गुड न्यूज:वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया (WJI) की तरफ से दिल्ली के पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा के तहत लाने के लिये आज 7 मई 2021 को भेजा गया ज्ञापन

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नई दिल्ली, पहाड़ों की गूंज,वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया (WJI) की तरफ से दिल्ली के पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा के तहत लाने के लिये आज 7 मई 2021 को भेजा गया ज्ञापन ।

आदरणीय श्री अरविंद केजरीवाल जी,
मुख्यमंत्री,
दिल्ली
विषय- दिल्ली के पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिये ,उचित कदम उठाने का आग्रह ।

मान्यवर,
वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया, सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ, देश के पत्रकारों का शीर्ष संगठन है।
मान्यवर, देश मे मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है, लेकिन वास्तविकता ये है कि ज्यादातर सरकारे हमे समाज का हिस्सा ही नही मानती है। यदि हमें भी समाज का हिस्सा माना जाता, तो जो सामाजिक सुरक्षाय अन्य वर्ग के लोगो को हासिल है, वो ही हमे भी हासिल हुई होती । आज हम आपके समक्ष मीडियाकर्मियों के लिये कई सामाजिक मांगो का जिक्र कर रहे है और आपसे आग्रह कर रहे है कि हमारी इन मांगों को लेकर आप उचित कदम उठाये, जिससे पत्रकारों भी भी भरोसा हो सके कि आपकी सरकार, उनके लिये , बढचढ कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा दिलवाने की मांग कर रहा है।
1. दिल्ली के पत्रकारों का ” दिल्ली जर्नलिस्ट्रस रजिस्टर ” बनवाने की मांग — केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, वे सिर्फ उन्हें ही पत्रकार मानती है, जो उनके यहां के सूचना विभाग में सूचीबद्ध (मान्यताप्राप्त) होता है। ये संख्या देश के कुल पत्रकारों की संख्या का सिर्फ 15 फीसद है। बाकी बचे 85 फीसद पत्रकार सरकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते है। बेहतर होगा कि आपकी सरकार , पत्रकारों का डाटा बेस लेकर, एक दिल्ली जर्नलिस्ट्स रजिस्टर (DJR ) तैयार करवाये , जिससे सभी वर्ग के पत्रकारों को सरकारी सुविधायें हासिल हो सके ।

2. दिल्ली सरकार से पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करवाने व सभी पत्रकारों को निशुल्क कोरोना वैक्सीन लगवाने की मांग – देश मे जब कोरोना महामारी आयी व लॉकडाउन लगा , तो पत्रकार इस महामारी की परवाह किये बिना, अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने सड़को पर रिपोर्टिंग करने के लिये उतर गए। देश के प्रधानमंत्री व आपने भी ने उस समय मीडियाकर्मियों की काफी तारीफ की। लेकिन जब कोरोना योद्धाओं की सूची जारी की, तो उसमें कही भी मीडियाकर्मियों का नाम नही था।आपकी सरकार ने घोषणा की कि कोरोना महामारी से किसी भी कोरोना योद्धा का देहांत होगा, तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। उधर देशभर में ढेरों पत्रकार कोरोना महामारी से ग्रसित हुए व कई शहीद हुए। कुछ राज्य सरकारों ने उन पत्रकारों के परिवार वालो को 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये की सहायता राशि दी । बाद में केंद्र सरकार ने उन परिवारों को 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि दी। इसी तरह से कोरोना वैक्सीन आयी तो हमे उम्मीद थी कि ये वैक्सीन पहले चरण में ही पत्रकारों को लगायी जाएगी। पर ऐसा नही हुआ। यूनियन की मांग है कि मीडियाकर्मियों को कोरोना योद्धा घोषित किया जाए व उन्हें निशुल्क कोरोना से बचाव की वैक्सीन लगायी जाए । हाल ही में उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत व कई मुख्यमंत्रियों ने पत्रकारो को फ्रंटलाइन वर्कर माना है और सभी पत्रकारो को राज्य में निशुल्क वैक्सीन लगाने की घोषणा की है।

