दिल्ली :सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा को जब सरकार न सी बी सी की सिफारिश पर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था। वर्मा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से आदेश रदद करने की मांग की वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कीअध्यक्षता में तीन सदस्य पीठ जस्टिस यस के कौल और जस्टिस के यम जैकप शुक्रवार को सुनवाई करेगी ।सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के बंगले के बाहर आई बी कर्मचारियों की पिटाई
परिचय पत्र दिखाने पर लगाया जासूसी करने का आरोप
यह छेत्र वी वी आई पी है इसके आसपास पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह,रा का पा के प्रमुख सरद पंवार कुछ दूरी पर सोनिया गांधी का निवास होने के चलते रूटीन में आई बी की पट्रोलिंग होती है।उनके साथ निदेशक के निजी सुरक्षा गार्डों ने उन्हें बंगले के बाहर घन्टो बैठने पर उनसे मार पीठ के
बाबजूद कालर पकड़ कर बंगले के अंदर ले गए उनके आई डी कार्ड छीने तुगलक रोड थाने में उनकी रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें 6घण्टे तक बिठा के रखने के बाद छोड़ा गया
आपको बताते चलें कि वर्मा का ईमानदारी से नाता होने के चलते हमेशा चर्चा में रहे ।
वर्ष 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और यूनियन टेरेटरी कैडर के आईपीएस अधिकारी आलोक कुमार वर्मा का कॅरियर विवादों भरा रहा है. नौकरी करते हुए आलोक वर्मा की 24 बार पोस्टिंग हो चुकी है. मालूम हो कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीन सदस्यीय पैनल ने आलोक वर्मा के नाम को सीबीआई चीफ के तौर पर मंजूरी दी थी. इस पैनल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे. अब प्रधानमंत्री द्वारा आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
साफ-सुथरी छविवाले आईपीएस अधिकारी माने जानेवाले आलोक वर्मा मूलरूप से बिहार के रहनेवाले हैं. बिहार के तिरहुत प्रमंडल के शिवहर जिला निवासी आलोक कुमार वर्मा मात्र 22 वर्ष की उम्र में वर्ष 1979 में आईपीएस चुन लिये गये थे. 14 जुलाई, 1957 को जन्मे आलोक वर्मा ने 22 वर्ष की उम्र में ही आईपीएस चुने गये थे. वह अपने बैच के सबसे कम उम्र के अभ्यर्थी थे. हालांकि, उनकी शिक्षा दिल्ली में हुई है. उन्होंने सेंट जेवियर स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की.
सीबीआई चीफ बनने के बाद आलोक कुमार वर्मा बिहार के चर्चित सृजन घोटाले को लेकर कार्रवाई तेज करते हुए पटना का दौरा भी कर चुके हैं. मालूम हो कि सृजन घोटाला शुरुआती जांच में 200 करोड़ तक का था. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, रकम भी बढ़ती गयी. यह रकम 1300 करोड़ से पार हो गयी है. भागलपुर से शुरू हुए सृजन घोटाले की आंच का दायरा बांका, सुपौल, सहरसा तक पहुंच गया.
साफ-सुथरी छवि वाले आइपीएस अधिकारी माने जानेवाले आलोक कुमार वर्मा को लेकर उस समय भी विवाद गहराया था, जब 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड को लेकर बीबीसी ने एक डाक्यूमेंट्री इंडियाज डॉटर बनायी थी. इंडियाज डॉटर डाक्यूमेंट्री के लिए बीबीसी ने तिहाड़ जेल में बंद निर्भया कांड के आरोपित का इंटरव्यू लिया था. इसके बाद विवाद गहराने पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तिहाड़ जेल के तत्कालीन महानिदेशक आलोक कुमार वर्मा को तलब भी किया था. हालांकि, निर्भया कांड के दोषी का इंटरव्यू करने की अनुमति तत्कालीन डीजी विमला मेहरा ने दी थी।