मंत्र फल क्यों नहीं देते – पण्डित अविषेक तिवारी

Pahado Ki Goonj

*मंत्र फल क्यों नहीं देते*

यह एक समस्या है कि मंत्र जप सफल क्यों नहीं होता फल पूरा मिलता क्यों नहीं ।

सर्वपथम तो यह भी आवश्यक है कि योग्य गुरु विधि सहित बतावे और गुरुमुख प्राप्त मंत्र हो ।

दूसरा अज्ञानता, दोष उन गुरुओं का भी है जो मन्त्र तो बता देते हैं, विधि वो खुद भी नहीं जानते । आमजन श्रद्धापूर्वक उसका जाप करते रहते हैं , अंततः निष्फल और निराश हो जाते हैं ।

आज इसी विषय पर कुछ विचार करते हैं , ये एक विराट विषय है

सबसे पहले बीस से अधिक अक्षरों वाले मंत्र इन्हें ” मालामंत्र” कहते हैं।

दस से अधिक अक्षर वाले मंत्र इन्हें ” मन्त्र ” कहते हैं ।

दस से कम अक्षरों वाले मंत्र ” बीजमंत्र’ कहे जाते हैं ।

” मालामन्त्र ” वृद्धवस्था में फलदायक होते हैं.ll

” मन्त्र” युवावस्था में सिद्धिदायक हैं ।

पाँच से दस अक्षर के मन्त्र बाल्य अवस्था में सिद्धिदायक होते हैं।

मन्त्रों की तीन जातियाँ होती हैं ,,,,,,

स्त्री , पुरुष और नपुंसक…

जिन के अंत में ” स्वाहा ” पद का प्रयोग हो वे स्त्रीजातिय ,ll

जिनके अंत मे ” नमः” वे नपुंसक मन्त्र ।

शेष सभी मन्त्र पुरुषजातीय हैं।

वे वशीकरण और उच्चाटन कर्म पे सफल सिद्ध होते हैं । सभी कार्यों में साध्य हैं ।

क्षुद्र क्रिया ,रोग निवारण और शांति कर्म में स्त्रीजातीय मंत्र प्रशस्त होते हैं।

विद्वेषण , अभिचार या तामसी कर्मों में नपुंसक मंत्र उपयुक्त होते हैं ।

अब सबसे विशेष तथ्य ….

मन्त्रों के दो भेद भी हैं । ” आग्नेय ” और ” सौम्य” ।

जिनके आदि अर्थात प्रारम्भ में ओम हो वे आग्नेय ओर जिनके अंत मे ओम अर्थात प्रणव हो बो सौम्य ।

इनका जप इनके काल में ही करना चाहिए । जब सूर्य नाड़ी चले तो आग्नेय मंत्र को जपना चाहिए और जब चंद्र नाड़ी चले तब सौम्य मन्त्र सफल फल देते हैं।

जिन मंत्रों में ॐ , क्ष , र, ह का अधिक प्रयोग हो वो आग्नेय मन्त्र जानें और शेष सौम्य मंत्र मानें ।

ये दो प्रकार के मंत्र क्रमशः क्रूर और सौम्य कर्मों में सफलता देते हैं ।

आग्नेय मन्त्र के अंत मे ” नमः ” लगा दो तो वह सौम्य हो जाएगा और सौम्य मन्त्र के अंत मे ” फट् ” लगाने से वो आग्नेय हो जाएगा ।

जब बायाँ साँस या नाड़ी कहें चल रही हो तो जानो आग्नेय मन्त्र के सोने का समय है और जब दायाँ साँस चल रहा हो तो तो समझें सौम्य मन्त्र के सोने का समय है ।

मतलब यह कि दाएँ साँस के चलने पर आग्नेय मन्त्र ओर बायें साँस के चले पर सौम्य मन शुभफल देते हैं।

जब दोनों साँस चल रहे हों तो दिनों मन्त्र जगे होते हैं अर्थात का जप किया जा सकता है ।
अभिषेक तिवारी
8989628972

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