साइंटिफिक-एनालिसिस ईसरो को चन्द्रयान-3 की बधाई के साथ मानसिक आजादी भी दे

Pahado Ki Goonj

साइंटिफिक-एनालिसिस

ईसरो को चन्द्रयान-3 की बधाई के साथ मानसिक आजादी भी दे

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान-1 की अभूतपूर्ण सफलता के बाद चन्द्रयान-2 की पूर्ण असफलता को पिछे छोडते हुए अपने हौंसले पस्त नहीं होने दिये और चौगुनी ताकत लगाते हुए चन्द्रयान-3 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इतिहास रच दिया | भारत के वैज्ञानिकों का लौहा दुनिया भर के सभी देशों को मानना पड़ रहा हैं क्योंकि चन्द घंटों पहले अंतरिक्ष में प्रथम नागरिक भेजने वाले रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट प्री-लैंडिंग आँर्बिट बदलने के दौरान ही गलत कक्षा में जाकर क्रैश हो गया | इसको भी चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना था |

भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष अनुसंधान श्रेत्र में शुरु से अपना लौहा बनवाते रहे हैं इसलिए इनका चयन अमेरिका का अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र नासा शुरू से करता रहा हैं | दो-तीन वर्षों पूर्व एक जानकारी सामने आई थी कि नासा में 40% फिसदी कर्मचारी भारतीय मूल के हैं | इसके साथ भारत दूसरे देशों के उपग्रह भी कम लागत व एक साथ बहुतायत में भेजकर स्थापित कर रहा हैं | इससे व्यवसाहिक और सामाजिक दोनों पहलुओं को साथ-साथ आगे बढाकर मानवीय पहलुओं को बनाये रखा हैं |

यदि चन्द्रयान-2 असफल नहीं होता तो इसरो अभी किसी जीवित जीव-जन्तु या ईंसान को चन्द्रमा पर उतार चुका होता | चन्द्रयान-2 के असफल होने के कई पहलू आये और कई दबे रह गये | चन्द्रयान-1 की सफलता के बाद तकनीकी आधार पर गड़बडी को ज्यादा दोष नहीं दिया जा सकता हैं | इसमें सबसे बड़ी कमी यह समझ में आति हैं कि लांचिग के बाद कम्प्यूटर व कीबोर्ड से नियन्त्रित करने व निर्देशित करने में भूल लगती हैं, जिसके कारण तकनीकी खराबी पैदा हुई हो |

चन्द्रयान-2 के लांचिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लाव लशकर के साथ इसरो गये थे ताकि भारतीय वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन कर सके व मीडीया के माध्यम से दुनिया भर के अन्दर प्रचार-प्रसार जोरो से हो सके ताकि दूसरे देशों के उपग्रहों को लांचिग करने के व्यवसाय को अधिक फैलाकर विदेशी मुद्रा की कमाई को बढाया जा सके | प्रधानमंत्री ने इसरो के दर्शकदिघ्रा तक ही जाकर बड़ी स्क्रीनों पर ही देखा परन्तु लगता हैं उसने इसरों के वैज्ञानिकों के दिमाग पर भारी दबाव बना दिया और उन्हें अति उत्सुकता/अवसाद में ले जाकर दिमाग के सोचने समझने की क्षमता को शिथिल कर दिया | चारों तरफ कैमरों के फ्लश व चैनलों पर लाईव टेलिकास्ट ने लांचिग पैड में बैठे वैज्ञानिकों को भी अपने आगोश में ले लिया |

साइंटिफिक-एनालिसिस का मानना हैं कि चन्द्रयान-3 की कामयाबी के साथ यह कानून बना देना चाहिए कि अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के किसी भी लाईव प्रोजेक्ट की लांचिग व प्रक्रिया के दौरान किसी भी संवैधानिक कुर्सी पर कार्यरत व्यक्ति, वी.आई.पी. व अति विशिष्ट लोगों के वहा जाने पर रोक लगनी चाहिए | यह भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, किसी दुसरे देश के मेहमान राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ही क्यों ना हो | हम स्वीकार करते हैं कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की कानूनी व सत्ता की ताकत उन्हें कही पर भी जाने से रोक नहीं सकती परन्तु जब राष्ट्र, तिरंगे व जनता से लसूले गये टैक्स के पैसों की बात आती हैं तो इन पदों पर नौकरी कर रहे व्यक्ति विशेष भी बौने नजर आते हैं | संविधान के अनुसार न्याय करने वाली न्यायपालिका के न्यायाधीश की माने तो राष्ट्रपति राजा नहीं होता व लोकतंत्र में प्रधानमंत्री जनता का सेवक होता हैं | यह माननीय भी अपने मालिक जनता की तरह टेलिविजन पर घर बैठे देख सकते हैं और किसी भी अन्य अवसर पर इसरों जा सकते हैं |

हम साइंटिफिक-एनालिसिस व उसके प्रशंसकों की तरफ से इसरों के वैज्ञानिकों को चन्द्रयान-3 की सफलता पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं व संविधान के अनुसार भारत/इंडिया व उसकी सरकार की मालिक आम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे भी इन्हें बधाई दे व लाईव लांचिग प्रोग्राम में किसी भी संवैधानिक पद पर आसीन और वी.आई.पी. के जाने पर रोक लगा इन्हें मानसिक रूप से आजादी भी दे ताकि ये आपने जो तिरंगा स्वतंत्रता दिवस पर अपने घर पर लगाया हैं उसे चन्द्रमा ही नहीं अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों पर गाढ़ सके |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक

व्यक्तिगत रूप मे स्वयं पेटेंट हासिल करने वाले मध्यप्रदेश इतिहास के प्रथम व्यक्ति

देश में हर व्यक्तिगत पेटेंट धारक के लिए राष्ट्रीय अवार्ड व 5 – 5 लाख की धनराशि की शुरूआत कराने वाले

350 वर्ष पुरानी आधुनिक निडिल आधारित डिस्पोजल प्लास्टिक वाली चिकित्सा विज्ञान मे भारत को अग्रणी बनाने वाले

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