतने के बाद भी शहीदों के सपनों की राजधानी गैरसैंण नहीं बनाई गई । जिसके कारण आंदोलनकारियों में बहुत आक्रोश है।

गैरसैंण राजधानी अभियान के सदस्यों ने बयान जारी कर कहा है कि हमारा सब आंदोलनकारी शक्तियों से, कर्मचारियों, मातृशक्ति,  पूर्व सैनकों, संस्कृति कर्मियों, छात्र शक्ति, समस्त सामाजिक संगठनों से विनम्र अनुरोध करती है कि धरना स्थल हिंदी भवन के सामने आक्रोश जताने के लिए 02 अक्टूबर 2018 को पहुंचें। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के आज का धरना कार्यक्रम में भागीदारी करने वालों में समाज सेवी रघुवीर बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद ,थपलियाल, पीसी थपलियाल,जीतमणि पैन्यूली , वरिष्ठ आंदोलनकारी मनोज ध्यानी, उत्तराखंड ।।आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, पूर्व पार्षद रविन्द्र प्रधान, बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन के जगमोहन मेंहदी रत्ता, पत्रकार कैलाश जोशी, फिल्मकार मनोज पांगति समेत बडी संख्या में आंदोलनकारी उपस्थित हुए।

 

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