काली हल्दी कई स्वास्थ्य समस्याओं में फायदेमंद होती है

Pahado Ki Goonj

काली हल्दी कई स्वास्थ्य समस्याओं में फायदेमंद होती है। आप भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां जानें इसके फायदे और प्रयोग का तरीके

हल्दी के औषधीय गुणों के बारे में तो आप सब बखूबी जानते होंगे, लेकिन क्या कभी काली हल्दी के बारे में सुना है? जी हां, काली हल्दी सेहत के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। पीली हल्दी की तरह प्रसिद्ध नहीं होने के कारण इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। क्या आपने कभी काली हल्दी देखी है? यह पीली हल्दी से काफी अलग होती है। लेकिन यह पीली हल्दी से किसी मामले में कम नहीं है। हालांकि इसे तंत्र-मंत्र या टोटके आदि करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। काली हल्दी पीली हल्दी से ज्यादा महंगी बिकती है। इस हल्दी का पौधा आपको आसानी से मिल जाएगा। इसके पौधे में गुलाबी रंग के फूल लगे होते हैं। वहीं इस हल्दी का रंग अंदर से बैंगनी होता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके इस्तेमाल से शरीर में होने वाली तमाम समस्याएं खत्म हो सकती हैं। काली हल्दी कैंसर से बचाव करने के साथ ही ओस्टियोअर्थराइटिस, पेट और त्वचा संबंधी परेशानियों और महिलाओं में पीरियड्स आदि की समस्याओं में बहुत काम आती है। चलिए जानते हैं काली हल्दी के फायदों के बारे में। 

 

1. गैस्ट्रिक परेशानी (Gastric Problems)

काली हल्दी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। यह पेट संबंधी परेशानियों से राहत दिलाती है। अगर आपके पेट में गैस बनी हो तो काली हल्दी को पानी में मिलाकर पी जाएं। इससे आपको काफी राहत मिलेगी। इससे पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है। इस मामले में पीली हल्दी भी काली हल्दी की तरह फायदा करती है। पीली हल्दी को तो रोज़ाना दूध में मिलाकर पीने से पेट की लगभग सभी समस्याएं खत्म हो जाती है। काली हल्दी भी पेट के लिए उतनी ही फायदेमंद है जितनी की पीली हल्दी। 
इसे भी पढ़ें – हाथ-पैर की जलन दूर करने के 7 घरेलू उपाय, जानें आयुर्वेदाचार्य से 

2. रोग निरोधक (Disease Repellent) 

काली हल्दी एक रोग निरोधक जड़ी बूटी है। सदियों से इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में कई प्रकार के रोगों से लड़ने में किया जाता है। काली हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट्स, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीफंगल और एंटी माइक्रोब्स आदि पाए जाते हैं। इसके केमिकल कंपाउंड जैसे की अल्कानॉइड्स, फ्लेवेनॉइड्स स्टीरॉइड आदि अर्थराइटिस, अस्थमा, मिर्गी जैसी बीमारियों में बहुत फायदेमंद साबित होते है। काली हल्दी की जड़ों का इस्तेमाल अर्थराइटिस और ओस्टियोअर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है। मिर्गी और अस्थमा के लिए भी काली हल्दी का सेवन किया जाता है। 

[12/12, 7:10 am] JM Painuli Editor पहाडोंक: क्या हल्दी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हाेती है? हल्दी या Turmeric काे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद पाेषक तत्व सेहत और त्वचा के लिए लाभकारी हाेते हैं। हल्दी में एंटीबैक्टीरियल (Antibacterial), एंटीफंगल (Antifungal), एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) और एंटीसेप्टिक (Antiseptic) गुण हाेते हैं, जाे शरीर काे राेगाें से लड़ने की शक्ति देते हैं। इसके अलावा हल्दी में विटामिन के (Vitamin K), विटामिन सी (Vitamin C), पाेटैशियम (Potassium), कॉपर (Copper), मैग्नीशियम (Magnesium) और जिंक (Zinc) भी काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। हल्दी शरीर की राेग प्रतिराेधक क्षमता बढ़ाती है और राेगाें से लड़ने में मदद करती है। लेकिन कुछ विशेष स्थिति में हल्दी नुकसानदाक भी हाे सकती है।
वैकल्पिक चिकित्सा⁄

