गैरसैंण आंदोलन डौंर-थकुली बजा कर व धै-धाद गाकर मनाते हुयेपद यात्रा का संकल्प लिया -लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल

Pahado Ki Goonj

3,500 किलोमीटर की उत्तराखंड यात्रा, वन ओ वन संवाद एवं गैरसैंण आंदोलन को लेकर विधिक अभिलेखों का निर्माण का लिया गया बड़ा निर्णय।

देहरादून 16 सितंबर 2019 गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन ने आज परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर जारी धरना के 01 वर्ष पूरा होने पर सहभागिता करने वाले संगठनों के साथ व्यापक रणनीतिक विमर्श और डौंर-थकुली बजाकर एवं धै-धाद गाकर मनाया| आज गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन के धरना मंच पर गैरसैंण आंदोलन के लिए 1 वर्ष से धरना संपन्न कर रहे आंदोलनकारियों समेत विभिन्न सहभागिता करने वाले संगठन एक मंच पर आए। गैरसैंण राजधानी में बने विधान भवन से प्रदेश की व्यवस्था संचालन की मांग करने वाले इन सभी संगठनों द्वारा निर्णय लिया गया कि राजधानी के सवाल पर एक व्यापक यात्रा निकाली जानी चाहिए| रणनीतिक विमर्श बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के भीतर 3,500 किलोमीटर की यात्रा गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन द्वारा निकाली जाएगी| जिसमें अन्य संगठन पूर्ण सहभागिता निभाएंगे| रणनीतिक विमर्श में निर्णय हुआ कि सभी संगठन रणनीति के तहत सभी विधि निर्माताओं एवं विधि वेत्ताओं से गहन संवाद निर्मित करना प्रारंभ करेंगें। इसके लिए गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन आंदोलन अभिलेख तैयार कर प्रस्तुत करेगें। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के रणनीति विमर्श पर यह संतोष जताया गया गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान संगठन के धरने ने स्थाई राजधानी के सनाल को जीवंत बनाया है। और वह अवाम का विश्वास हासिल करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। रणनीतिक विमर्श में बताया गया कि पिछले 01 वर्ष के धरना कार्यक्रम में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन ने सामाजिक संगठनों व हिमालय सरोकारों के लिए क्रियाशील लोगों के सवालों को भी संजीदा ढंग से उठाया है। आज के राणनीतिक विमर्श में तेजी से फैल रहा डेंगू के रोकथाम हेतु सरकार से कारगर उपाय करने की भी मांग रखी गई है। रणनीतिक विमर्श में इस बात की कड़ी शब्दों में निंदा की गई है कि प्रदेश में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल को मिलाने की चर्चाओं को हवा दी जा रही है। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन ने कहा कि कुछ शरारती बुद्धिजीवी और राजनीतिक तत्व दरअसल उत्तराखंड का खा रहे हैं परंतु गा उत्तराखंड विरोध रहे हैं। ऐसे तत्वों के साथ कड़ाई से निपटना होगा। गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान संगठन व सभी उपस्थित संगठनों को सभी उपलब्ध लोकतांत्रिक विकल्पों के माध्यम से धाराशही किया जाएगा। रणनीतिक विमर्श में उत्तराखंड हिमालय राज्य को पूर्ववर्ती हिमालय राज्यों के समान संविधान की धारा 371 के तहत विशेष व्यवस्था निर्मित कर लागू करने की मांग की गई रणनीतिक विमर्श में उत्तराखंड के सभी पर्वतीय जिलों को ठीक उसी तर्ज पर जैसे कि केंद्र सरकार द्वारा जिस प्रकार से वर्तमान में लेह लद्दाख क्षेत्र को विशेष पूर्ववर्ती हिमालय राज्यों के लिए निर्मित प्रावधान लागू करने को स्वीकार किया गया है उसे उत्तराखंड में भी लागू किया जाने की मांग उठाई गई| रणनीतिक विमर्श में मांग की गई कि उत्तराखंड हिमालय राज्य के साथ सोतेलेपन की नीति तुरंत बंद की जानी चाहिए। रणनीतिक विमर्श में कहा गया कि उत्तराखंड की राष्ट्रवादी कौम के दर्द को संघ सरकार समझे और बेहतर हिमालय नीति यहां पर लागू करें। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन का 01 वर्ष का धरना पूर्ण करने पर राणनीतिक विमर्श के अलावा डौंर-थकुली बजा कर एवं धै-धाद को भी जमकर गाया गया। विभिन्न उपस्थित संगठनों ने मिलकर गैरसैण और राज्य निर्माण आंदोलन के गीत गाए। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान संगठन के आज संपन्न हुए कार्यक्रम में हमारा उत्तर जनमंच, संयुक्त नागरिक संगठन देहरादून, उत्तराखंड पूर्व सैनिक एवं अर्धसैनिक संयुक्त संगठन, उत्तराखंड बेरोजगार संघ, आरटीआई लोक सेवा, उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ, उत्तराखंड रक्षा मंच, उत्तराखंड फुटबॉल रैफरी संघ आदि बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों व हिमालय पैरोकार सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में अध्यक्षता गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के संयोजक लक्षमी प्रसाद थपलियाल व संचालन मुख्य रणनीतिकार मनोज ध्यानी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में संबोधन करने वालों में युवा संयोजक मदन सिंह भंडारी, उत्तराखंड पूर्व सैनिक व अर्द्द सैनिक संगठन के महासचिव प्रकाश चंद्र थपलियाल, मुख्य रणनीतिकार मनोज ध्यानी, हमारा उत्तर जन मंच (हम) के अध्यक्ष रणवीर चौधरी, गढ़वाल छात्र संघ के पूर्व सदस्य विकास सेमवाल, संयुक्त नागरिक संगठन देहरादून के महासचिव सुशील कुमार त्यागी, डीएवी महाविद्यालय के पूर्व महासचिव सचिन थपलियाल, उत्तराखंड बेरोजगार संघ के संरक्षक कमलकांत, प्रवक्ता सुशील कैंतूरा, प्रदीप गुसाईं, आरटीआई लोकसेवी के महासचिव किरण किशोर सिंह, उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष जबर सिंह पावेल, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ के महासचिव पूर्व पार्षद रविंद्र प्रधान, यूकेडी- डेमोक्रेटिक के डीपीएस रावत, उत्तराखंड फुटबॉल रैफरी संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत, उत्तराखंड रक्षा मंत के संरक्षक स्वामी दर्शन भारती एवं अध्यक्ष हरिकिशन किमोठी, पर्वतारोही लुशून टोडरिया, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी श्रीमती शकुंतला खंतवाल, शीशपाल सिंह बिष्ट, चतुर सिंह नेगी, महावीर सिंह नेगी, राजेंद्र सिंह नेगी, विनोद सिंह, दान सिंह नेगी, कृष्णकांत कुनियाल, राकेश चंद्र सती, सुभाष रतूड़ी, राकेश उनियाल, जसवंत सिंह जंगपांगी, सुश्री सुमन नेगी, श्रीमती मंजू नेगी, राजेश चौहान, राज्य आंदोलनकारी तुलाराम बड़वाल व प्रवीण गुसाईं, मनोज कुमार बडोला, आशीष देसाई, अशोक शर्मा, प्रदीप गुसाईं जेपी बहुगुणी, दीवान सिंह बिष्ट, देवेंद्र सिंह रावत, नीरज गौड़, शिविर शर्मा आदि प्रबुद्ध नागरिक गण सम्मिलित रहे

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