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चंद्रबदनी महाविद्यालय: तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जागरूकता रैली का आयोजन के साथ साथ उत्तराखंड के विकास में पत्रकार जीतमणि पैन्यूली के बारे में जानकारिया दी

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चंद्रबदनी महाविद्यालय: तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जागरूकता  रैली का आयोजन

चंद्रबदनी महाविद्यालय: तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जागरूकता रैली का आयोजन

रेनबो न्यूज़ इंडिया * 31 मई 2022

दिनांक 31 मई को राजकीय महाविद्यालय चंद्रबदनी नैखरी तंबाकू निषेध दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम महाविद्यालय प्राचार्य डॉ० सुषमा चमोली की अध्यक्षता में एन एस एस नोडल अधिकारी अनुपा फोनिया के नेतृत्व में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा जामनीखाल मार्केट से झल्ड तक जन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया।

आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक प्रतिनिधि – केदार सिंह बिष्ट, एवं विशिष्ठ अतिथि विनोद जोशी, सेवा निवृत – प्रधानाध्यापक, और शिशुपाल सिंह रावत – पत्रकार, नदी घाटी और पहाड़ आदि की गरिमामई उपस्थिति कार्यक्रम में रही।

इस अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा चांदनी प्रथम, नेहा द्वितीय एवं प्रीति तृतीय रही।

साथ ही छात्रों द्वारा इस विषय पर एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर स्थानीय लोगों को जागरूक किया गया, जिसमें छात्रों द्वारा तम्बाकू, बीड़ी, गुटका के स्वास्थ्य एवं समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी। समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रताप सिंह बिष्ट द्वारा छात्रों को नशा सेवन के कानूनी दंड प्रावधानों के बारे में अवगत कराया गया।

अंत में छात्रों द्वारा तम्बाकू निषेध शपथ ली गई। इस अवसर पर महाविद्यालय में गणित के विभागाध्यक्ष डॉ० शाकिर शाह, मनीष पंवार सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

दूसरी ओर प्रोफेसर बिष्ट ने   छात्रों एवं छात्राओं 22 साल से सरकार एंव प्रतिपक्ष की इच्छा शक्ति के अभाव पलायन रोकने एवं रोजगार देने के लिए 22 वर्षों में असफल होने पर पलायन आयोग की भूमिका सफ़ेद हाथी जैसे रही है।

ऐसे में पत्रकार जीतमणि पैन्यूली ने पत्रकारिता दिवस पखवाड़ा मानते हुए अभिनव प्रयोग कर कम जोत वाले  किसानों के लिए गुण कारी काली हल्दी एंव अदरक उत्पादन के लिए माडल के रूप में,शेरगढ़ मांजरी देहरादून में लगाकर एक ओर नोजवानो के लिए रोजगार एंव पलायन रोकने के लिए  सुंदर पहल करते हुए सरकार एंव पलायन आयोग को अपनी बात का अनुसरण करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे प्रयोग करने के लिए विश्वविद्यालय में गोष्टी रैलियों का आयेजन आवश्यक है।

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