आयुर्वेद

कर्चुर के इस्तेमाल से फेफड़ों की सूजन को करें कम, जानें इसके अन्य 12 फायदे और उपयोग करने का तरीका

कर्चुर कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है। इसके इस्तेमाल से आपके स्वास्थ्य को कई फायदे हो सकते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में-  

 कर्चुर एक बहुत ही दुर्लभ जड़ी-बूटी है। इसमें कई आयुर्वेदिक औषधीय गुण मौजूद होते हैं। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर (Karchur Health Benefits ) करने के लिए किया जाता है। इसे काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है। गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी बताते हैं कि कर्चुर की तासीर गर्म होती है। इसके इस्तेमाल से रक्त के विकारों को दूर किया जा सकता है। साथ ही यह बवासीर, खांसी, हिक्का, शूल, दुर्गंध, उल्टी जैसी समस्याओं को दूर करने में लाभकारी होते हैं। साथ ही आप शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को रोकने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। चलिए विस्तार से जानते हैं कर्चूर के फायदे (Karchur Health Benefits ) और नुकसान- 

1. गले की गांठ से दिलाए राहत

कर्चूर का तना गले की गांठ से राहत दिलाने में असरकारी होता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए कर्चूर के तनों को अच्छे से पील लें। अब इस लेप को अपने गले की क्षयज ग्रंथि पर लगाएं। इससे गले की गांठ और सूजन कम होती है। साथ ही गले के दर्द से आपको राहत मिलता है।

इसे भी पढ़ें – ताम्र भस्म के सेवन से सेहत को होते हैं ये 9 फायदे, जानें इसका इस्तेमाल का तरीका और कुछ नुकसान

2. सांसों की बदबू को करे कम

सांसों में बदबू आने से काफी ज्यादा असहज महसूस होता है। अगर आप इस समस्या से राहत पाना चाहते हैं, तो इसके लिए कर्चुर के तनों से काढ़ा तैयार कर लें। अब इस काढ़े से गरारा और कुल्ला करें। इससे मुंह की दुर्गंध दूर हो सकती है। साथ ही सांसों से आने वाली बदबू से आप मुक्ति पा सकते हैं। 

3. दांतों की परेशानी से दिलाए राहत

दांतों की कैविटी, दांतों में दर्द या फिर दांतों से जुड़ी अन्य परेशानी से राहत दिलाने में कर्चूर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए कर्चुर के टुकड़ों को दांतों के बीच दबाकर रखें। इससे दांतों का दर्द, सूजन और दांतों से जुड़ी अन्य बीमारियां दूर हो सकती हैं। 

4. खांसी से दिलाए राहत

बदलते मौसम में खांसी-जुकाम होना आम बात है। अगर आप खांसी से परेशान हैं, तो कर्चूर आपकी इस परेशानी को कम कर सकता है। इसके लिए कर्चूर के 1-2 छोटे-छोटे टुकड़ों को अपने मुंह में रखें। धीरे-धीरे इसे चूसने से खांसी की समस्या से लाभ मिलेगा।

5. फेफड़ों के सूजन को करे कम

फेफड़ों के सूजन को कम करने के लिए कर्चुर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए कर्चूर को अच्छी तरह पीस लें। अब इसे अपनी छाती पर लगाएं। नियमित रूप से इस लेप को छाती में लगाने से फेफड़ों की सूजन को कम किया जा सकता है। 

6. खाने की इच्छा बढ़ाए

अगर आपको या आपके बच्चे की खाने की इच्छा कम हो रही है, तो इस स्थिति में कर्चुर का सेवन करना आपके लिए असरकारी हो सकता है। इसके लिए कर्चुर के काढ़े में 1-2 काली मिर्च, 1 टुकड़ा मुलेठी और आधा चम्मच मिश्री मिलाएं। इस काढ़े को पीने से आपका भूख बढ़ेगा। साथ ही शरीर की कमजोरी भी दूर हो सकती है।
इसे भी पढ़ें – प्रवाल भस्म के फायदे और इस्तेमाल करने का तरीका

