अंर्तराष्ट्रीय आपदा दिवसःएसडीआरफ का गठन उत्तराखण्ड के लिए वरदान

Pahado Ki Goonj

देहरादून। प्राकृतिक और दैव्य आपदाओ की दृष्टि से अंतिसंवेदनशील श्रेणी में आने वाले पहाड़ी प्रदेश में वर्षभर कोई न कोई आपदा ठेरा डाले रहती है। इससे देखते हुए सूबे में पिछले कुछ वर्ष पहले एसडीआरएफ का गठन किया था। जोकि उत्तराखण्डवासियों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। अब तक एसडीआरफ हजारों की जिन्दगी बचा चुकी है।
2013 की आपदा के बाद हालांकि हालात अचानक नियंत्रण से बाहर हुए थे, लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार के पास इन बिगड़े हुए हालातों से निपटने के लिए कुछ मजबूत रणनीति और तंत्र नहीं था। जिसकी कमी को 2013 की आपदा में सबसे ज्यादा महसूस किया गया। इस घटना के बाद राज्य सरकार द्वारा 2014 में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स का गठन किया गया। उत्तराखंड राज्य आज उन कुछ चुनिंदा राज्यों की लिस्ट में जुड़ चुका है, जिसके पास खुद की आधुनिक डिजास्टर रिस्पांस फोर्स मौजूद है। आपातकालीन संचार तंत्र को मजबूत किए जाने के लिए आपातकालीन परिचालन केंद्रों और प्रत्येक तहसील स्तर पर सेटेलाइट फोन उपलब्ध कराए गए। आज की तारीख में कुल 180 सैटेलाइट फोन आपदा प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। राज्य के सभी जनपदों में जीआईएस सेल की स्थापना की गई है। आपदा के प्रभावी पर्यवेक्षण के लिए सभी जनपदों और राज्य स्तर पर 15 ड्रोन की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार द्वारा 107 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, 25 सरफेस फील्ड ऑब्जर्वेटरी, 28 ऑटोमेटिक रेन गेज और 16 स्नो गेज की स्थापना की गई है। जिसके उपयोग से ब्लॉक स्तर तक मौसम की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। डिजास्टर रिस्पांस सिस्टम को मजबूत करने के लिए राज्य में आईआरएस लागू किया गया है। हर तहसील ब्लाक स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा राज्य के प्रमुख विभागों के लिए विभागीय डिजास्टर मैनेजमेंट स्कीम और एसओपी को विकसित किया गया है। जनपदस्तरीय आपदा प्रबंधन कार्ययोजना को लगातार अपडेट किया जा रहा है। राज्य में भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, त्वरित बाढ़ और औद्योगिक रिस्क के प्रति जोखिम आकलन के लिए कार्य प्रणाली तैयार की गई है। इस अध्ययन के अंतर्गत डिजास्टर रिस्क डेटाबेस बनाया गया है, जिसका उपयोग आपदा के दौरान त्वरित निर्णय लेने में सहायक होगा.आपदा के दौरान विभिन्न विभागों में समन्वय किए जाने और विभिन्न प्रकार के डेटाबेस का उपयोग त्वरित निर्णय लिए जाने के लिए क्विक रिस्पांस सिस्टम को डिवेलप किया गया है। जोकि प्रदेशवासियो के लिए किसी वरदान से कम साबित नही हो रहा है।

Next Post

एक साल बाद भी घोषित नहीं हुए परीक्षा के परिणाम

देहारदून। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से सम्बद्ध एक कॉलेज में एक साल बाद भी परीक्षा के परिणाम नहीं आए हैं। जिस कारण लगभग 250 छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, इस मामले को लेकर छात्रों को कोई ठोस जवाब नहीं मिल पा रहा […]

You May Like