देश मे स्कूली शिक्षा से जुड़ा गढ़ भोज

Pahado Ki Goonj

स्कूली शिक्षा से जुड़ा गढ़ भोज
उत्तरकाशीहिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी, उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन को पूरे देश में “गढ़भोज” के नाम से पहचान दिला कर थाली का हिस्सा व आर्थिकी का जरिया बनाने के लिये वर्ष 2000 से गढ़ भोज अभियान चला रहा है। हमारा प्रयास है कि “गढ़भोज” को देश और दुनिया में गुजराती, पंजाबी जैसे राज्यों के भोजन की तरह मांग और पहचान मिले। इसे लेकर संस्थान कई सालों से जन जागरूकता अभियान, राज्य के उत्पादों के स्टाल, आउटलेट, मेले और अन्य माध्यम से प्रयासरत है।
इसी क्रम में संस्थान द्वारा *वर्ष 2021 को गढ़ भोज वर्ष* के रूप में भी मनाया गया। जिसे पुरे राज्य के शिक्षकों, भोजन से जुड़े करोबारियो व स्वैच्छिक संगठनों के द्वारा विभिन्न तरह से मनाया गया। हमारे प्रयासों से आज गढ़ भोज राष्टपति भवन, राजभवन से लेकर राज्य की पुलिस के समस्त कैन्टीनो, मेस, विभिन्न आयोजनों के साथ साथ सरकारी गैर-सरकारी विभागो की बैठकों प्रशिक्षण का हिस्सा बन पाया है। आज सैकडों होटलो, रेस्टोरेंट व ढाबो के मेन्यू मे गढ़ भोज को शामिल किया गया। राज्य भर मे शादियो मे गढ़ भोज शमिल हुआ है।

*राजकीय इंटर कॉलेज रोन्तल मे गृह विज्ञान के प्रयोगात्मक परीक्षा में शामिल किया गया उत्तराखंड का पारम्परिक गढ़भोज*

रा० इ० का० में गृह विज्ञान के प्रयोगाल्मक परीक्षा में द्दात्राओं के द्वारा प्रयो० परीक्षा में पाक शास्त्र में उत्तराखण्ड के गढ़भोज के अन्तर्गत विशेष पकवान बनाने के साथ भोजन मे पाये जाने वाले पोषक तत्वों के बारे मे जानकारी प्रस्तुत की गई ।
प्रवक्ता गृह विज्ञान  गोपाल प्रकाश मिश्रा के मार्ग दर्शन में छात्र द्दात्राओ के द्वारा विभिन्न क्रियाकलाप के अन्तर्गत स्थानीय फसलो को बढ़ावा देने के साथ इनके ओषधीय गुणों के बारे में जानकारी चार्ट बनाकर दी गयी। छात्रौ के द्वारा क्षेत्र मे उगने वाली पारम्परिक फ़सलों से बच्चों ने इस अवसर पर स्वाले, चौसा, झगोरे की खीर, मंडूये की रोटी, कद्दू का रायता, कापला व अमेडू की चटनी बनाई।
उन्होनें बताया की छात्रौ को प्राथना सभा मे पारम्परिक फसल के बारे मे व उससे बनने वाले भोजन से शरीर को मिलने वाले त्वतो की जानकारी दी जा रही है। बच्चे अपनी फसलो के बारे मे जानकारी रखे व उनके संरक्षण के लिये लोगो को प्रेरित करे उसके लिये तय किया गया की पाकशस्त्र मे गढ़भोज को शामिल किया जाये। जिससे स्थानीय किसानो को भी लाभ प्राप्त हो सके समय समय पर विधालय में छात्राओं को गढ़भोज के बारे में छात्राओं को अवगत कराया जाता है ।
#कालेज के प्रधानाचार्या  विजय पाल सिंह माथस ने बताया की गढ़ भोज के माध्यम से आने वाली पीडी को पारम्परिक ज्ञान से रुबरु करवाया जा रहा है ।
देवभूमि सामाजिक शैक्षणिक उत्थान अकादमी इस अवसर पर गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल उपस्थित।  सेमवाल ने गढ़ भोज अभियान के बारे में संपूर्ण छात्र छात्राओं को एवं विद्यालय परिवार को अभियान की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की साथ ही उन्होंने कहा कि हमने राज्य बनने के बाद से ही उत्तराखंड के भोजन को पहचान एवं आर्थिकी का जरिया बनाने के प्रयास मे जुट गये थे। जो आज सफलता की ओर बढ रहा है। इस अवसर पर अजय कुमार यादव ,गणेश प्रसाद मिश्रा ,गंभीर पाल सिंह राणा ,राजेश नौटियाल ,विजय प्रकाश बबिता बर्तवाल आदि उपस्थित रहे।

द्वारिका प्रसाद सेमवाल
हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी एवं गढ़ भोज अभियान उत्तराखंड ।

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