देहरादून। चमोली आपदा के बाद तपोवन में रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है। अब 14 हजार फीट की ऊंचाई वाले ऋषिगंगा पर्वत से निकलने वाली नदी के मुहाने पर झील बनने से एक बार फिर बाढ़ के खतरे की स्थिति पैदा होती नजर आ रही है। बीते गुरुवार से ही ऋषि गंगा से पानी रिसना शुरू हुआ है। ऐसे में इस खतरे को देखते हुए जहां एक ओर शासन ने भू-विज्ञान संस्थान (वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान), एनटीपीसी, टीएचडीसी सहित अन्य संबंधित एजेंसियों को जांच के लिए निर्देशित किया है। वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को ऋषिगंगा झील के मुहाने की वास्तविक स्थिति जानने और आवश्यक कार्रवाई के लिए एसडीआरएफ के 8 पर्वतारोही सदस्यों सहित एनडीआरएफ का विशेष दल ऋषि गंगा के लिए रवाना किया गया है। जिससे मौके पर जाकर ऋषिगंगा की स्थिति का आकलन किया जा सके और विशेषज्ञों की राय अनुसार मैन्युअल या तकनीकी रूप से आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जा सके। सैटेलाइट और एरियल तकनीक के जरिए यह पता लगा है कि 14,000 फीट ऊंचाई वाले ऋषिगंगा पर्वत से निकलने वाली नदी के झील के मुहाने में पानी भरने से झील के फटने की स्थिति हो सकती है। ऐसे में समय रहते क्या उचित कार्रवाई की जा सकती है। इसको लेकर एसडीआरएफ की पर्वतारोही टीम छक्त्थ् के साथ ऋषिगंगा पर्वत में बनी झील का मुआयना और आकलन करने के लिए शनिवार तक पहुंचेगी।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि सैटेलाइट और एरियल रेकी के जरिये पता चला है कि ऋषिगंगा झील में अतिरिक्त पानी भरा है, लेकिन इसकी मात्रा का पता नहीं चल सका है। चूंकि गुरुवार को भी झील से अतिरिक्त पानी बाहर आया है, ऐसे में ऋषिगंगा झील की वास्तविक स्थिति को जांचने-परखने के लिए एसडीआरएफ की 8 सदस्यीय टीम और एनडीआरएफ की टीम को 14 हजार फीट ऊंचाई वाले इलाके में भेजा गया है। संभवत कल यानी शनिवार तक इस दुर्गम ऊंचाई वाले इलाके में पर्वतारोहण कर टीम पहुंचेगी। टीम के पहुंचने के बाद ही ऋषिगंगा झील की स्थिति का सही अंदाजा लग पाएगा।