ईश्वरीय अनुदान है गंगा और गायत्री -डॉ. पण्ड्या प्रमुख गायत्री परिवार

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ईश्वरीय अनुदान है गंगा और गायत्री डॉ. पण्ड्या

गायत्री और गंगा भाव संवेदनाओं की देवियाँ – शैल दीदी
आडियो बुक, दो किताबों का विमोचन व विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न

हरिद्वार, ukpkg.com,
अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि समस्त प्राणी को ईश्वरीय अनुदान के रूप में पतित पावनी माँ गंगा और सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री माता गायत्री मिला है। इनकी जितनी उपासना, साधना व आराधना की जाय, उतना ही श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होंगे।
डॉ. पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित दो दिवसीय पर्वाेत्सव के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गंगा दशहरा व गायत्री जयंती पर्वाेत्सव मनाने आये देश-विदेश के हजारों स्वयंसेवी कार्यकर्त्ता मौजूद रहे। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गायत्री सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री हैं, इसके जप से साधक का ज्ञान बढ़ता है और उनकी वृत्ति सकारात्मक दिशा की ओर प्रवृत्त होती है। उन्होंने कहा कि भारतीयता की पहचान है गंगा और गायत्री। जिस तरह सगर पुत्रों की रक्षा हेतु भागीरथ ने तप कर गंगा को धरती पर लायें, उसी तरह वर्तमान युग के भागीरथ युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान के लिए गायत्री को श्राप मुक्त कर जन-जन तक पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि गायत्री ने सामूहिक संस्कृति का परिष्कार किया है। यह राष्ट्र की आराधना का महामंत्र है। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने गंगा और गायत्री की विभिन्न पौराणिक कथानकों के माध्यम से आज युवाओं को निःस्वार्थ भाव से समाज के हित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कई पुस्तकों के लेखक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने दीक्षा के तीन रूप- मंत्र, अग्नि एवं ब्रह्म दीक्षा पर विस्तृत जानकारी दी। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार के कई लाख से अधिक युवा, स्वयंसेवी कार्यकर्त्ता गंगोत्री से गंगासागर तक की २५२५ किमी दूरी तय करने वाली पतित पावनी मां गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने में पिछले कई वर्षों से जुटे हैं।
इससे पूर्व संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि गायत्री और गंगा भाव संवेदनाओं की देवियाँ है। इनकी प्रेरणाओं को जीवन में उतारने से जीवन महान बनता है। गंगा जहाँ स्थूल शरीर को शुद्ध करती हैं, वहीं गायत्री अंतःकरण को पवित्र बनाती है। उन्होंने कहा कि पतित पावनी गंगा ने करोड़ों लोगों को नवजीवन दिया है और आज वे ही अपने पुत्रों को सदाशयता के लिए पुकार रही है, जो उन्हें निर्मल व अविरल बना सकें। श्रद्धेया शैलदीदी ने नवचेतना के अवतरण के लिए बार-बार अभ्यास, सत्कर्मों की याद दिलाते रहने एवं आस्था-भावना को जाग्रत रखने पर बल दिया। इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने आचार्यश्री के क्रांतिधर्मी साहित्य सेट सहित तीस पुस्तकों का आडियो बुक सहित दो किताबों का विमोचन किया। मुख्य कार्यक्रम का संचालन  श्याम बिहारी दुबे ने किया।
पर्व पूजन का वैदिक कर्मकाण्ड  उदय किशोर मिश्र ने सम्पन्न कराया। वहीं ब्राह्ममुहूर्त में डॉ पण्ड्या एवं शैलदीदी ने पूज्य आचार्यश्री के प्रतिनिधि के रूप में सैकड़ों श्रद्धालुओं को गायत्री महामंत्र की दीक्षा दी। गायत्री परिवार ने अपने आराध्यदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी की ३२वीं पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हुए उनके बताये सूत्रों को स्वयं पालन करने एवं दूसरों को प्रेरित करने की शपथ ली। ब्रह्मवादिनी बहिनों ने विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये। पर्व के अवसर पर लिये संकल्प को पूर्णता तक पहुँचाने के उद्देश्य से सायंकाल दीप महायज्ञ में आहुतियाँ समर्पित कीं।

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार शाखा बडकोट में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया । जिसमें गुरु बंदना के साथ शांति कुंज के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी के शिष्यों ने गुरु चरणों मे पुष्प अर्पित किये । व सायंकाल दीप महायज्ञ में आहुतियाँ समर्पित कीं गयी ।

 

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