अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दुनिया के मुल्कों में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद कई बड़े बदलाव हुए। अमेरिका और सोवियत संघ की अगुवाई में विश्व दो धड़ों में बट चुका था। वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में भी बड़ा परिवर्तन हुआ, वर्ष 1947 में अंग्रेजो ने देश के सबसे पुराने लोकतंत्रों में शुमार भारत को दास्ता से आजाद कर दिया। स्वतंत्र भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि वो किस धड़े में शामिल हो। इन सबके बीच भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के तौर पर विकल्प को पेश किया। लेकिन अंतराष्ट्रीय जगत में ये सामान्य धारणा रही की भारत का झुकाव रूस की तरफ है।
बदलता रहा समय, बदलते रहे रिश्ते समय बदलने के साथ रूस में बहुत कुछ बदला और 1990 के बाद विश्व के अधिकांश देश अमेरिका के पाले में आ गए। दुनिया में तेजी से बदल रहे हालात के बीच भारत, अमेरिका और रूस के संबंधों में व्यापक बदलाव आए। ओबामा के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका की नजदीकियों ने एक नए संबंधों को जन्म दिया। भारत के ऐतिहासिक मित्र रूस का अब धीरे-धीरे पाकिस्तान की तरफ होने लगा। इन सबके बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को मिठास में बदलने के लिए मॉस्को में हैं।
समय बदलने के साथ रूस में बहुत कुछ बदला और 1990 के बाद विश्व के अधिकांश देश अमेरिका के पाले में आ गए। दुनिया में तेजी से बदल रहे हालात के बीच भारत, अमेरिका और रूस के संबंधों में व्यापक बदलाव आए। ओबामा के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका की नजदीकियों ने एक नए संबंधों को जन्म दिया। भारत के ऐतिहासिक मित्र रूस का अब धीरे-धीरे पाकिस्तान की तरफ होने लगा। इन सबके बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को मिठास में बदलने के लिए मॉस्को में हैं।
आतंकवाद, आर्थिक सहयोग जैसे तमाम मुद्दों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने राष्ट्रपति पुतिन के खास सहयोगी रसियन सुरक्षा परिषद के निकोलेइ पात्रुशेव से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि ट्रंप के हाथ में अमेरिकी कमान आने के बाद पैदा भूराजनैतिक समीकरणों पर दोनों पक्ष आपस में चर्चा करेंगे। रक्षा मामलों से जुड़े लोगों का कहना है कि अजीत डोभाल रूस के ये बताने की कोशिश करेंगे कि भारतीय जनमानस में ये सामान्य धारणा है कि पाकिस्तान के साथ रूस की करीबी व्यर्थ है। रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध किसी भी रूप में लाभप्रद नहीं है।
जानकारों का कहना है कि रक्षा मसौदों को लेकर रूस ऐतराज जता सकता है। दोनों देशों के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर होने के बाद भी कार्यान्वयन न होने से रूस नाराज है। रूस को इस बात की चिंता है कि कामोव केए-226 चॉपर के मुद्दे पर भी खास प्रगति नहीं हो पा रही है। कामोव हेलीकॉप्टर विमान को लेकर पिछले साल गोवा में ब्रिक्स समिट के दौरान दोनों देशों में मसौदों पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत में कामोव का होगा निर्माण गोवा के ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान करीब 10 बिलियन डॉलर वाले केए-226 हेलीकॉप्टरों की खरीद को हरी झंडी मिली थी। भारत ने 200 हेलीकॉप्टरों की खरीद पर सहमति जताई जिनमें 80 चॉपर का निर्माण बेंगलुरु में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बनाने का फैसला किया गया था।