3.दिल्ली मे ” पत्रकार सुरक्षा कानून ” बनाने की मांग- देश मे आये दिन पत्रकारों की हत्याएं होती रहती है, व उनपर प्राणघातक हमले होते रहते है। ज्यादातर मामले या तो दब जाते है या उनपर कोई कार्यवाही होती भी है, तो वर्षो तक मामले अदालतों में चलते रहते है।पत्रकार संगठन बरसो से , पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग कर रहे है। हमारी यूनियन ने भी इस मुद्दे को लेकर कई पत्र केंद्र सरकार व आपको भेजे व इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री नित्यानंद राय जी से मिले। पर दुखद है कि अभी तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई कदम नही उठाया है। देश मे सिर्फ महाराष्ट्र ही एक ऐसा राज्य है, जहा पर , पत्रकार सुरक्षा कानून लागू है। पर यूनियन की मांग है कि ये कानून आपकी सरकार बनाये, व पत्रकरो से जुड़ा कोई भी मामला होता है, तो उसकी जांच कोई राजपत्रित अधिकारी करें व मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में हो ।
4. पत्रकारों को मासिक पेंशन सुविधा- देश मे कई पत्रकारों को मासिक पेंशन मिलती है। जो प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकार है और जिनकी तनख्वाह से हर माह पेंशन राशि कटती है, उन्हें रिटायरमेंट के बाद केंद्र सरकार का भविष्य निधि विभाग हर माह 1500 से लेकर 2500 रुपये की पेंशन देता है। इसी तरह से कई राज्य सरकारें उन पत्रकारों को 8000 रुपये से लेकर 15,000 रुपये की मासिक पेंशन देती है, जो 15 वर्ष तक रिपोर्टिंग कार्यो से जुड़े होते है । यूनियन का मानना है कि पेंशन देने की विधि काफी सरल होनी चाहिये। इस बारे में हिमाचल हाइकोर्ट भी आदेश जारी कर चुका है। यूनियन का मानना है कि कोई भी पत्रकार जो 10 साल तक मीडिया से जुड़ा है, चाहे वो प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, ऑनलाइन मीडिया या ब्रॉडकास्टर रहा है, उसे प्रत्येक माह न्यूनतम 20 हज़ार रुपये की मासिक पेंशन मिलनी चाहिये।
5 . पत्रकारों को इन्शुरन्स कवर – मीडियाकर्मियों का जीवन लगातार खतरों से घिरा रहता है। अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए कई बार वे विभिन्न दुर्घटनाओं का व मृत्यु का शिकार हो जाते है। जिसके बाद कोई भी पीड़ित परिवार का पूछने वाला नही होता है। कई राज्य सरकारें इन्षुरेन्स कवर पत्रकारों को देती है। लेकिन , दिल्ली सरकार ने ये सुविधा पत्रकारों को नही दी है। यूनियन की मांग है कि आपकी सरकार बेहतर से बेहतर इन्षुरेन्स कवर पत्रकारों को उपलब्ध करवाए।

6. पत्रकारों व उनके परिवार के सदस्यों को हेल्थ इन्शुरेन्स की सुविधा देने की मांग – केंद्र सरकार अपने मान्यता प्राप्त पत्रकारो को सीजीएचएस की सुविधा देता है। कई राज्य सरकारें पत्रकारों से कुछ सालाना राशि लेकर , उन्हें हेल्थ इन्षुरेन्स की सुविधा देता है। यूनियन की मांग है कि दिल्ली मे जितने भी गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार है ,उन्हें केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए और जितने भी मान्यता प्राप्त पत्रकार है, उन्हें व उनके परिवार को वे सभी स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाए, जो लोकतंत्र के तीन अन्य स्तम्भो को दी जा रही है व दिल्ली में राजपत्रित अधिकारियों को दी जा रही है।
7. मीडियाकर्मियों को केंद्रीय राशनिंग सिस्टम से जोड़ने की मांग – केंद्र सरकार ने राशनिंग सिस्टम को केंद्रीयकृत किया है। सच्चाई ये है कि दिल्ली के ज्यादातर पत्रकारो के राशन कार्ड्स नही बने है। यूनियन की मांग है कि दिल्ली के पत्रकारो के राशन कार्ड्स बनाये जाए व उन्हें केंद्रीय राशनिंग सिस्टम से जोड़ा जाए।

8। मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को दिलवाया जाए- केंद्र सरकार ने मीडियाकर्मियों के लिये मजीठिया वेज बोर्ड का गठन किया था। वर्ष 2010 को अधिसूचना जारी करके उन सिफारिशों को लागू करने का राज्य सरकारों को निर्देश दिया था। जबकि असलियत ये है कि ज्यादातर मीडिया संस्थानों ने पूर्ण रूप से उन सिफारिशों को लागू नही किया है। इस समय करीब 300 वेज बोर्ड से जुड़े मुकदमे विभिन्न अफलतो में लंबित है। 

        सुप्रीम कोर्ट ने भी 2 बार आदेश जारी करके उन मुकदमो को 6 माह में ही निपटाने के आदेश निचली अदालतों को दिए है। लेकिन किसी भी अदालत के जरिये एक भी पत्रकार को वेज बोर्ड की राशि नही मिली है।

इस मामले में आपका श्रम मंत्रालय उदासीन बना हुआ है। इस  मंत्रालय को ऐसे कदम उठाने चाहिये, जिससे मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार राशि मिल सके ।


मान्यवर, हमे उम्मीद है कि हमारी इन मांगों को लेकर, आप हमें सहयोग करेंगे व जल्द से जल्द उचित फैसले लेंगे, जिससे पत्रकारो को सामाजिक सुरक्षा हासिल हो सके।

अपूप चौधरी , राष्ट्रीय अध्यक्ष

नरेंद्र भंडारी, राष्ट्रीय महासचिव

संदीप कुमार शर्मा, दिल्ली अध्य्क्ष
देवेंद्र सिंह तोमर , दिल्ली महासचिव
नरेंद्र धवन , दिल्ली कोषाध्यक्ष

संपादक जीतमणि पैन्यूली का है कहना हक के लिए लड़ते रहना।

लोकतंत्र के हम  विना दांत के पहरेदार । कानून  दर्जा दिलाना है अबकी बार । इसके लिए हम करेंगें देश मे सद्भावना यात्रा साइकिल पर होकर सवार।

पहाड़ों की गूंज का है । सभी संघठनों के स्वामी, संपादक बन्दुओं से है कहना पत्रकार एकता जिन्दवाद।

इस ज्ञापन को सभी पत्र ,पोर्टल प्रकाशित करडीजयेगा अन्यथा हमेशा परेशान ही है रहना।इससे भला तो अच्छा है मरना। कलम के सिफाई यों अब चुप मत रहना। सहयोग के लिए#7983835346 पर सम्पर्क करते रहना।

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