49वाँ दिवस पर रखा गया धरना-उपवास| 50वाँ दिवस की पूर्व संघ्या पर दीप दान

Pahado Ki Goonj

 

*49वाँ दिवस पर रखा गया धरना-उपवास| 50वाँ दिवस की पूर्व संघ्या पर दीप दान भी|*
विचार गोष्ठी में बोले वक्तागण
_*हिमालयी राज्य उत्तराखंड में शीर्ष स्तर के नौकरशाह भी पहाडी प्रदेशों से ही आएं|*_
_*राजधानी के प्रश्न के उलझाए रखने के लिए सुविधा भोगी राजनीतिक संस्कृति है जिम्मेदार*_
_*उत्तराखंड प्रदेश में पूर्ववर्ती हिमालयी राज्यों, हिमाचल प्रदेश और काश्मीर-लेह-लद्दाख की तर्ज पर यहाँ के मूल सरोकारों के पक्ष में ठोस कानून बनाए जाएं*_

देहरादून _(गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संघर्ष स् | ‘गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान’ द्वारा प्रारंभ धरना कार्यक्रम के आज 49वें दिवस में प्रवेश करने पर एक सामूहिक उपवास कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वरिष्ठ नागरिकों और अभियान कर्मियों ने बढ़चढ़कर भाग लिया| इस दौरान धरना स्थल पर सभा का भी आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने अपने विचार रखे| आज धरना व उपवास कार्यक्रम के मुखिया राधाकृष्ण पंत ने अपनी गढ़वाली कविता को माध्यम से उत्तराखंड पर हो रहे छलावा पर कडे तंज कसते हुए कहा कि “उत्तराँचल से उत्तराखंड लिखणा मा लग्या 05 साल, अब राजधानी कु पेंच फंसूं, करीले जगह जगह बवाल”| राधाकृष्ण पंत ने राजधानी के प्रश्न के उलझाए रखने के लिए सुविधा भोगी राजनीतिक संस्कृति को जिम्मेदार ठहराया| उन्होंने कहा कि जिस समाज के लिए उत्तराखंड की लड़ाई लडी गई थी वह पुन: हासिए पर जा रही है| और यदि समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो पहाड़ के लोग प्रतिकार करने के लिए उठ खडे होंगे| उपवास पर बैठे गैरसैंण आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए उमेश थपलियाल ने कहा कि आज 49 दिन होने को बाद भी जिस प्रकार से गैरसैंण आंदोलनकारियों की कोई भी सुध लेने नहीं आया है और मुद्दे पर वार्ता नहीं हो रही है उससे पहाड़ों के प्रति इनका उपेक्षात्मक दृष्टिकोण का काला चेहरा उजागर हुआ है| उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखंड में शीर्ष स्तर के नौकरशाह भी पहाडी प्रदेशों से आए हुए होने चाहिए| घुमक्कड़ी समाजसेवी सौरभ रावल ने बताया कि उत्तराखंड में हो रहा पलायन एक बडी साजिश के तहत की जा रही है ताकी हिमालय को देने हाथों से उजाड़ा जा सके| उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश में पूर्ववर्ती हिमालयी राज्यों, हिमाचल प्रदेश और काश्मीर-लेह-लद्दाख की तर्ज पर यहाँ के मूल सरोकारों को पक्ष में ठोस कानून बनाए जाने चाहिए| उत्तराखंड के मूल निवासियों को जल-जंगल-जमीन का अधिकार प्रदत्त किया जाना चाहिए| उन्होंने गैरसैंण को प्रदेश की नैसर्गिक राजधानी बताया| विदित हो कि संघर्ष स्थल, हिन्दी भवन (परेड ग्राउंड) देहरादून में 17 सितम्बर 2018 से गैरसैंण उत्तराखंड प्रदेश की स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी बने मांग को लेकर क्रमिक धरना निरंतर जारी है| आज धरना कार्यक्रम के *49वें दिवस में वरिष्ठ नागरिकों का उपवास* और *50वें दिवस की पूर्व संध्या बेला पर* राज्य निर्माण के शहीदों के सम्मान व उन सब आंदोलनकारियों जिन्होंने राज्य निर्माण संघर्ष में भागीदारी की व अब देहावसान को प्राप्त हो चुके हैं की स्मृति में *दीपदान कार्यक्रम* आयोजित किया गया ताकी *प्रदेश की स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी गैरसैंण* बने, इस राज्य निर्माण आंदोलन की मांग को पूरा किया जा सके| आज धरना-उपवास कार्यक्रम में भागीदारी करने वालों में *उत्तराखंड आंदोलन में पूर्ण विकलांग हुए आंदोलनकारी अमित ओबरॉय, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के गोवर्द्दन प्रसाद शर्मा, राष्ट्रीय कवि राधाकृष्ण पंत, सुमन डोभाल काला, सामाजिक कार्यकर्ता पंकज उनियाल, पुष्कर नेगी, मदनसिंह भंडारी, रामपुर तिराहा गोलीकाण्ड के घायल आंदोलनकारी मनोज ध्यानी, मुख्य संयोजनकर्ता लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, सुबोध रतूडी, उमेश थपलियाल, सौरभ रावल, भार्गव चंदोला, चंद्रभानू भट्ट, पूर्व नौ सेना अधिकारी पीसी थपलियाल, मनोज दास, हारूण अंसारी, एसके त्यागी, शिवप्रसाद सती, राजेश चमोली, श्रीमती शकुंतला खंतवाल, संयुक्त नागरिक संगठन के अध्यक्ष सुशील त्यागी, उत्तराखंड अगेंस्ट करप्शन के अध्यक्ष तराचंद गुप्ता, किरण किशोर भंडारी, इंद्रसिंह भंडारी, रंजित चंद, मंजी खन्सली, विजयकुमार, संदीप शर्मा, कृष्ण काँत कुनियाल, दिनेश शारस्वत, भारत सिंह बिष्ट, गौरव बिष्ट, ह्रद्येश, मसूरी से आए पत्रकार शूरवीर भंडारी, आचिन बहुगुणा* आदि उपस्थित थे|

*(मनोज ध्यानी) +91 9756201936*
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