हल्द्वानी : रेस्क्यू (बचाव) के दौरान भीड़ के उन्माद में हुई बाघ व तेंदुओं की हत्या का मामला वनाधिकारियों के गले की फांस बन रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड समेत 27 राज्यों के वनाधिकारियों से जवाब-तलब किया है। बाघ व तेंदुओं की हत्या सबसे वीभत्स तरीके से किए जाने के मामले उत्तराखंड, गुजरात व राजस्थान से सामने आए हैं। इन मामलों का कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने पर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने भी जांच तेज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली निवासी अमीर फुकान की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश समेत 27 राज्यों के वनाधिकारियों से जबाव तलब किया है। कोर्ट ने यह जानना चाहा है कि सरकारी अमले के सामने वन्यजीवों की हत्या कैसे और क्यों हो रही है।
वन्यजीवों को जिंदा पकड़ने या उन्हें गोली मारने के ऑपरेशन के दौरान संबंधित क्षेत्र में धारा 144 (निषेधाज्ञा) क्यों नहीं लगाई जा रही। कोर्ट ने उत्तराखंड के दो मामलों में रिपोर्ट मांगी है।
वन्यजीवों की वीभत्स हत्या
उत्तराखंड के नैनीताल के तराई पश्चिमी वन प्रभाग अंतर्गत बैलपड़ाव रेंज में बाघ को जेसीबी से दबाकर मार डालने और कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल) में तेंदुए को जिंदा जला देने की घटनाओं को सबसे वीभत्स हत्या माना है। बैलपड़ाव रेंज में इसी वर्ष 16 मार्च को महिला समेत दो लोगों को मार डालने वाले बाघ को पकड़ने के लिए जेसीबी का वनाधिकारियों ने सहारा लिया था।
आरोप लगा था कि बाघ को जेसीबी के पंजों से दबाकर मार डाला गया। इसी तरह राजस्थान के सरिस्का में भीड़ द्वारा तेंदुए की पीटकर हत्या और गुजरात के बनासकांठा में भालू को एके 47 से गोली मारे जाने की घटना को सबसे वीभत्स माना गया है। भालू के पोस्टमार्टम में 67 गोलियां मिली थीं।
एनटीसीए हुआ सक्रिय
कोर्ट के रुख को देखते हुए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने राज्यों की संबंधित घटनाओं की जांच नए सिरे से शुरू कर दी है। उत्तराखंड के मामले में वनाधिकारियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सहारे बचाव का रास्ता खोजने का प्रयास किया है। नैनीताल की बैलपड़ाव रेंज में बाघ को जेसीबी से मारे जाने के मामले में तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि पोस्टमार्टम में बाघ की किसी हड्डी के न टूटने का जिक्र है। ऐसे में बाघ की मौत भीड़ देखकर हार्ट अटैक से भी होने की संभावना है।
घटनाओं की नए सिरे से हो रही जांच
प्रभागीय वनाधिकारी रामनगर (नैनीताल) डीके सिंह के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर राज्य से संबंधित घटनाओं की नए सिरे से जांच की जा रही है। हालांकि इन मामलों में एनटीसीए ने भी जांच की है, जिसकी रिपोर्ट भी कोर्ट के संज्ञान में लाई गई है।