7. बवासीर रोगियों के लिए फायदेमंद

बवासीर की परेशानी होने पर कर्चुर को पीसकर अपने मस्सों पर लगाएं। इससे बवासीर में काफी लाभ मिलेगा। इसके इस्तेमाल से मस्सों से ब्लड निकलता, दर्द होना जैसी परेशानी से राहत मिल सकता है।

8. जोड़ों के दर्द को करे कम

गठिया या फिर यूरिक एसिड से ग्रसित मरीजों को जोड़ों में काफी ज्यादा दर्द महसूस होता है। इस स्थिति में आप कर्चूर को पीसकर अपने प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे आपको जोड़ों के दर्द से काफी ज्यादा राहत मिल सकता है।

9. साइनस की परेशानी करे दूर

साइनस रोगियों के लिए भी कर्चूर काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए कर्चूर का रस लें। इसे सिंदूर के कल्क में पकाएं। बाद में इसमें थोड़ा सा सरसों तेल मिक्स करके नाक के आसपास लगाएं। इससे साइनस की समस्याओं से काफी हद तक राहत मिल सकता है।

10. मुंहासों से दिलाए छुटकारा

स्किन पर होने वाली समस्याओं जैसे- पिंपल्स, फोड़े-फुंसी, दाग-धब्बे, झुर्रियां इत्यादि समस्याओं से राहत दिलाने में कर्चुर गुणकारी हो सकता है। इसके लिए कर्चुर को पीसकर इसे अपने चेहरे पर लगाएं। इससे पिंपल्स और उसके दाग कुछ ही दिनों में कम हो जाएंगे।

11. चोट या मोच को करे कम

चोट या मोच लगने पर कर्चुर असरकारी साबित हो सकता है। इसके लिए कर्चुर के गांठों को अच्छे से पीस लें। अब इस लेप को अपने प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे मोच की वजह से दर्द और सूजन से राहत मिल सकता है। 

12. नाक बंद की समस्या से राहत

नाक बंद होने पर कर्चूर का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आपके श्वसन के विकारों को कम करे श्वसन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में सहायक है। इसके लिए कर्चुर के चूर्ण को सरसों तेल में मिलाकर इसे सूंघें। इससे नाक बंद की परेशानी से राहत मिल सकता है।

कैसे करें कर्चूर का सेवन

आयुर्वेद में कर्चुर के तनों का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदाचार्यों के परामर्श अनुसार ही करें। एक दिन में 10 से 30 मिली ग्राम काढ़ा, 2 से 3 ग्राम चूर्ण और 2 से 3 पत्तियों से अधिक इसका सेवन न करें। इससे आपकी समस्या बढ़ सकती है। 
कर्चुर के नुकसान (Side Effects of Karchur)
कर्चुर का सेवन अधिक मात्रा में करने से बचें। अगर आप इसका सेवन अधिक मात्रा में करते हैं, तो आपको निम्न परेशानी हो सकती है।

स्किन एलर्जी

पेट से जुड़ी समस्या

गर्भवती महिलाओं को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

बवासीर इत्यादि।

कर्चूर स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन ध्यान रखें कि इसका इस्तेमाल ज्यादा न करें। इससे आपके सेहत पर विपरीत असर पड़ सकता है। इसलिए डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही इसका सेवन या इस्तेमाल करें। इसके अलावा कर्चूर को स्तनपान के दौरान लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Next Post

गुड न्यूज, जिलाधिकारी सोनिका ने ठण्ड से बचाव के लिए नगर छेत्र में अलाव जलाने के निर्देश दिए

देहरादून मा0 उच्च न्यायालय द्वारा प्लास्टिक प्रतिबंधित किए जाने हेतु पारित आदेशों के अनुपालन में जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका की अध्यक्षता में औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों एंव संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देेश दिए कि उद्योगों के […]

You May Like